आज हरित क्रांति भारतीय सेना द्वारा शहीदी दिवश मनाया गया इस पर हरित क्रांति भारतीय सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सम्बोधित किया की आज भारत माँ के ३ लाल शहीदों का शहीदी दिवस है
राज गुरु ,सुखदेव ,और शहीद भगत सिंह आज ही के २३ मार्च के दिन इन तीनो सहीदों को फिरंगियों ने फांसी पर लटका दिया गया था !आज के इस शाहदत के दिन को हमें हमेशा याद रखना चाहिए की क्यों उन्होंने हँसते हँसते फांसी के फंदे को चूमते हुए अपने देशी की आजादी कि खातिर अपनी जान न्योछवर कर दी ! हमें शहीदों की शाहदत को हमेशा याद रखना चाहिए ,अपने देश को पूर्णतया स्वतंत्रता के लिए हमें स्वदेशी अपनाना होगा स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओ और देश बचाओ इस बात को हमें अपने जीवन में अपनाना होगा !
एक सवाल… ,आखिर वो ऐसा क्या कारन था की लाखों देश भगतों ने अपनी जान की बाज़ी लगनी पड़ी ???सवाल अटपटा है ,क्योंकि बच्चा बच्चा जनता है की वो देश को फिरनगियों की गुलामी से मुक्त करवाना चाहते थे ! क्या आप सब खुश है देश की इस आजादी से ? उत्तर है आज़ादी से कौन खुश नहीं होगा सभी खुश होंगे एक पक्षी भी पिंजरे से मुक्त होकर कितना खुश होता है फिर हम तो इन्शान है !भारत देश के निवाशियों के सामने एक कड़वी सच्चाई ये है की आज भी हमारे देश में फिरंगियों के बनाये हुए कानून ही चलते है जिसका सीधा सीधा फायदा दूसरे देशो को पहुँचता है !
हमारे देश की अपनी संस्कृति आज पतन की और है ,ये हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है ,हमारे देश के साहित्य की आज बेकद्री हो रही है , हमारी अपनी मातृ भूमि की भाषा की बेकद्री है ,और हम अंग्रेजी भाषा को बोलने में लिखने में अपनी शान समझते है ,भारत देश की गुलामी से पहले आजादी के समय में संस्कृत भाषा देश में कोने कोने में एक ही भाषा सामान्य थी जो हमारी तरक्की का कारन था हम एक दूसरे के राज्यों की भाषा समझते थे लेकिन आज अंग्रेजी भाषा सामान्य समझी जाती है यहाँ तक की हिंदी भाषा भी कई राज्यों में समझी नहीं जाती !
हमारा देश कृषि परधान देश है जिसमे अनाज से लेकर ,सब्जियां ,मशाले से लेकर आयुर्वेदिक दवाओं तक उत्पादन किया जाता है ,जिसके उत्पादन करने के लिए हम गोबर की खाद प्रयोग में लेन की बजाये ,और अपनी प्रकिर्तिक वनस्पति और गौ मूत्र से बनायीं गयी फशल पर छिड़कने वाली हर्बल दवा की बजाये विदेशी ज़ेहर का इश्तेमाल किया जाता है और उसके बदले नब्बे हज़ार करोड़ सो रूपये हर साल खरच किये जाते है ,जो हम विदेशी कम्पनियों के इस ज़ेहर खरीद करने के लिए देते है और उसी अनुपात से हमारा रुपया कमजोर पड़ जाता है और डॉलर की कीमत बढ़ती रहती है !
जब तक हम विदेश तकनीक द्वारा बनायीं गयी चीज़ें जिनको हम दैनिक जीवन में अपनाते है जैसे ,कोलगेट ,पेप्सी कोला ,कोका कोला ,कोल्ड्रिंक ,मैग्गी ,और पेसिटीसाईड-,इंस्टिक्टिसाईड ,यूरिआ ,डी.ऐ .पी और एलोपैथी दवा का इस्तेमाल अपने जीवन से नहीं हटाएंगे तब तक हम पूर्ण रूप से हम नहीं कह सकते की हम आज आजाद है!
हमारे दश में आज भी लगभग ३००० कानून तलवार की तरह हमारे सर पर लटक रहे है तब तक हम नहीं कह सकते की आज हम आजाद है अगर आप भारत माता के सच्चे सपूत हो ,यदि आप सच्चे मन से अपनी भारत माता को प्यार करते हो , और सच्चे मन से शहीदों को श्रद्धांजलि देना चाहते हो तो जैसे की श्रद्धेय राजीव दिक्षित जी ने कहा है आप पहले पूर्णतया स्वदेशी अपनाएं ,स्वदेशी बने ,स्वदेशी खाएं ,स्वदेशी पहने ,
कृषि जगत अपनाने वालो को चाहिए की हर किसान गौ पालन करे गौ के गोबर और गौ मूत्र से ही खाद का निर्माण करे अपने खेतों में नीम के पेड़ लगाएं जिनसे फशलों के लिए हर्बल कीटनशाक बनाये जा सकें और हर नीम के पेड़ के पास गिलोय लगायी जाये और नीम पर चढ़ाई जाये ,अपने घर आँगन में तुलसी का पेड़ लगाया जाये ! एक नारा है कृषक जगत के लिए —— ——- अपना बीज अपना खाद अपने देश का अपना स्वाद यही सच्चे मन से उन शहीदों को श्रद्धांजलि होगी ,,,,भारत माता की जय वन्दे मातरम ,वन्दे गौ मातरम ,वन्दे भू मातरम
सुरेश आर्य भट्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष
हरित क्रांति भारतीय सेना