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By Suresh Bhardwaj, Chandigarh : अब ३ जून में मात्र १ दिन शेष रह गया है। और देश के करोड़ों भाई बहनों में एक जोश है , जुनूने है, आक्रोश है, पराक्रम है, शोर्य है और स्वाभिमान हिलोरें ले रहा है। मौसम प्रतिकूल है- ४५-५० डिग्री तापमान है। वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या जिस पथ में बिखरे शुल न हों नाविक की धेर्य परीक्षा क्या जब धारा ही प्रति कुल न हो। प्रतिकूल अवस्थाओं में ही संघर्ष की असली पहचान होती है। और ४५-५० डिग्री ट्रेंपेचर पर भी देश के लाखों ही नहीं करोड़ों लोग अपने घरों से निकलेंगे और एक इतिहास ३ जून को बनने वाला है। ३ जून को सरकार ३ आरोप हम पर लगाने की तैयारी कर रही है ।
उसकी स्ट्रेटेजी साफ है – कि बाबा जी लोकतन्त्र और लोकतान्त्रिक संस्थाओं को कमजोर बना रहे हैं -ये घड़ा घडाया आरोप है उनका और सबके ऊपर लगाया है ये आरोप। जय प्रकाश जी से लेकर के लोहिया जी तक और तमाम क्रांति कारियों पर भी ये आरोप लगते रहे। ये अराजकता अशांति पैदा करते है, ये लोकतन्त्र और लोकतान्त्रिक संस्थाओं को कमजोर करते हैं और अपने आप को सरकार से उपर मानतें हैं तो इन तीन बातों का जवाब हमे अपने कर्म से देंना हैं -अपने अनुशासन से देना है, अपने योग निष्ठा और राष्ट्र निष्ठा से देना है। पहला ये जो आरोप हम पर लगाते हैं कि हम अराजकता और अशांति फेलाते हैं तो उसका जवाब हमे ये देना है -हमे विरोध करना है -सरकार कि गलत नीतियों का गलत व्यस्थाओं का । सरकार सही दिशा में काम नहीं कर रही। कलेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करके देश को नहीं दिला रही- तो हमे क्या करना है ?
विरोध के लिए सब लोगों को घर से बाहर निकलना है। आंदोलन के तीन क्षेत्र तय किए हैं- १ राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली २ फिर प्रान्तों कि राजधानी अलग- अलग स्टेट कैपिटल में और तीसरा ६ बजे के बाद सब कार्यक्रम खत्म हो जाएँगे तो प्रत्येक जिले में ६ बजे बाद रैलियाँ निकलेंगी जिससे कि पूरे देश में जागरण होगा। ये तीन बिन्दु होंगे और तीन बिन्दुओं के माध्यम से हमे जवान क्या देना है ? सबसे पहली बात -ये कहते हैं अराजकता और अशांति हम फेलातें हैं तो अपने सब कार्य कर्ताओं को, सब देश भक्त नागरिकों को हमारा ये आव्हान है, ये संदेश है, ये निर्देश है और इसका पूरी प्रामाणिकता के साथ पालन करना है ।
सरकार चाहे कितनी क्रूरता बर्बरता करे – हिंसा के लिए सरकार उकसाती है पहले वो सारे काम ही ऐसे करती है । कुटिलता , षड्यंत्र और इस तरह के कुचक्र। तो हमारा जे. पी. जी. के कहे अनुसार – ये बड़ा आदर्श वाक्य है – ’ हमला चाहे जैसा होगा हाथ हमारा नहीं उठेगा ।’ ये पुरी दूर तक ये बात जानी चाहिए । तो हमारी लड़ाई पुलिस से तो है नहीं और न पुलिस काला धन दे सकती है हमको। न उसके पास में ४०० लाख करोड़ काला धन है। वो हो हुक्म के गुलाम हैं जैसे सरकार आदेश करती है इनको रोक दो -रोक देती है , इनको गिरफ्तार करो -गिरफ्तार कर लेती है । हाँ उसमे अराजकता और अशांति फैलाने वाले तत्व भी जो हे वो भी काम करते हैं कुछ पार्टियों के गुंडे होते हें उसमे और कुछ जो है सरकार उसमे कुछ ऐसे चक्र व्यूह रच देती है इसमे कि पुलिस कि तरफ से चीजों को उकसाया जाता है और फिर कार्यकर्ता भी भड़क जाते हैं । तो एक ही मंत्र सब बोलेंगे ” हमला चाहे जैसा होगा -हाथ हमारा नहीं उठेगा ।”
ये बात -तो पुलिस के साथ हाथापाई नहीं करनी उससे कुछ हासिल नहीं होगा। मुद्दा पीछे छूट जाएगा और लड़ाई झगड़ा सामने आ जाएगा। दूसरी बात – जहां पुलिस रोके वहीं रुक जाना माना कि जो स्टेट कैपिटलस (प्रांतीय राजधानियों) में जो चल कर आ रहे हैं उनका लक्ष्य क्या है ? प्रांतीय राजधानियों में पहुँचना-रांची में पुहुंचना , पटना में पहुँचना , गोहाटी में पहुंचना, भोपाल में पहुँचना और जो है मुंबई में पहुँचना, हैदराबाद और बंगलोर में पहुँचना चेन्नई में पहुँचना और अलग -अलग स्टेटस कि जो जो राजधानियाँ हैं सब जगह -गांधीनगर पहुँचना , ये जो है देहारादून पहुँचना -सब जगह । लक्ष्य क्या है प्रान्तों में ?
प्रांतीय राजधानी । यहाँ दिल्ली के २०० किलोमीटर के रेडियस का क्षेत्र है -यहाँ के लोगों का लक्ष्य क्या है ? दिल्ली जंतर मंतर पहुँचना । लेकिन जंतर-मंतर पहुँच कर क्या करना है -विरोध प्रदर्शन ही तो करना है -सरकार की गलत नीतियों का गलत व्यवस्थाओं का , क्यू काले धन को राष्ट्रिय संपत्ति घोषित करने के लिए एफेक्टिव प्रोसीजर एडोप्ट नहीं करतीं । हमने तो एक ही बात कही है वैसे तो ७ उपाय सुझाये हैं हमने प्रधानमंत्री को अपने पत्र में कि काला धन वापस कैसे आएगा ? तुम कहते हो कि सातों बातें एक साथ नहीं कर सकते । काले धन के तीन अड्डे – एक बाहर जमा है -एक अंदर जमा है और एक काला धन एफ डी आई के माध्यम से आ चुका है -हमको खाली एफ डी आई के माध्यम से पैसा जो आया है जो लगभग २० लाख करोड़ रुपया है
ये किसका है ये बता दो। हमे तो खाली इतना सा बता दो ये जो तुम एफ डी आई के माध्यम से पैसा लेकर आए हो २० लाख करोड़ रुपए ये किसका है ? इसके मालिकों के नाम बता दो । इन्ही बेईमान लोगो पैसा यहाँ सोने में लगा है ,लेंड में रीयल इस्टेट में, ड्रग्स में ,पॉलिटिक्स में, काला बाजारी में सारे काले धंदों में ये लगा हुआ है। तो हम तो केवल इतना सा कह रहे हैं कि खाली एक काम तो कर दो – एफ डी आई ये काले धन की चाबी है , इसमे ये डिनाय नहीं कर सकते – एफ डी आई को ये डिनाय नहीं कर सकते -नकार नहीं सकते की नहीं आया है- आया है लेकिन मालिकों के नाम नहीं बताते । उन्ही से सारा रास्ता खुल जाता है।
काले धन की चाबी क्या है ? एफ डी आई। एफ डी आई आई है इसको ये डिनाय नहीं कर सकते। और जिनकी आई एफ डी आई उनका यहाँ भी जमा है और वहाँ भी जमा है बेईमानों का। यहाँ से सारा रास्ता खुल जाता है। तो हमारा काम है -प्रांतीय राजधानी और राष्ट्रिय राजधानी पर पहुँच कर के सरकार का विरोध करना और मांग करना – लोकतन्त्र में कहते हैं कि सरकार सबसे बड़ी होती है- लोकतन्त्र में जनता सबसे बड़ी होती है। जितना राइट लोकतन्त्र में प्रधानमंत्री को है, राष्ट्रपति को है ,उतना ही अधिकार इस देश के संविधान ने इस देश के आम नागरिक को दिया है। ये बात लोगों को समझनी है, जनता को अपनी ताकत पहचाननी है।
चाणक्य कहते हैं ” बार -बार सोचो मैरी शक्ति क्या है और मैरी भूमिका क्या है” ? ये आध्यात्मिक जीवन के संदर्भ में भी लागू होता है कि मेरे भीतर अपरिमित ज्ञान है ,असीम प्रेम है, अनंत करुणा है ये आत्मबोध आध्यात्मिक शिखर पर हमको लेकर के जाता है। और मेरे देश में अपरिमित शक्ति है मेरा देश दरिद्र नहीं है इसे दरिद्र बनाया गया है साजिश करके षड्यंत्र करके। खैर बात ये है प्रांतीय राजधानी और राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली जंतर -मंतर ये लक्ष्य है हमारा कुच करने का ,लेकिन जो सरकार के आरोप है उनसे बचने के लिए कि अराजकता और अशांति फैलाते है , लोकतंत्र और लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं को कमजोर करते है -इससे बचने के लिए क्या करना ! जहां पुलिस रोके वहीं रुक जाना वही हमारा जंतर – मंतर है -जहां रोक दिया वहीं जंतर – मंतर वहीं मंतर पढ़ना ।
