शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
वर्ण विचार : किसी लड़के लड़की के जन्म नक्षत्र से उनकी राशि का निश्चय करने के बाद ही वर्ण का विचार किया जाता है ||
अगर लड़की का वर्ण लड़के के वर्ण से ऊँचा हो तो शास्त्रो में ऐसा कहा गया है कि चाहे इंद्र देव की ही पुत्री की विवाह क्यों न हो विवाह में व्यवधान अवश्य आते है ||
ब्राह्मण ,क्षत्रिय, वैश्य एवं शुद्र
इन चारो वर्णों का निर्धारण जन्म राशि के आधार पर किया जाता है ||
● जिसका जन्म कर्क ,वृश्चिक या मीन राशि में हो तो उसका वर्ण ब्राह्मण होता है ||
● जिसका जन्म मेष ,सिंह या धनु राशि में हो तो वह क्षत्रिय वर्ण का होता है ||
● जिसका जन्म वृष ,कन्या या मकर राशि में हो ति वह वैश्य वर्ण का होता है ||
● जिसका जन्म मिथुन, तुला या कुम्भ राशि में हो तो वह शुद्र वर्ण का होता है ||
इसप्रकार वर-वधु के वर्ण का निश्चय कर इनके गुणांक का विचार करना चाहिए ||
● यदि कन्या के वर्ण से वर का वर्ण उच्च का हो तो गुण मिलता है ||
● वर एवं वधु दोनो का वर्ण समान हो तो कुछ ज्योतिषी आधा गुण और कुछ ज्योतिषी एक गुण मानते है ||
● यदि वधु का वर्ण वर से उच्च का हो तो शून्य गुण माना जाता है ||
ऐसे में दोनों की कुण्डलियों से स्वास्थ आयु भाग्य चरित्र सन्तति आदि का विचार कर मेलापक मिलाना चाहिए ||
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-1) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-2) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-3) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-4) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-5) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-6) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज