पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग ने आज यहां गौशालाओं पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि गांवों को पारम्परिक रूप से इस तरह बनाया गया था जिससे वहां निवासियों को सुविधाएं मिलती थीं और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध होता था। उन्होंने सम्मेलन में भाग लेने वालों से आग्रह किया कि वे सुझाव दें ताकि नीतिगत निर्णय लेने में सुविधा हो और स्थिति में सुधार हो सके। मंत्री महोदय ने कहा कि एक नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसमें यह प्रावधान शामिल किया गया है कि वनों के निकट स्थित गांव में रहने वाले लोगों को प्रोटीनयुक्त चारा नि:शुल्क प्राप्त हो सके। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि चारागाहों को सुरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि 500 एकड़ भूमि को उदाहरण के लिए लिया जाए, तो उसमें से 25 एकड़ हिस्से पर बेहतर किस्म की घास और चारा उगाया जाना चाहिए।
श्री जावड़ेकर ने कहा कि तकनीकी सत्र में तीन विषयों पर चर्चा की जाएगी – 1. भारत की गायों की दूध उत्पादकता कैसे बढ़ाई जाए, 2. भारत की गायों के लिए चारा और सहायक आवश्यकताओं के लिए प्रावधान करना और 3. उत्पादन उपरांत चरण में गायों का प्रबंधन।
सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पशुधन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि 60 मिलियन लोग किसी न किसी रूप में पशुधन से जुड़े हैं। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि देश में 19 करोड़ पशुधन हैं, जो विश्व के कुल पशुधन का 14 प्रतिशत हिस्सा है। इनमें से 15 करोड़ घरेलू पशुधन हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय प्रजनन केन्द्रों की स्थापना के लिए धनराशि जारी कर दी गई है, ताकि घरेलू पशुधन का संवर्धन और संरक्षण हो सके। उन्होंने कहा कि घरेलू पशुधन के संवर्धन और संरक्षण के लिए पिछले दो वर्षों में सरकार ने 582 करोड़ रुपये जारी किये हैं। श्री राधा मोहन सिंह ने उल्लेख किया कि भारत में पिछले 10 वर्षों के दौरान औसत वार्षिक दुग्ध उत्पादन में 4.62 प्रतिशत इजाफा हुआ, जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 2.2 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि 2014-15 और 2015-16 में दूध उत्पादन में वार्षिक वृद्धि 9.59 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘भारत में दूध की उपलब्धता 340 ग्राम है, जबकि पूरी दुनिया में यह 296 ग्राम है।’
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन सचिव श्री अजय नारायण झा ने स्वागत वक्तव्य दिया। इस अवसर पर ‘घरेलू पशुधन की विशेषताएं एवं उनकी उत्पादकता बढ़ाने की रणनीतियां’ संबंधी एक पॉवर प्वांट प्रजेंटेशन भी पेश किया गया