डॉ. के. परमेश्वरन* : भारतीय स्तनपान प्रोत्साहन नेटवर्क ने आज से इस वर्ष के मनाए जाने की घोषणा की। इस वर्ष इस का शीर्षक है- ‘स्तनपान प्रोत्साहन- ममत्व के करीब’ । इस अवसर पर इस बात पर बल दिया गया कि स्तनपान को प्रोत्साहन देना ममत्व को प्रोत्साहन देना है और शिशु एवं छोटे बच्चों के श्रेष्ठतम विकास के लिए स्तनपान के बारे में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है।
स्तनपान तथा बालावस्था में अच्छी सेहत के महत्व को रेखाकिंत करती एक नीतिकथा इस प्रकार है:
एक देश के राजा और रानी अपार के धन एवं वैभव होने के बावजूद पुत्र के रूप में राजपरिवार के उत्तराधिकारी न होने के कारण काफी दुखी थे। वैवाहिक जीवन के कुछ वर्षों पश्चात उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। सारे राज्य में पूरे एक माह तक उत्सव का माहौल रहा। राजा ने राज्य के सभी साधू संतों का सम्मान किया तथा साथ ही उस दिन पैदा होने वाले सभी बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के जीवनपर्यंत खर्चे उठाने की घोषणा की। सभी दरबारियों को बड़े ईनाम दिए गए तथा शानदार भोजों का आयोजन किया गया जो लगभग एक सप्ताह तक चले।
कुछ माह बाद दृश्य बदला हुआ था। राजदरबार लगा हुआ था। स्वयं राजदरबार का वैभव और सौंदर्य देखते ही बनता था। यहां तक कि दरबार के स्तंभ भी रंगीन रत्न से सजे थे। दरबार के हॉल में सेवकों द्वारा विशाल पंखे झले जा रहे थे जिन पर प्राकृतिक रंगों में राजा के जीवन के विभिन्न दृश्य अंकित थे। दरबार के शानदार प्रवेशद्वार के बाहर दोनों ओर देश के सबसे प्रतिभावान कलाकारों द्वारा बजाए जा रहे नादस्वरम संगीत पर विशाल हाथी नृत्य कर रहे थे।
राजा अपने शाही सिंहासन पर विराजमान था और बगल में छोटे सिंहासन पर रानी विराजमान थी। दोनों के बगल में ही एक चमकते पालने में राजकुमार लेटे हुए थे। राजा और रानी दोनों के ही चेहरे पीले और मलिन थे। वे एक-दूसरे से बातचीत भी नहीं कर रहे थे। तनाव और चिंता उन राजसी चेहरों पर साफ देखी जा सकती थी।
समस्या यह थी कि राजकुमार में बैठने, खड़े होने अथवा घुटनों के बल चलने जैसे स्वस्थ विकास के कोई भी लक्षण नज़र नहीं आ रहे थे। हाल ही में राजकुमार के 7 माह पूरे हुए थे। राजा ने सभी दरबारियों से इस उलझन का हल खोजने का आह्वान किया।
दरबारियों ने चिकित्सकों की सलाह के लिए सुझाया। चिकित्सकों में कुछ तो आधी-अधूरी जानकारी रखने वाले नीम-हकीम थे, कुछ केवल धन के पीछे भागने वाले थे। कुछ आयुर्वेद को मानने वाले थे जबकि कुछ होम्योपैथी शाखा के थे। कुछ थे जो स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक जीवन शैली के हिमायती थे। सभी एक दूसरे की बातें काट रहे थे। उधर उदासी और अपने चिड़चिड़ेपन में डूबा राजा हर एक की बात काट रहा था।
ऐसा कुछ दिनों तक चलता रहा लेकिन राजकुमार की हालत में किसी प्रकार का सुधार नहीं आया। फिर कुछ ऐसा हुआ कि एक वरिष्ठ दरबारी का एक बूढ़ सन्यासी से मुलाकात हुई जो कई जटिल समस्याओं को सुलझाने के लिए मशहूर था। उस दरबारी ने सन्यासी को राजदरबार में आमंत्रित किया।
सन्यासी राजा के सामने झुका, रानी की ओर उदार मुस्कुराहट से देखा और फिर राजकुमार को झुक कर उसका जायजा लिया। छोटा राजकुमार करवट लेकर लेटा हुआ था और उसकी सांस बहुत धीमी चल रही थी। उसके शरीर रंग काफी पीला पड़ा हुआ था और मांस नहीं के बराबर था।
सन्यासी ने सीधे राजा की आंखों में गहराई से झांका जैसे उसे सारी बात समझ में आ गई। फिर उसने पवित्र भभूत का एक शानदार नक्काशी किया हुआ चांदी का बक्सा निकाला, उसने कुछ भभूत हाथ पर ली और पूरी ताकत से फूंक मारकर हवा में उड़ा दिया। सारा राजदरबार जैसे उस साधू की फूंक की आवाज़ से हिल गया और राख यहां वहां फैल गई लेकिन काफी सारी राख सिंहासन के पास गिर गई।
उस राख से 4-5 वर्ष का सुंदर बालक उत्पन्न हुआ। बालक पूरी भव्यता के साथ मुस्करा रहा था। वह राजा के समक्ष झुका और उसने बहुत ही मधुर और आकर्षक आवाज़ में बोलना शुरू किया। किसी गर्भवती स्त्री को क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं, पैदा हुए शिशु के लिए मां का पहला दूध, समय समय पर बालक का वजन मापना तथा यह सुनिश्चित करना कि विकास के सभी मापदंड सही समय पर पा लिए गए हैं; इन सभी बातों के विषय में बालक ने विस्तार से बताया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूनीसेफ दोनों ने ही बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान तथा छ: माह तक केवल स्तनपान कराने के निर्देश दिए हैं। जहां जन्म के कुछ समय बाद के स्तनपान से शिशु मृत्युदर में कमी आती है वहीं छ: माह तक केवल मां के दूध के सेवन से शिशु पेट के संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं।
वे व्यस्क जिन्हें भलीभांति स्तनपान कराया गया है उनके मोटापे की समस्या से ग्रस्त होने की संभावना कम रहती है। जिन्हें स्तनपान कराया गया है, वे बच्चे तथा किशोर बु्द्धिमत्ता के परीक्षणों में बेहतर परिणाम लाते हैं। स्तनपान से मां की सेहत के लिए भी अच्छा होता है। इससे बच्चेदानी एवं वक्ष के कैंसर के खतरे कम होते हैं।
*सहायक निदेशक, पसूका, मदुरै