By पंडित नीरज मिश्रा : इजाज़त फिल्म का गाना ‘मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है…’ सुनाने से पहले विविध भारती में बताते थे की आशा भोसले को 7 बार फिल्म फेयर पुरस्कार और 2 बार रास्ट्रीय पुरस्कार मिला है। एक राष्ट्रिय पुरस्कार इस गाने के लिए भी मिला है। कुछ पुरस्कारों की अहमियत होती है। उसी तरह ऑस्कर पुरस्कारों ने भी अपना एक मानक रखा है। ए आर रहमान को तमाम चैनलों द्वारा कितने पुरस्कार मिले हैं ये शर्तिया किसी को याद नहीं, शायद ए आर रहमान को भी नहीं होगा, लेकिन ऑस्कर….
ये तो सब को याद होगा।
नोबल पुरस्कार का भी एक स्टैण्डर्ड है, हर एक भारतीय की तरह मुझे भी गर्व है की हमारे भारत के नागरिक को, एक भारतीय को ये पुरस्कार मिला, परन्तु जब मै इसके दुसरे पक्ष को देखता हूँ तो लगता है की अगर इस स्थिति के नोबल पुरस्कार मिला, जबकि हर जगह हमे बच्चे काम करते दिखते हैं, तो हमे बाल मजदूरी को पूरी तरह दूर करने के लिए कम से कम 1000 नोबल पुरस्कार विजेताओं की जरुरत पड़ेगी। मै ना नोबल पुरस्कार विजेताओं की योग्यता पर शक कर रहा हूँ ना ही इस पुरस्कार के मानको पर। मेरा मानना है कुछ दौर ही बदल रहा है। ट्वेंटी ट्वेंटी के बल्लेबाज ज्यादा पसंद किये जाते हैं ना की लक्ष्मन जैसे टेस्ट प्लेयर जिनको कमेंट्रेटर एक अलग क्लास का बताते थे। मलाला युसूफज़इ को और समय देना था। ऐसा प्रतीत होता है की जैसे ये पुरस्कार मलाला के कामो को नहीं, गोली चलाने वाले को मिला हो।
फिर भी मै खुश हूँ की भारत पकिस्तान फिर से एक मंच पर आयेंगे और वो शांति की वजह से होगा।