बी के नेय्यर, कनाडा : चण्डीगढ ६ फरवरी २०१२ : ”पहले हमें दूसरों को परखने की बजाए स्वयं को परखना चाहिए कि मेरे अन्दर कौन-कौन सी गल्तियां हैं, मैं इन्हें कैसे दूर कर सकता हूं इस आेर यदि हम अधिक ध्यान दे ंतो हमें दूसरों की गल्तियां देखने का समय ही नहीं मिल पाएगा । दूसरा हमें अपने अन्दर से नाकारात्मक विचारों को निकाल कर भूत-भविष्य की चिन्ता की बजाए वर्तमान को प्राथमिकता देनी चाहिए तीसरा किसी के प्रति हमारे अन्दर वैर-ईष्र्या की भावना नही होनी चाहिए, यदि इन्सान इन तीनों बातों की आेर ध्यान दें तो अपनी जीवन-यात्रा सुखमयी ढंग से तय कर सकता है ये उद्गार रविवार को सन्त निरंकारी सत्संग भवन सैक्टर ३०-एे में कनाडा से आए महान प्रचारक श्री बी के नैय्यर ने यहां हजारों की संख्या में उपस्थित निरंकारी श्रद्घालुआें को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए ।
श्री नैय्यर ने आगे कहा कि निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी ने हमें ब्रह्मज्ञान के साथ-साथ यह भी शिक्षा दी कि हमें आपस में सभी के साथ प्यार से रहना है । यह कह देना तो आसान होता है लेकिन इसे अमली रूप देने के लिए बहुत ही एनर्जी की आवश्यकता होती है क्योंकि सभी के साथ प्यार से वही रह सकता है जिसके अन्दर सहनशीलता हो, जिसका हृदय विशाल हो और जिसमें बदले की भावना न हो क्योंकि बदले की भावना रख कर किया गया प्यार सच्चा प्यार नहीं होता और ना ही एेसा प्यार लम्बे समय तक किया जा सकता ।
इससे पूर्व उन के साथ आई उनकी धर्मपत्नी श्रीमति नैय्यर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि निरंकारी बाबा जी की शरण में आकर मुझे बहुत लाभ हुआ है । यहीं से मुझे ब्रह्मज्ञान के अतिरिक्त दुनियां में आपस में प्यार से मिलवर्तन भाव से रहने का तरीका, सहनशाीलता, धैर्य, किसी के साथ बात करने के तरीका आदि आदि बहुत कुछ सीखने को मिला है ।
इस दौरान चण्डीगढ़ के प्रमुख श्री मोहिन्द्र सिंह जी ने कनाडा से आए नैय्यर जी का यहां की सर्वत्र साधसंगत की आेर से उनके गले में हार व दुपट्टा डाल कर उनका स्वागत किया ।