योनि विचार : योनि-मेलापक का विचार न केवल वर-वधु के मेलापक में ही विचारणीय होता है ||
अपितु यह साझेदारी मालिक नौकर एवं राजा तथा मन्त्री के परस्पर मेलापक में भी विचारणीय माना जाता है ||
योनियाँ 14 प्रकार की होती है :-
1.अश्व 2.गज 3.मेष 4.सर्प
5.श्वान 6.मार्जार 7.मूषक 8.गौ
9.महिष 10.व्याघ्र 11.मृग 12.वानर
13.नकुल 14.सिंह
शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
योनि विचार में
नक्षत्रो की संख्या 28 मानी जाती है ||
इसमें 27 नक्षत्रो के अलावा 28वां नक्षत्र अभिजित माना गया है ||
उत्तराषाढ़ के चतुर्थ चरण को अधिकाँश विद्वानों ने अभिजित माना है ||
अतः योनि विचार करते समय ध्यान रखे कि
वर या कन्या में से किसी का जन्म उत्तराषाढ़ के चतुर्थ चरण में तो नही हुआ ?
यदि हुआ हो तो योनि विचार के समय उसका नक्षत्र अभिजित मान लेना चाहिए ||
शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-1) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-2) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-3) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-4) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-5) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-6) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज