शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज : भृगसहिता ज्योतिषशास्त्र भावो का महत्व
दशम भाव : विकास क्रम में कर्म का स्थान दसवाँ होता है ||
यह भाग कर्मक्षेत्र को प्रदर्शित करता है ||
इसका समन्वय राज्य व्यापार नौकरी में कैसे लोगो से सामना होगा और उनसे कैसे सम्बन्ध होगा इन बातो को बताता है ||
दशम भाव शुभ कर्मो के साथ जीविका का भाव केंद्र 1,4,7,10भाव में होने के कारण उसका प्रभाव लग्न में पड़ता है ||
क्योंकि लग्न आजीविका बतलाता है ||
अतः लग्न पर पाये गए प्रभाव आजीविका की सिद्घि दशम भाव के ग्रहो द्वारा युति युक्त है ||
इस भाव के शुभ होने पर व्यावसायिक क्षेत्र में सरलता से सफलता मिलती है ||
इसभाव से पिता की आर्थिक स्थिति का पता चलता है ||
कालपुरुष कुण्डली के अनुसार इसभाव में मकर राशि पड़ती है ||
जिसका स्वामी शनि है ||
मंगल ग्रह इसमें उच्च फल देता है ||
बृहस्पति नीचफल देता है ||
सूर्य कारक ग्रह है ||
इस भाव से श्वासरोग खांसी होशियारी चालाकी एवं दूसरो को धोखा देने अर्थात शुभाशुभ कर्मो का पता भी इसी भाव से चलता है ||
इसके अतिरिक्त इस भाव से साम्राज्ययोग जीवन की उंचाई राज्यकृपा शुभकर्म इस भाव से देखे जाते है ||
एकादश भाव
कुण्डली विकास कर्म में एकादशभाव को प्राप्ति स्थान की संज्ञा दी गयी ||
प्राप्ति आय आमदनी सब अलग अलग शब्द है ||
परन्तु इन सबका अर्थ एक ही है ||
इस भाव का एक नाम अवसर भी है ||
यह भाव शुभ तो जातक जीवन में शुभअवसर हमेशा प्राप्त करता है ||
अतः भाग्य की ऊंचाई का कारक है ||
यह भाव लालच का भी प्रतीक है ||
दूसरे की बिना परवाह किये जातक किस सीमा तक लाभ ले सकता है
यह भाव दर्शाता है ||
कालपुरुष की कुण्डली के अनुसार एकादशभाव में कुम्भराशि पड़ती है ||
जिसका स्वामी शनि है ||
कुछ हद तक शनि कारक भी है ||
जो शरीर की सक्रियता को दर्शाता है ||
रिश्तों में बड़े भाईबहन का कारक है ||
शरीर में बांये हाथ को दर्शाता है ||
ससुराल से धनप्राप्ति बड़ेभाई की स्थिति हवाईयात्रा हिंसकप्रवृत्ति चोटयोग माँबहनो के सुखो में कमी आदि को स्पष्ट करता है ||
द्वादश भाव
द्वादश स्थान को भोग स्थान एवं व्यय स्थान की संज्ञा दी जाती है ||
द्वादश भोग स्थान है अतः जातक अपनी पति पत्नी से कितना सुख पायेगा यह भाव दर्शाता है ||
कालपुरुष कुण्डली के अनुसार द्वादश भाव में मीन राशि पड़ती है जिसका स्वामी बृहस्पति है ||
बुध यहाँ पर नीच फल देता है ||
और शुक्र उच्च फल देता है ||
शुक्र के उच्च फल के कारण यह स्थान भोगविलास से सम्बन्ध रखता है ||
द्वादश भाव पाँव को दर्शाता है ||
जातक की बायीं आँख की स्थिति का पता इसी भाव से चलता है ||
इसी भाव से जातक के सोने और स्वप्न देखने का भी विचार किया जाता है ||
घर के अंदुरनी हिस्सा कैसा रहेगा पता चलता है ||
यहभाव पड़ोस की हालात को दर्शाता है ||
द्वादश भाव जातक के दिमाग में होने वाले उन विचारो से सम्बंधित होता है जो स्वयं की सोच से नही जो माहौल से उत्प्नन होते है ||
अतः इस भाव को आशीर्वाद और श्राप का घर भी कहते है ||
शरीर में यह वातरोग का कारक है ||
दृष्टिहीन शुक्र की स्थिति से धनयोग पैरो में चोट जल से हानि गुणों का अतिव्यय जीवन साथी का अन्यत्र लगाव एवं मोक्ष भी द्वादश भाव से सम्बन्ध रखते है ||
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