– इस अमावस्या को सूर्य और चंद्रमा होते हैं अपनी नीच राशियों में – विश्व कल्याण के लिए लक्ष्मी दीप ध्यान 24 तक
ए के शर्मा , रायपुर : कार्तिक माह की अमावस्या को सूर्य नीच राशी तुला में और चंद्रमा अस्त होता है। ऐसे में यह रात सबसे स्याह मानी जाती है। इसी अॅंधेरे से संघर्ष का उत्सव है दिवाली। अॅंधेरे से लड़ने लक्ष्मी पूजा का पूजा किया जाता है। दीप सजाए जाते हैं। रत्न, मुद्रा और सोने-चॉंदी इत्यादि चमकीली वस्तुओं का पूजन किया जाता है। उन्हें धारण किया जाता है। कमतर उजाले में भी वस्तुएं सहजता से पहचानी जा सकें इसके लिए स्वच्छता और सफेदी पर जोर दिया जाता है। यह बात लक्ष्मी दीप ध्यान में मंगलवार को ज्योतिषी और योगिनी ध्यानी अरुणेश कुमार शर्मा ने बताई। ध्यान 24 अक्टूबर तक सुबह 7 से 9 बजे तक होटल विनायक इंटरनेशनल, तेलीबांधा में आयोजित है। इसमें विश्व एवं व्यक्ति कल्याण की भावना से लोग शामिल हो रहे हैं। शिविर में शंख और घंट ध्वनियों और सूत्र वाक्यों से ध्यान से जोड़ा जाता है। ओरेकल ओरिसन के प्रमुख श्री शर्मा बताया कि ज्योतिष के नजरिए से कार्तिक अमावस्या एक कमजोर दिन है। भगवान श्रीराम को इसी दिन 14 वर्ष के वनवास पर जाना पड़ा था। चक्रवर्ती सम्राट दशरथ और माता कौशल्या को सबसे बड़ा दुख भोगना पड़ा था। लेकिन श्रीराम की वापसी पर आमजन के उत्साह ने इस अॅंधेरे से भरी अमावस्या को सबसे बड़े लोकपर्व में बदल दिया। इस तरह यह ग्रह-सितारों के प्रभाव के विरुद्ध मानववाद की जीत का उत्सव है। उन्होंने बताया कि सामान्यतः सूर्य तुला राशि में 17 अक्टूबर से 15 नवंबर तक होता है। इस बीच सिर्फ एक अमावस्या आती है। इस बार यह 30 अक्टूबर को है। यही दिन दीपावली का है।