ललित मोहन, रुद्रपुर, 12 दिसम्बर 2012 को भारत रत्न सुप्रसिद्ध सितारवादक पंडित रवि शंकर ने अमरीका के कैलीफोर्निया शहर में 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. पंडित रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को उत्तर प्रदेश के बनारस शहर में हुआ था. बचपन में उनका नाम रोबिन्द्र था. रविशंकर के बड़े भाई उदय शंकर उन्हें 11 वर्ष की उम्र में 1930 में विदेश ले कर गए जहां पर उन्होंने अपने बड़े भाई के मार्गदर्शन में भारतीय और पाश्चात्य संगीत सीखना शुरू किया और बड़े भाई के स्टेज कार्यक्रमों में भी शामिल होने लगे. 1934 में उन्होंने मेहर मध्य प्रदेश में उस्ताद अलाउद्दीन खान का संगीत सुना. 1935 में 15 वर्ष की उम्र में वह उदय शंकर के यूरोप टूर में साथ गए, जिसमें उस्ताद अलाउद्दीन खान भी साथ में थे. वहां से लौटने के बाद पंडित पविशंकर जो की उस समय रोबिन्द्र थे, ने उस्ताद अलाउद्दीन खान से संगीत सीखने की इच्छा ज़ाहिर की तो उस्ताद अलाउद्दीन खान ने उन्हें पाशचात्य रंग को उतार कर भारतीय रंग में रंगने की बात कही. र्रोबिन्द्र ने सब कुछ त्याग कर पूरी लगन से संगीत सीखना शुरू कर दिया. उस्ताद अलाउद्दीन खान ने बड़े स्नेह से रोबिन्द्र को संगीत की शिक्षा दी. कभी भी उन्हें पीटा नहीं. एक बार जब नाराज़ होकर उस्ताद ने रोबिन्द्र से कह दिया कि तुम चूड़ियाँ पहन लो, तो रोबिन्द्र नाराज़ होकर उस्ताद का घर छोड़ कर जाने लगे तो उस्ताद ने उन्हें वापस बुलाया और फिर कभी नहीं टोका. कई वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद रोबिन्द्र मुंबई आ गए और बन गए रवि शंकर. उन्होंने फिल्म जगत में अपनी सक्रियता बढ़ा दी. उनके द्वारा संगीत निर्देशित पहली फिल्म ‘नीचा नगर’ कांस पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी. यह फिल्म 11 पुरुष्कारों के लिए नामांकित हुई थी. 1950 में सत्यजीत रे के साथ उनकी फिल्म पाथेर पांचाली में संगीत देने से शुरू हुआ ये सफ़र आगे भी जारी रहा, बाद में उन्होंने फिल्म ‘अपराजितो’ और ‘अपूर्व संसार’ में भी संगीत दिया. इकबाल के लिखे ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा’ की धुन भी पंडित रवि शंकर ने ही बनायी थी. पंडित रवि शंकर ऑल इंडिया रेडियो बम्बई से भी जुड़े रहे 1971 में उन्होंने वहां पर इस्तीफ़ा दे दिया.
विदेशों में भारतीय संगीत खासकर सितार को पंडित रविशंकर ने खूब प्रसिद्धी दिलाई. यहूदी मैन्युहन जैसे कई बड़े कलाकारों के साथ भी उन्होंने कार्यक्रम प्रस्तुत किये. मशहूर बैंड बीटल्स के जॉर्ज हैरीसन 1966 में उनके शिष्य बन गए. उन्होंने पंडित रविशंकर से विधिवत संगीत सीखा. बाद में इसकी झलक बीटल्स के संगीत पर भी दिखाई देने लगी. जॉर्ज हैरीसन भारतीय दर्शन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने लन्दन में अपनी ज़मीन शील प्रभुपाद के ‘इसकोन’ मंदिर हेतु दान में दे दी और स्वयं भी मंदिर से जुड़ कर मंदिर में गाई जाने वाले आरती की धुन भी बनाई. जब जॉर्ज हैरीसन का निधन हुआ तो उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति के अनुसार हुआ और उनकी अस्थियों भारत में हरिद्वार लाकर गंगा में प्रवाहित किया गया.
पंडित रविशंकर ने तीन शादियाँ कीं. उस्ताद अलाउद्दीन खान के बेटी रोशनआरा अन्नपूर्णा बन कर उनकी पहली पत्नी बनीं. जिससे वह 1971 में अलग हो गए. इसके बाद एक अंग्रेज़ महिला से उनका विवाह हुआ जिससे उनकी एक पुत्री नोरा जोन्स भी है जो कि पश्चिमी संगीत में अपना विशेष स्थान रखती है. तीसरी शादी सुकन्या देवी से हुई जिससे उनकी एक बेटी अनुष्का हुई जिसे पिता के साथ काफी समय बिताने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. अनुष्का ने अपने पिता के साथ दुनियाभर में कई कार्यक्रम प्रस्तुत किये है. उनके सितार में उनके पिता के शैली साफ़ झलकती है.
पंडित रवि शंकर 1986 में राज्य सभा सांसद बने और 1999 में उन्हें भारत रत्न से नवाज़ा गया. उनके निधन की खबर आते ही संगीतप्रेमियों का ग़मगीन होना स्वाभाविक था. कई राजनेताओं समेत बिरजू महाराज, गिरिजा देवी, पंडित जसराज, लता मंगेशकर, अनूप जलोटा समेत अनेक कलाकारों ने उनके देहांत पर शोक व्यक्त करते हुए उनसे जुड़े अपने संस्मरण सुनाए. राज्य सभा सदस्य जया बच्चन ने बताया कि कुछ ही समय पहले उनकी पत्नी सुकन्या देवी ने उन्हें फ़ोन किया था और बताया था की पंडित जी अमिताभ बच्चन से बात करना चाहते हैं और उन्होंने अमिताभ बच्चन से बात भी की थी.
सितार के सात तारों को यूँ तो कोई न कोई छेड़ता रहेगा पर अब वह पंडित रविशंकर नहीं कहलायेगा. तकनीक के इस युग में उनकी रिकार्डिंग उनके सुरों को जीवित रखेंगी. पंडित रविशंकर को भावभीनी श्रद्धांजली.
आपकी दिलचस्पी, आपका जुझारूपन, आपकी दायित्वनिष्ठा, आपका लेखन कौशल, आपका ज्ञान संग्रहण सब यहाँ आपकी कलम में परिलक्षित हो जाता है. बतौर लेखक और बतौर संगीतप्रेमी, कलाकार आपकी श्रद्धांजलि में हम अपना भी भाव देख ले रहे हैं. धन्यवाद.
dear lalit,
after a long time , i read your article and this article is one of the best article on pandit ji, it shows your knowledge of subject.
We also give पंडित रविशंकर को भावभीनी श्रद्धांजली.
Pradeep Tewari