माननीय मुख्य न्यायाधिपतिजी,
राजस्थान उच्च न्यायालय ,
जोधपुर
मान्यवर,
सिविल न्यायाधीशों के आर्थिक क्षेत्राधिकार में वृद्धि हेतु
मैं आपको स्मरण करवाना चाहता हूँ कि राजस्थान राज्य में सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ खंड) रूपये पच्चीस हजार तक के मामलों में और सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ खंड) रूपये पचास हजार तक के मामलों में सिविल क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर रहे हैं| सन 1980 में सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ खंड) का सिविल मामलों में आर्थिक क्षेत्राधिकार मात्र पांच हजार रूपये था| इस बीच रुपये के अवमूल्यन से 1980 के मूल्य स्तर और महंगाई से आज की तुलना करें तो तात्कालीन पांच हजार रुपये का मूल्य आज के लगभग दो लाख रुपये बनता है|
दिल्ली राज्य में सिविल न्यायाधीशों को पांच लाख रूपये तक मूल्याङ्कन वाले सिविल दावों को सुनने का क्षेत्राधिकार दिया गया है
और हरियाणा में असीमित अधिकार हैं| उक्त परिपेक्ष्य में आपसे सादर अनुरोध है कि राजस्थान में भी सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ खंड) को रूपये दो लाख तक के मामलों में और सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ खंड) को रूपये पांच लाख तक के मामलों में सिविल क्षेत्राधिकार प्रदान किया जाए ताकि जिला न्यायालयों तक मूल सिविल मामले कम संख्या में पहुंचे और जिला व सत्र न्यायाधीश आपराधिक मामलों की सुनवाई में ज्यादा समय दे सकें| इस परिवर्तन से गंभीर प्रकृति के मामलों की त्वरित सुनवाई ही सकेगी और अपराधों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा| इस सुझाव को स्वीकार करने से उच्च न्यायालय में पहुँचने वाली सिविल अपीलों में भी निश्चित कमी आएगी| परिणामत: उच्च न्यायालय में भी आपराधिक मामलों के लिए अधिक बेंचें गठित की जा सकेंगी|
इस प्रसंग में आप द्वारा की गयी कार्यवाही का मात्र मुझे ही नहीं सम्पूर्ण राज्य की जनता को उत्सुकता से इंतज़ार रहेगा|
आपका शुभेच्छु
मनीराम शर्मा