रायपुर, 26 जुलाई 2014/ भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने युवाओं का आह्वान किया है कि वे निडरता, साहस और दृढ़ विश्वास से दुनिया का सामना करें। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्घृत करते हुए कहा कि भारत के युवाओं में असीमित शक्तियां है और वे बाहरी दुनिया की सच्चाई का सामना इस सूत्र वाक्य से आसानी से एवं निडरता से कर सकते हैं। श्री मुखर्जी ने उक्त उद्गार आज यहां राजधानी रायपुर में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और उपाधि प्रदान की गई। समारोह में पीएचडी धारकों को भी उपाधि प्रदान की गई।
राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ का इतिहास और संस्कृति अत्यधिक समृद्धशाली है। यह माता कौशल्या का प्रदेश है और रामायण के महान रचयिता महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि है। छत्तीसगढ़ में कलचुरी वंश के समय से सुशासन और विकेंद्रीकरण का इतिहास रहा है। यहां की पंचायत राज व्यवस्था देश की प्राचीनतम व्यवस्थाओं में से है। छत्तीसगढ़ की समृद्ध परम्पराओं को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमें भूत काल के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य के लिए भी कार्ययोजना बनानी चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि किसी विश्वविद्यालय के लिए 50 वर्ष की अवधि बहुत लम्बी अवधि नहीं होती है किन्तु यह अवसर हमें रूककर सोचने का मौका देता है कि हमने कहां से शुरूआत की और क्या प्राप्त करना शेष है। उन्होंने प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल (जिनके नाम पर यह विश्वविद्यालय है) को याद करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने 34 महाविद्यालयों से शुरूआत की और आज यहां लाखों विद्यार्थी ज्ञानार्जन प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गर्व की बात है कि यह विश्वविद्यालय सेमेस्टर पद्धति लागू करने वाले अग्रणी विश्वविद्यालयों में से है।
श्री प्रणब मुखर्जी ने स्वर्ण पदक और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके माता-पिता और शिक्षकों को भी इस अवसर पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि देश ने, समाज ने आपको शिक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। युवाओं की उपलब्धि समाज की देन है, उन्हें समाज के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए समाज की बेहतरी के लिए कार्य करना चाहिए ताकि भारत अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा हो सके। श्री मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों को, उद्योगों और बाजार की आवश्यकता के अनुसार अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव लाने का सुझाव दिया। उन्होने भारत की गौरवशाली परम्परा और तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान में भी विश्वविद्यालयों का स्तर इसी प्रकार उत्कृष्ट रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में संसाधनों की कमी के बावजूद प्रतिभाशाली शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ हम उच्च शिक्षा के स्तर को और अधिक बेहतर कर सकते हैं। उन्होंने इस संबंध में नवीनतम तकनीकों जैसे नॉलेज नेटवर्किंग, ई-क्लास रूम आदि का अधिक से अधिक उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले सालों में भारत की 50 प्रतिशत आबादी युवाओं की होगी। यदि हम इन युवाओं को और अधिक कुशल और प्रशिक्षित कर सकें तो भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। श्री मुखर्जी ने नवनियुक्त राज्यपाल श्री टंडन को बधाई दी और कहा कि उनके दीर्घ जनसेवा का लाभ छत्तीसगढ़ की जनता को मिलेगा।
दीक्षांत समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन ने कहा कि देश के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी की गरिमामयी उपस्थिति ने विश्वविद्यालय के इस बीसवें दीक्षांत समारोह को स्वर्णिम एवं अविस्मरणीय बना दिया है। उन्होंने कहा कि आज से लगभग दो वर्ष पहले राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने नया रायपुर में मंत्रालय के नये भवन तथा स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय विमानतल में इंटीग्रेटेड टर्मिनल बिल्डिंग का शुभारंभ किया था। इसकी तुलना में आज का यह कार्यक्रम एवं परिसर हालांकि छोटा है, लेकिन महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर राष्ट्रपति के प्रति अपने उदगार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ‘वो आये हमारे घर, ये खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं। श्री टंडन ने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने पिछले 50 वर्षों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षा के माध्यम से इस राज्य और अंचल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके लिए यहां के कुलपति, कुल सचिव, शिक्षकगण, स्टॉफ और विद्यार्थी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वे जीवन के जिस क्षेत्र में प्रवेश करें, उसमें सफल हों। श्री टंडन ने विद्यार्थियों से कहा कि यदि हमने अपने जीवन के हर एक पल का सदुपयोग करते हुए अपने गांव, नगर, प्रदेश एवं देश के लिए छोटा सा भी कार्य किया है तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आज आप सभी ने जो शपथ ली है, उसका विशेष अर्थ है। इसे औपचारिकता के रूप में न लेकर वास्तविक जीवन में भी अपनाएं।
समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह में देश के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के आगमन से प्रदेश का मान बढ़ा है और युवाओं को नई ऊर्जा मिली है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री बलरामजी दास टंडन के इस परिसर में प्रथम आगमन पर उन्हें शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय को छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने और सबसे बड़े विश्वविद्यालय का गौरव प्राप्त है। आधी सदी पहले छत्तीसगढ़ अंचल के साथ अविभाजित मध्यप्रदेश के बड़े भाग में इस विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा की अलख जगाई थी। अपनी परम्परा, नवाचार, शोध कार्यों तथा युवाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित करने में इस विश्वविद्यालय का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि विगत 50 वर्षों में विश्वविद्यालय ने बदलते परिदृश्य में अपनी महत्ता और उपयोगिता को बनाये रखने में सफलता हासिल की है। आगे भी अग्रणी विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिए अनूठे प्रयास करने होंगे और एक नई कार्ययोजना बनाकर उसे दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अमल में लाना होगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि आज देश के राष्ट्रपति द्वारा छत्तीसगढ़ के मेधावी छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इस दौरान हम सभी ने यह अवलोकन किया कि पदक प्राप्त करने वाले 15 छात्र-छात्राओं में से 11 छात्राएं हैं, जो हम सब के लिए गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य शासन की ओर से अनोखी पहल करते हुए स्नातक स्तर तक निःशुल्क उच्च शिक्षा देने जैसे नये निर्णयों का लाभ बड़े पैमाने पर प्रदेश के महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं को मिलेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने जब विद्यार्थियों से यह प्रश्न किया कि वे किस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं तब उन्होंने अत्यंत आत्मविश्वास के साथ यह बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होकर छत्तीसगढ़ की सेवा करना चाहते हैं, जो उनकी दृढ़ संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है। युवा प्रतिभाओं को उच्च शिक्षा दिलाने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राज्य शासन ने अनेक योजनाएं लागू की है। महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं को निःशुल्क लैपटॉप तथा टेबलेट का वितरण कर रहे हैं, ताकि वे सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश और दुनिया से जुड़ सकें।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने बताया कि अब शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से तथा शिक्षा के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं की संख्या में हुए वृद्धि को देखते हुए प्रदेश के छह महाविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) ने पोटेंशियल फॉर एक्सीलेंस के लिए चयन किया गया है। इसके साथ ही नैक ने राज्य के 25 महाविद्यालयों का मूल्यांकन