भारत एनर्जी का देश है, आग का प्रयोग तो लाखों वर्षों से करते चले आ रहे हैं। लकड़ी एक बहुत बड़ा एनर्जी का स्रोत रहा। हवा भी एनर्जी है जिसके सहारे पाल द्वारा पानी की नावें चलती थी। आज गुजरात में हवा के द्वारा बिजली बनाई जा रही है। सूर्य या सोलर भी एनर्जी का केंद्र है जिसके द्वारा गुजरात में बड़े पैमाने पर तथा देश के अन्य भागों में सौर ऊर्जा के रूप लोग लाभ ले रहे हैं। जल भी बहुत बड़ी एनर्जी का केंद्र है। बाढ़ों की विकरालता से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पानी जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है ये तो सभी जानते हैं। भाप के द्वारा इंजन चलते हैं और तापीय बिजली बनाई जाती है। पानी की धार से लोहा भी काटा जा रहा है। पानी की धारा से टर्बाइन घुमाकर बिजली का सबसे सस्ता उत्पादन किया जा रहा है। पानी का उपयोग जन जीवन पीने आदि में होता है। पानी का भण्डारण पृथ्वी के अन्दर, वाष्प रूप में, पहाड़ों में वर्फ के रूपमें सदा रहता है तथा समय समय पर वर्षा के रूप में भी फ्री में पानी प्रकृति से मिलता रहता है पर हम इतने अभागे हैं कि इस अमूल्य धरोहर को बहाते रहते हैं बाद में पानी को मोल ले लेकर उपयोग करते हैं।
पानी के संरक्षण लिए जनता एवं सरकार दोनों को जागरूक होने की आवश्यकता है। जल का भण्डारण हमें घरों में, तालाबों में, झीलों में, खेतों में खाली पड़े स्थानों में करना सीखना चाहिए। वर्षा का पानी डिस्टल वाटर का काम करता है। तालाबों में सिंघाड़े, कमल मखाने, नारी तथा तरह तरह के फूलों की खेती होती है। तालों के पास के कुओं का जल स्तर ठीक रहता है। बंगाल तथा असम में हर घर के सामने तालाब बनाने की प्रथा है। तालाबों में बरतन, कपड़े धोने के साथ नहाने का भी काम होता है। मछलियां भी पाली जाती है तालाब के मेड़ों पर सुपाड़ी नारियल के पेड़ भी लगा दिए जाते हैं। और क्यारियाँ बनाकर तालाब के पानी से घर के लिए सब्जियां भी की जाती हैं। जानवरों को पानी भी पिलाया जाता है। आवश्यकता होने पर उबाल तथा छानकर घर के सदस्य भी इसे पी सकते हैं। प्रकृति प्रदत्त इतनी बड़ी सेवा को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। जल की प्रचुर मात्रा समुद्र में बहा देते हैं। इतनी इतनी बड़ी नदियां भारत में हैं फिर भी हम सूखा की मार झेलते हैं।हमें तो भारत से जल जैसी महत्वपूर्ण एनर्जी अरब आदि देशों में निर्यात करना चाहिए पर इनसे गंदा बदबूदार कीचड़ तेल खरीद कर वाहन चलाते हैं जिससे प्रदूषण ही प्रदूषण फैलता है। हे सरकार चलाने वाले लोगों जिसतरह अाप लोग पेट्रोल और डीजल पर पैसा पानी की तरह बहा रहे हो इसी तरह पानी के संरक्षण, भण्डारण तथा वितरण पर खर्च करो तो आप इस पानी के सद् उपयोग से ही माला माल हो सकते हो। ऐसी युक्ति लगाओ जिससे वर्षा का एक बूंद भी व्यर्थ न जाए।