जहां रोक दिया वहीं राजधानी है। और जहां गिरफ्तार कर लिया वहाँ गिरफ्तारी देना । और फिर भी अगर गड़बड़ करें ,पुलिस की तरफ से फिर गड़बड़ कर दें या जो है अपने राजनीतिक गुंडो के द्वारा ये गड़बड़ करवा दे । क्योकि हमारे पाँच हजार -दस हजार कार्यकर्ता उसमे घुसा दिया बीच में से और उसने बदमाशी कर दी । तो ध्यान रखना पड़ता है। कौन आदमी क्या कर रहा है । सब अपने कैमरे ऑन रखे । कोई भी गड़बड़ करे उसकी तुरंत क्लिपिंग लें और उसका कहें कि भाई ये क्या कर रहा है तू ? तू हमारा कार्यकर्ता नहीं हो सकता। तू देश भक्त नागरिक नहीं हो सकता। स्वामी जी ने आदेश दिया है कि ’ हमला चाहे जैसा होगा हाथ हमारा नहीं उठेगा ।’ पत्थर क्यूँ फैका, लाठी क्यों चलाई ? क्योकि लाठी चलाना और पत्थर फ़ैकना मकसद नहीं है।
पुलिस के साथ झड़प करना मकसद नहीं है, हिंसा और अराजकता, अशांति फैलाना मकसद नहीं है। काला धन लाना मकसद है। ये तो चाहते यही हैं कि ऐसा हो जाए। जिससे कि यही खबर बने कि वहाँ झड़प हो गई -वहाँ इतने कार्यकर्ताओ पर लाठी चल गई ,इतने कार्यकर्ताओं पर गोली चल गई इतने मर गए इतने मार दिये। ३ जून को तो हमारा तो देश बचाने का अभियान है – आंदोलन है और ३ जून से पहिले ही सरकार ये ३ तरह के षड्यंत्र रचेगी- ये अराजकता फैलाते हैं ये अशांति फैलाते है । इससे बचने के लिए ’ हमला चाहे जैसा होगा हाथ हमारा नहीं उठेगा ।’ चारों तरफ ये आवाज गूँजे पूरे हिंदुस्तान में। दूसरी बात- जहां पुलिस रोके वहीं रुक जाना -वही हमारा जंतर-मंतर है ,वही हमारा राष्ट्रिय राजधानी का आंदोलन हैं ,वही हमारा प्रांतीय राजधानी का आंदोलन है।
जहाँ रोकें वही रुकें। अभिप्राय: विरोध करने से है न -करोडों लोग निकलो न घर से बाहर -कोई नहीं रोक सकता। हमारी मांग जायज है, लोकतान्त्रिक है, कान्स्टीटुशनल है , जो मांग हम कर रहे है वह हमारा मौलिक अधिकार है, संवैधानिक अधिकार है, कानूनी अधिकार है, वह हमारा आध्यात्मिक कर्तव्य है। वेद में लिखा है भ्रष्ठ , बेईमान और चोर लोगों का हम पर राज नहीं होंना चाहिए। और भगवान राम और कृष्ण ने भी यही कहा । तो जो हम कर रहे है वो हमारा आध्यात्मिक कर्तव्य है, वो हमारा धार्मिक कर्तव्य है,वो हमारा राष्ट्रिय कर्तव्य है, वो हमारा नैतिक कर्तव्य है, वो हमारा मोलिक अधिकार है, वो हमारा मानवीय कर्तव्य है लेकिन उसको करना तरीके से । ‘अहिंसा पर्मोधर्म’ अहिंसा से ही ये योग शुरू होता हे और अहिंसा से ही ये राजयोग । राजयोग को हमारी ब्रह्मा कुमारी की बहने भी करती हैं। तो ये भी राष्ट्रिय योग भी राजयोग ही है ।
