महिला सदस्यों का लोकसभा में प्रतिनिधित्व और आम चुनाव में बतौर उम्मीदवारी उनकी भागीदारी में बढ़ोतरी हो रही है। आम चुनाव 2009 में महिलाओं की सबसे बड़ी संख्या 59 लोकसभा में आई थी, जबकि उसके पहले सदन में महिला सदस्यों की संख्या 45 थी।
15वीं लोकसभा में महिलाओं की सदस्यता 10.86 प्रतिशत थी और 13वीं लोकसभा भी 9.02 प्रतिशत सदस्यता के साथ इसके काफी करीब थी। 1996 से निचले सदन में सदैव कम से कम 40 महिलाएं चुनी जाती रही है।
महिलाओं की सबसे कम संख्या लोकसभा में 1977 में थी जब मात्र 19 सदस्य ही निचले सदन में पहुंच पायी थी, जो कि लोकसभा की कुल सीटों का महज 3.50 प्रतिशत ही था। इसके अतिरिक्त इतिहास में और कोई दूसरा अवसर नहीं है जिसमें की महिलाएं 20 संख्या तक भी नहीं पुहंच पायी।
महिलाओं के चुनाव लड़ने के संबंध में महिला प्रतिभागियों की सर्वाधिक संख्या 1996 के चुनाव में 599 थी जिसके बाद 2009 में 556 महिला उम्मीदवारों की संख्या और 2004 में 355 थी। यह 1980 की सातवीं लोकसभा थी जब महिला उम्मीदवारों ने 100 के आंकड़े को पार किया। उससे पहले महिला उम्मीदवारों की संख्या हमेशा 100 के नीचे ही रही थी।
चुनाव लड़ने में महिलाओं की भागीदारी पुरूषों की तुलना में काफी कम हैं। 9वें आम चुनाव तक महिलाओं की भागीदारी पुरूषों से 30 गुना कम थी। जबकि, 10वें आम चुनाव से इस भागीदारी में सुधार हुआ।
परन्तु पहले चुनाव से लेकर 15वीं लोकसभा के गठन तक महिला उम्मीदवारों की जीत का प्रतिशत हमेशा पुरूषों की तुलना में अधिक रहा है।