सुनील प्रभाकर , लुधियाना : कल दो जगह पर खुनी रावण और चिटा रावण कह कर पुतले जलाये गए,सवाल यह है के कौन राम इसका दहन कर रहे थे,सवाल यह भी है की हिन्दू परम्पराओ का मज़ाक उड़ाने वाले कोण है।हिन्दू धर्म के ठेकेदार भी मौन है।क्या रावण का नाम इतना सस्ता हो गया की कभी भी कोई भी इस्तेमाल कर ले।प्रभु राम के हाथो मुक्ति पाने वाले महान पंडित के नाम का इस्तेमाल उन चेहरों को लगा कर किया जा सकता है जो सृश्टि में निमित मात्र हैं।रावण देहंन की भी कुछ परम्परा है।हमारे ग्रन्थ भी वृद्ध होते तो भी कुछ परम्परा होती है।
दसहरा के दिन कांग्रेस ने पुतला खड़ा किया झगड़ा हुआ इससे लोगो में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति थी लकिन कल के चिट्टा रावण के बाद हिन्दू लोगो में निराशा साफ़ है।वहीँ अमृतसर मे खुनी रावण जलाने वालों ने भी साबित कर दिया वह भी इसी मानसिकता के हैं।भाजपा वालों को भी बताना होगा श्री राम का दावा करने वाले इसको सही समझेगे। अगर हर महीने हर जगह रावण नाम का इस्तेमाल शुरू हो गया तो राम जाने। जय श्री राम।