आज राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार वेरका के समक्ष मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया (एम सी आई ) के प्रतिनिधि शिखर रंजन, मेडिकल एंड रिसर्च एजुकेशन पंजाब के सेक्रेटरी हुस्न लाल तथा बाबा फरीदकोट यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर एस एस गिल चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज पठानकोट के मामले में पेश हुए।
सुनवाई के दौरान एम सी आई के प्रतिनिधि ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि एम सी आई गवर्निंग बॉडी होने के नाते मेडिकल कॉलेजों की मान्यता देने के लिए उस कॉलेज के मापदंड और इंफ्रास्ट्रक्चर को देखती है और उक्त मेडिकल कॉलेज की 2011 के बाद एम सी आई की ओर से मान्यता नहीं दी गयी। उन्होंने कहा कि छात्रों की शिकायत के उनको दुसरे कॉलेजों में शिफ्ट किया जाये पर एम सी आई का सिर्फ ये ही कहना है कि इसके लिए बाबा फरीद यूनिवर्सिटी और राज्य सरकार अपनी ओर से एक प्रस्ताव बनाकर एम सी आई को भेजें। क्योंकि ये राज्य सरकार का ही अधिकार है कि वो एक प्रस्ताव बनाकर एम सी आई को भेजेगा। इस पर सेक्रेटरी हुस्न लाल ने कहा कि उन्होंने 3 अगस्त 2014 को एक पत्र एम सी आई को लिखा है, जिस पर छात्रों ने एतराज़ जताया कि पत्र तो लिखा गया है लेकिन एम सी आई को कोई प्रस्ताव बनाकर नहीं भेजा गया कि इन छात्रों को राज्य के किन किन कॉलेजों में स्थानांतरित किया जायेगा या राज्य सरकार उस कॉलेज को अपने अधीन लेगी।
गौरतलब है कि किसी भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना के समय राज्य सरकार उक्त कॉलेज को एक एसेंशियल सर्टिफिकेट दिया जाता है जिसमें राज्य सरकार ये एम सी आई और केंद्र सरकार को अंडर टेकिंग देती है कि अगर भविष्य में उक्त कॉलेज मापदंड पूरा नहीं करते तो राज्य सरकार छात्रों के हित को समझते हुए या तो उक्त कॉलेज को अपने अधीन लेगी या छात्रों को किसी दुसरे कॉलेज में ट्रांसफर किया जायेगा। एम सी आई ने कहा कि राज्य सरकार ने जो पत्र भेजा है वो अपने आप में अधूरा है। आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया कि कॉलेज के कई छात्रों द्वारा माननीय हाई कोर्ट में एक रिट दायर की गयी थी जिसमें हाई कोर्ट ने फैसला लिया था कि राज्य सरकार 8 हफ़्तों के बीच एक प्रस्ताव बनाकर एम सी आई और केंद्र सरकार को भेजे। लेकिन राज्य सरकार ने जो पत्र एम सी आई को भेजा उसमें किसी भी तरह से स्पष्ट रूप से ये नहीं बताया गया कि बच्चों को किन कॉलेजों में शिफ्ट किया जायेगा।
सुनवाई के दौरान ये तथ्य सामने आये कि अगर उक्त कॉलेज के पास मान्यता नहीं थी तो यूनिवर्सिटी और राज्य सरकार ने अपने स्तर पर क्या किया ? इन छात्रों से फीसें और इम्तिहान कैसे लिए गए ? और ये सारी सुनवाई के दौरान कई ऐसे दस्तावेज बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर और सेक्रेटरी हुस्न लाल को दिखाए गए जिसमें खुद वी सी ने डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को चिंतपूर्णी कॉलेज की मान्यता रद्द होने और छात्रों को दुसरे कॉलेज में शिफ्ट करने को कहा गया था। जिसपर आयोग की ओर से ये पूछने पर कि इन पत्रों के भेजने के बावजूद यूनिवर्सिटी और राज्य सरकार ने क्या किया, पर कोई तसल्ली बक्श जवाब नहीं दिया गया।
आयोग में लगभग दो घंटे चली सुनवाई के दौरान ये बात सामने आई कि छात्र अपनी सही मांगों के लिए लड़ रहे हैं। लेकिन कहीं न कहीं कुछ कारणों से समस्या का हल नहीं हो रहा। डॉक्टर वेरका ने चिंता जताई कि अगर हाई कोर्ट ने भी अपने एक फैसले में राज्य सरकार को एक प्रस्ताव बनाकर एम सी आई को भेजने के लिए कहा है तो राज्य सरकार क्यों नहीं सही तरीके से एम सी आई को प्रस्ताव बनाकर भेज रही।
डॉक्टर वेरका ने कहा कि ऐसे कई पत्र हैं जिसमें ये स्पष्ट हो रहा है कि यूनिवर्सिटी के वी सी ने 28 अगस्त 2014 को राज्य सरकार को लिखा है कि छात्रों को दुसरे कॉलेजों में ट्रांसफर किया जाये और 12 सितम्बर 2014 को भी मेडिकल कॉलेज एजुकेशन डायरेक्टर ने राज्य के दुसरे विभिन्न मेडिकल कॉलेज से खाली सीटों का ब्यौरा माँगा है ताकि चिंतपूर्णी कॉलेज के छात्रों के वहां ट्रांसफर कर दिया जाये। इस पर डॉक्टर वेरका ने हैरनागी जताई कि अगर यूनिवर्सिटी और राज्य सरकार सच्चाई को जानते हुए पत्र व्यवहार कर रहे हैं तो राज्य सरकार एम सी आई को स्पष्ट तौर पर प्रस्ताव बनाकर क्यों नहीं भेज रही ? माननीय हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार भी राज्य सरकार को आठ हफ़्तों के बीच प्रस्ताव बनाकर एम सी आई को भेजना है। डॉक्टर वेरका ने कहा कि यूनिवर्सिटी, एम सी आई और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को एक साथ बिठाकर इस मामले में आ रही अड़चन को दूर करना है। आयोग ने कहा कि छात्रों को ट्रांसफर करने के मामले में राज्य सरकार एक प्रस्ताव बनाकर जिसमें ये स्पष्ट किये जाये कि राज्य सरकार या तो चिंतपूर्णी कॉलेज को एसेंशियल सर्टिफिकेट के अनुसार अपने अधीन लेगी या पुराने पढ़ते छात्रों को दुसरे कॉलेजों में ट्रांसफर किया जायेगा। अगर छात्रों को ट्रांसफर करना है तो उसका पूरा ब्यौरा एम सी आई को भेजा जाये जोकि एम सी आई की मांग है। डॉक्टर वेरका ने कहा कि आने वाले सात दिनों के बीच राज्य सरकार और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आपस में तालमेल करके एक प्रस्ताव एम सी आई को तुरंत भेजे। मौके पर मौजूद सेक्रेटरी हुस्न लाल तथा वी सी गिल ने स्पष्ट किया कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जायेगा। और आने वाले दिनों में छात्रों को एम सी आई के साथ तालमेल करके ट्रांसफर की प्रक्रिया को शुरू किया जायेगा।
इस मौके पर आयोग के डायरेक्टर राज कुमार, एडवोकेट गौतम मजीठिया, मीडिया एडवाइजर विकास दत्त, वरनदीप सिंह बमरा सहित चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज के सैंकड़ों छात्र और उनके परिजन मौजूद थे।