तो सुनो दो बातें – ’ हमला चाहे जैसा होगा हाथ हमारा नहीं उठेगा ।’ जहां पुलिस रोके वहाँ रुक जाना । वहीं खूंटा ठोक दें । तप करना। अरे, हमारे ऋषि मुनियों ने तप किया इस लिए ही तो हम जिंदा हैं । हमरी संस्कृति का आधार है तप। भगवान ने तप से ही इस सृष्टि को उत्पन्न किया और तप से ही राष्ट्र बचेगा । विलासिता से भोग से नहीं, हिंसा से, क्रूरता से बर्बरता से नहीं। तो जहां रोकें वहीं रुकें। जहां गिरफ्तार करने आए वहीं गिरफ्तारी दे दी। अब अगली बात कि देश में जीतने भी माओ वादी है, नक्सलवादी हैं, जितनी देश में गरीबी है,भूखमरी है, अभाव है, पीड़ा है, बेबसी है, लाचारी है, आत्म हत्याएं होती हैं , भूख से लोग मरतें हैं, अराजकता और अशांति तो इन्होने फैला रखी है। सरकार ने अपनी गलत नियत और गलत नीतियों के द्वारा। अगली बात ये कि आंदोलन के तीन केंद्र कौन -कौन से हो गए -राष्ट्रिय केंद्र -राष्ट्र की राजधानी में जंतर-मंतर -दिल्ली, और प्रांतीय स्तरपर -प्रांतीय राजधानी -स्टेट केपिटल और शाम को ये जब आंदोलन खत्म हो जाएगा -एक दिन का है न अभी तो ये । जब शाम को ६ बजे ये आंदोलन पूरा हो जाएगा -एक चरण- तो उस समय तक अगला आंदोलन कब करना है और कैसे होगा उसकी पूरी रूपरेखा रखेगे।
ये अभी थोड़ा सीक्रेट है। अभी तो ३ जून तक पता नहीं क्या-क्या होगा? इसलिए ३ जून के बाद क्या होगा ये उसी दिन तय होगा। ठीक है। अब ये लोग कहतें हैं कि इतने लोग विरोध करने के लिए बाहर निकलो -अब यदि जनता से इतना ही डर लगता है जनता से तो तुम अपने ठीक करो। ये तो जून में ४५-५० डिग्री का ट्रेम्प्रेचर है -थोडा मौसम अच्छा होता तो बता देता । और इस मोसम में भी निकलेंगे । तो इसमे लोगो को निमंत्रण कैसे देना है। इस आंदोलन के लिए निमंत्रण का तरीका क्या है ? चलो आओ दिल्ली चलते हैं। चलो आओ अपने -अपने देश कि राजधानी चलते हैं। चलो आओ शाम को ६ बजे घर भर का काम तो हो लिया अब देश बचाने चलते हैं। तो भाई एक दिन घर में आराम कर सको, हवा खा सको घर में, मेहनत भी की तो हजार -पाँच सो महनतना मिल जाएगा। पर यदि ३ जून को घर से बाहर निकले तो ४०० लाख करोड़ वापस लाने का रास्ता खुलेगा ये बड़ी बात होगी। अब रोज -रोज दुखी होने से अच्छा है एक दिन दुखी हो लो सारे । निरंतर संदेश प्राप्ति के लिए ०२२ ३३०८११२२ पर मिस काल कर के अपना रजिस्ट्रेशन करवा ले ताकि आप निरंतर आपस में जुड़े रहे। अब अलग्ग अलग लड़ने की जरूरत नहीं है। ३ जून को एक साथ अपने घरों से निकलेंगे ।
भारत माता की जय, वंदे मातरम, हिंदुस्तान जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद।