सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीकांत कुमार जेना ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई), भारत सरकार ने 1998-99 में 6 राज्यों केरल, मेघालय, हरियाणा, मध्य प्रदेश, ओडिशा और गुजरात में परीक्षण के तौर पर एक समय उपयोग सर्वेक्षण किया था। मंत्रालय एक देश-व्यापी समय उपयोग सर्वेक्षण आयोजित करने पर विचार कर रहा है ताकि यह आकलन किया जा सके कि लोग किस तरीके से अपना दिन व्यतीत करते हैं।
देश-व्यापी समय उपयोग सर्वेक्षण आयोजित करने के लिए मंत्रालय ने एक विशेषज्ञ दल का गठन किया है, जिसके विचारार्थ विषय (टीओआर) इस प्रकार हैं – 1. समय उपयोग सर्वेक्षण के लिए कार्यकलापों के राष्ट्रीय वर्गीकरण (एनसीएटीयूएस) को अंतिम रूप देना, 2. सर्वेक्षण पद्धति की सिफारिश करना और अनुसूचियों के फील्ड-परीक्षण के लिए प्रायोगिक सर्वेक्षण आयोजित करने हेतु एजेंसियों की पहचान करना, 3. अनुसूचियों का प्रायोगिक परीक्षण करना तथा अनुसूची और प्रायोगिक तथा अखिल भारत सर्वेक्षण के लिए अनुदेश सेट को अंतिम रूप देना, 4. यह पता लगाना कि क्या नियमित समय उपयोग सर्वेक्षण की आवश्यकता है, यदि हां तो इसकी आवधिकता और 5. प्रायोगिक सर्वेक्षण और अखिल भारत सर्वेक्षण की लागत का अनुमान लगाना।
समय उपयोग सर्वेक्षण का वर्गीकरण दिवम्बर, 2012 में तैयार किया जा चुका है। विशेषज्ञ दल से उम्मीद की जाती है कि वह इस प्रायोगिक सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, देश-व्यापी समय उपयोग सर्वेक्षण की आवश्यकता, आवधिकता और अनुमानित लागत के बारे में अपनी सिफारिशें देगा।
उम्मीद है कि सर्वेक्षण शुरू होने की तारीख से दो वर्ष के अंदर यह प्रस्तावित समय उपयोग सर्वेक्षण पूरा कर लिया जाएगा।