सुभाष कम्बोज : चूने का पानी बच्चों के लिए अमृत की तरह लाभदायक है। इसके उपयोग से बच्चे निरोग एवं हृष्ट-पुष्ट बनते हैं। अगर बच्चे का जिगर खराब हो गया है या पुष्ट न हो या बच्चा मां का दूध फेंकता हो तो उसे चूने का पानी पिलाने से लाभ होता है। उसका हाजमा ठीक रहता है। अजीर्ण या बदहजमी के दस्त और अम्लता से पैदा हुई वमन चूने के पानी के सेवन से ठीक हो जाती है। इससे बच्चे कैल्शियम की कमी से होने वाले अनेक रोगों से बचे रहकर पुष्ट बनते है।
🔻सेवन विधि🔻
एक साल से कम बालक को जितने महीने का बालक हो उतनी ही बूँदें चूने का पानी दूध में (दो चम्मच दूध में एक बूँद चूने का पानी) मिलाकर सुवह-शाम पिलायें। एक साल से लेकर आठ साल तक के बच्चों को आधा कप दूध या पानी में 15 से 20 बूँद या चौथाई चम्मच दिन में 2-3 बार पिलाते रहें। बालकों के दूध के विकार मिटाने के लिए यह रामवाण है। 5-7 दिन में ही बालक की हालत में सुधार होने लगता है। दांत आसानी से निकलते हैं।
🔻चूने का पानी बनाने की विधि🔻
एक पुराने लेकिन साफ-सुथरे मटके में या किसी मिट्टी केे वर्तन में 60 ग्राम अनबुझे (बिना बुझे) चूने की डली डालकर उससे बीस गुणा अर्थात 1200 ग्राम पानी मिला दें। दिन में एक दो बार लकड़ी से हिला दें। चूना घुल जाएगा। फिर चौबिस घंटे बाद बीच का साफ पानी निथार कर किसी कपड़े से छानकर बोतल में भर लें। (ध्यान रहे बैठा हुआ चूना हिले नहीं और ऊपर वाली तह पर जमी हुई पपड़ी पहले उतार लेनी चाहिए।) यही लाइम वाटर है। इसे चूर्णोदक या चूने का पानी कहते हैं।चाहें तो इसमें 120 ग्राम पिसी मिश्री डालकर मीठाकर सकते हैं।”
भाई ये चूने के पानी की विधि है. इस विधि में जो चूना पानी के नीचे बैठा हुआ होता है , उसे प्रयोग कर सकते हैं . और एक तरीका है कि पान वाले से चूना खरीद ले . उसके पास चूना अच्छा व शोधित होता है. मात्रा लगभग चने के दाने के बराबर या कुछ अधिक कर सकते है.