औद्योगिकी नीति एवं संवर्धन विभाग ने जापान के निवेश प्रस्तावों को तेजी देने के लिए विशेष प्रबंधन दल का गठन किया है। इस दल का नाम है ‘जापान प्लस’ और इसमें भारत सरकार के प्रतिनिधि एवं जापान सरकार के आर्थिक व्यापार और उद्योग (मेटी) मंत्रालय के प्रतिनिधि होंगे। प्रधानमंत्री की हाल की जापान यात्रा के दौरान ‘जापान प्लस’ दल का विचार आया और यह दल निवेश संवर्धन के सभी पक्षों-अनुसंधान, आउटरीच, संवर्धन, सहायता और देखरेख पर नज़र रखेगा। यह दल विभिन्न क्षेत्रों में जापानी निवेश को प्रारंभ करने, आकर्षित करने, मदद देने और उसमें तेजी लाने में भारत सरकार की मदद करेगा। यह दल विभिन्न क्षेत्रों में निवेश अवसरों के बारे में नवीनतम सूचना देने, विशेषकर परियोजनाओँ और औद्योगिक गलियारों के बारे में सूचना के लिए जिम्मेदार होगा। ‘जापान प्लस’ दल छोटे और मझहौले उद्यमों सहित सभी जापानी कंपनियों की संभावनाओं की पहचान करेगा और भारत में निवेश में उनकी सहायता करेगा।
‘जापान प्लस’ दल औद्योगिकी नीति एवं संवर्धन विभाग को नियमित मानक अध्ययन करने, बाधाओं की पहचान करने और जापानी कंपनियों की रूचि वाले क्षेत्रों की पहचान में मदद करेगा।
‘जापान प्लस’ 8 अक्टूबर, 2014 से काम करने लगा है। इस दल में समन्वय का काम जापान के आर्थिक व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय के श्री केनीचीरो तोयोफूकू करेंगे औऱ इस दल में चार भारतीय तथा दो जापानी अधिकारी होंगे। ‘जापान प्लस’ दल से japanplus@nic.in और k.toyofuku@nic.in पर संपर्क किया जा सकता है।
सरकार ने भारत-जापान निवेश संवर्धन साझेदारी पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में कोर ग्रुप का गठन किया है। इसमें रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, विदेश सचिव, औद्योगिकी नीति एवं संवर्धन विभाग, आर्थिक मामलों, व्यय, वित्तीय सेवा, राजस्व, शहरी विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी के सचिव होंगे। यह ग्रुप यह सुनिश्चित करेगा कि भारत जापान निवेश संवर्धन साझेदारी योजना के अनुरूप निवेश की प्रक्रिया चले और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश प्रक्रिया में मदद मिले तथा निवेश टेक्नोलॉजी हस्तांतरण का पूरा लाभ उठाया जा सके।
प्रधानमंत्री की हाल की जापान यात्रा में भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी के लिए घोषित टोकियो घोषणा के हिस्से के रूप में भारत-जापान निवेश संवर्धन साझेदारी की घोषणा की गयी थी। निवेश संवर्धन की इस साझेदारी के तहत जापान ने 3.5 ट्रिलियन येन (33.5 बिलियन डॉलर) के सार्वजनिक और निजी निवेश की पेशकश की थी। इसमें अगले पांच वर्षों के लिए विदेशी विकास सहायता भी शामिल थी।
भारत को दीर्घकालीक रूप से जेबीआईसी द्वारा शीर्ष निवेश स्थल माना गया है। जापान भारत में प्रत्यक्ष निवेश करने वाला चौथा बड़ा देश है। जापान की दिलचस्पी फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबील और सेवा क्षेत्रों में रही है और कुल प्रत्यक्ष विदेश निवेश प्रवाह में जापान का योगदान 7.46 प्रतिशत है। जेबीआईसी की जापानी विनिर्माण कंपनियों द्वारा विदेशी कारोबार संचालन पर सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में 90 प्रतिशत लोगों ने भारत के आकर्षण के लिए ‘स्थानीय बाजार की भविष्य में वृद्धि संभावना’ प्रमुख बताया। जापानी कंपनियों के लिए भारत निवेश का आकर्षण स्थान है और 1072 जापानी कंपनियों के भारत में 2542 व्यावसायिक केन्द्र हैं। पिछले एक दशक में जापानी प्रतिष्ठानों की संख्या 11 गुना बढ़ी है और इससे भारतीय बाजार के लिए जापानी निवेशकों की सकारात्मक सोच उजागर होती है।