छत्तीसगढ़ : माकपा सहित देश की 6 वामपंथी पार्टियों ने केन्द्र तथा विभिन्न राज्य सरकारों में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा जनविरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाने का फैसला किया है. इसी परिप्रेक्ष्य में नान से लेकर पाठ्य पुस्तक निगम तक छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में पसरे भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदेश की 4 वामपंथी पार्टियां 20 जुलाई को रायपुर में प्रदेश स्तरीय धरना का आयोजन कर रही है. धरना के बाद वामपंथी पार्टियों के नेता राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपेंगे. आन्दोलनकारी पार्टियों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सहित सीपीआई, सीपीआई(एम-एल)-लिबरेश तथा एसयूसीआई(सी) शामिल है.
यह जानकारी माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने दी. उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्यों के स्तर पर भाजपाई सरकारें जिन कार्पोरेटपरस्त नीतियों को लागू कर रही है, उससे न केवल प्राकृतिक संपदा की लूट बढ़ी है, बल्कि आम जनता का सामान्य काम भी बिना रिश्वत दिए नहीं हो रहा है. प्रशासनिक संरक्षण में राजनेताओं का भ्रष्ट कारोबारियों के साथ प्रदेश में जो गठजोड़ पनपा है, उसके चलते हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार का आलम है. धान खरीदी से लेकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक, तमाम सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में, छात्रवृत्ति वितरण से लेकर साईकिल-यूनिफार्म वितरण तक, कोयला ब्लाक आबंटन में—सभी जगह भ्रष्टाचार का आलम है और भाजपा सरकार के मंत्री-मुख्यमंत्री और उनके परिवार भी इन आरोपों से बरी नहीं हैं. मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी एक व्यापमं घोटाले के उजागर होने के लक्षण नज़र आ रहे हैं. इसकी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ रही है और हाल ही में विद्युत दरों में हुई अनाप-शनाप बढ़ोतरी इसका उदाहरण है.
पराते ने रमन सरकार पर आरोप लगाया कि इन भ्रष्टाचार के प्रकरणों को उच्च स्तर पर दबाने की कोशिशें की जा रही है और एंटी-करप्शन ब्यूरो तक को नाकारा बनाने की साजिशें हो रही हैं. वास्तव में मोदी-रमन राज में ‘भ्रष्टाचारियों के ही अच्छे दिन’ आये है.
माकपा नेता ने कहा है कि वामपंथी पार्टियां भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जनता की तकलीफों को स्वर देने के लिए इकठ्ठा हुई है और 20 जुलाई को राज्य स्तरीय धरना इसी का प्रयास है.