आशीष रावत : उर्दू के प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना ने माँ को समर्पित अपनी एक शायरी में कहा है “ मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊँ, माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ“। किसी ने सत्य ही कहा है कि दुनिया में अगर आपके पास माँ की ममता की छांव है तो आपको दुनिया की कोई भी ताकत किसी भी शुभ कार्य के लिए आपके सामने बाधा नहीं बन सकती।
एक लड़की जिसका नाम कामिनी रावत है, दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर दूर देहरादून के झाझरा से दिल्ली आई अपने माता, पिता, भाई, बहन आदि परिजनों से दूर एक काबिल इंसान बनने के लिए। चलिए, पिता, भाई, बहन आदि का त्याग ठीक है लेकिन एक माँ की ममता का त्याग करना मानो आपको वनवास प्राप्त हो गया हो। इसी वनवास को स्वीकार करते हुए कामिनी रावत ने अपना लक्ष्य निर्धारित किया और आज वही कामिनी रावत अपने बलबूते से दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज में एडमिशन लेकर अपनी पढ़ाई को एक नया आयाम देने के लिए कठोर मेहनत कर रही है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाली कामिनी रावत ने जब मुझे अपने गांव में शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन के बारे में बताया तो ऐसा लगा कि इस लड़की में दुनिया को सच का आईना दिखाने का माद्दा है। बस कमी है तो लोगों के एकजुट होने की। कामिनी रावत से मेरी यही प्रार्थना है कि अपने इस वनवास को बेकार मत जाने देना और अपनी माँ की आंखों के सपनों को पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहना।
– आशीष रावत