मिलन शाह मुंबई : 8 नवम्बर 2016 को मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया नोटबंदी का। इस फैसले को जैसे-तैसे जनता ने हजम किया था कि अब खबर आ रही है कि सरकार ने सिक्काबंदी भी कर दी है। इस खबर के बाहर आते ही लोगों के बीच कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। यहां तक कहां जा रहा हैं कि अब तो भिखारियों ने भी सिक्के लेने से बंद कर दिए।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी कि गई सूचना के अनुसार, सरकार ने किसी भी तरह की नोटंबदी या सिक्काबंदी की घोषणा नहीं की है। बल्कि सरकार ने अपने कोलकाता, मुंबई, नोएडा और हैदराबाद स्थित टकसाल में सिक्कों के उत्पादन को रोक लगाई है। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है वो ये है कि सिक्के बड़ी संख्या में बाजार में आ गए थे और उनके रख रखाव की दिक्कत सामने आने लगी थी।
टकसालों को चलाने वाले सरकारी, प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) ने बुधवार को निर्देश जारी किया था कि प्रचलन में जो सिक्के हैं उनका उत्पादन तत्काल प्रभाव से रोका जाए। नोटिस में कहा गया है कि टकसाल बगैर किसी कर्मचारी के ओवरटाइम के सामान्य तौर पर काम करते रहेंगे।
जानकारी के मुताबिक, बैंकों और आरबीआई के पास सिक्कों के रखने के लिए जगह नहीं है। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद से आरबीआई के भंडार स्थान पुराने पांच सौ और हजार के नोट से भरे हुए हैं और सिक्कों को रखने की कोई जगह ही नहीं बची है। आरबीआई के सूत्रों ने कहा कि यह एक अस्थायी अभ्यास हैं। लोगों तक सिक्कों की सही से आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह नियमित रूप से किया जाता है।
एसपीएमसीआईएल के नोटिस के अनुसार 8 जनवरी, 2018 तक सरकारी टकसालों में 160 अरब से ज्यादा मूल्य के सिक्के उपलब्ध हैं। सिक्का उत्पादन रोकने का निर्णय टकसाल के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर नहीं है क्योंकि इस कदम से उनका वेतन प्रभावित हो सकता है और इसका प्रभाव दिखने भी लगा है। खबर है कि कोलकाता टकसाल के 1400 कर्मचारी इस फैसले के खिलाफ उतर गए।
भिखारियों के लिए बढ़ी परेशानी:
यूपी रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले भिखारियों ने मीडिया को बताया कि जब से सिक्कों की छपाई बंद होने की खबर बाजार में आई है। तब से लोग हमें सिक्के दिए जा रहे हैं लेकिन दुकानदार उन सिक्कों को लेने से मना कर रहे हैं। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए ये नहीं मालूम। जहां एक तरफ सिक्के पर सरकार कह रही है कि ये चलन से बाहर नहीं वहीं दुकानदार 1 रूपये, 2 रूपये और 10 रूपये के सिक्के लेने से साफ मना कर रहे हैं।
सिक्के बंद होने की अफवाह तेज-
उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप अग्रवाल सोनी ने बताया कि पैसों का ट्रांजेक्शन न होने से समस्या होती है। दुकानदारों के पास दिनभर में सैकडों सिक्के इकट्ठा हो जाते हैं। वह जब इन सिक्कों को बैंकों में जमा करने जाते हैं तो कर्मचारी लेने से मना कर देते हैं। बैंकों की इस मनमानी पर कई बार प्रदर्शन किया गया। नोटबंदी के बाद से लोगों ने सिक्के बंद होने की अफवाह फैला दी, जिससे दिक्कत शुरू हुई।