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कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री हीराबल्लभ शास्त्री, श्री शुभाष चतुर्वेदी एवं पूर्व पुलिस अधीक्षक पी एस सांगा के कर कमलों से, माँ सरस्वती की प्रतिमा में माल्यार्पन एवं दीप प्रज्जवलन से हुआ.
कार्यक्रम के प्रारम्भ में वरिष्ठ होली गायक, श्री मोहन चंद्र तिवारी जी ने माँ सरस्वती की वंदना व पूजा अर्चना की. इसके बाद विभिन्न होलियारों ने अलग-अलग प्रहारों के अनुसार, राग पीलू से शुरू करते हुए राग झिंझोटी, राग श्याम कल्याण, राग काफी, राग जंगला काफी, राग खमाज, बागेश्वरी, राग बिहाग, राग सहना, राग परज, राग जैजैवंती, राग जोगिया एवं राग भैरवी गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
होली की सरगम पर ढले कुछ बोल इस प्रकार हैं-
१- मन सुख लाओ मृदंग, नाचन आयी चंद्रावली, पग बाँध घुंघरवा, ताल पखवाज बाजन लागे …
२-लाल भये नंदलाल, श्याम वाको वरण गयोरी…
३-करूँगी कपोलन लाल, लला मोरी अंगिया ना छूवो …
४-क्यों न करत मोसे रंग, काहे को रिसखाय रही है प्यारी होरिन में …
रानीखेत के होली गायक संदीप गोरखा. हल्द्वानी के संतोष साह, कन्नू तिवारी, सुनील तिवारी. रामनगर के बी के पन्त, पी सी पाण्डेय, के सी खुल्बे. चौखुटिया से हेम चंद्र पण्डे . काशीपुर से बसंत बिष्ट, त्रिलोचन राह्तोड़ी. रुद्रपुर से मोहन चंद्र तिवारी एवं दीप चंद्र पाण्डे के मधुर कंठ से २६ तारीख की सुबह ४ बजे तक होली के बोलों की धूम मची रही.
कार्यक्रम को भारी तादाद में लोगों ने होली के रंगों को महसूस करते हुए, तन्मयता के साथ सुना. शहर के सभ्य समाज की उपस्थिति कार्यक्रम की उपलब्धि रही.
बैठक का समापन-‘ हो मुबारक मंजरी फूलों भरी, ऐसी होली खेलें जनाब अली…’ के गायन के साथ हुआ .
यह कार्यक्रम शैल परिषद के वर्ष २०१२ के होली महोत्सव की पहली प्रस्तुती था. इसके अगले दिन बाद २६ फरवरी को इसी स्थान पर महिलाओं की होली का भी आयोजन होना है. ४ मार्च को शहर के गाँधी पार्क में सर्वान्चली होली का आयोजन होना शेष है.