प्रियंका शर्मा : एकबार विष्णुजी क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर विश्राम कर रहे थे और लक्ष्मीजी पैर दबा रही थी || उसी समय महर्षि श्रेष्ठ दर्शनीय बी वैकुण्ठ पहुंचे || विष्णुजी के द्वारपाल जय-विजय ने प्रणाम कर बोले इस समय भगवन विश्राम कर रहे है आपको जाने देना सम्भव नही है ||
महर्षि रुष्ट हो गए और जय-विजय को श्राप दे दिया कि मुझे दरशनार्थ रोकने के कारण आपदोनो को 3 बार राक्षस योनि में जन्म लेकर पृथ्वी पर रहना होगा || जय-विजय नतमस्तक हो गए और भृग ऋषि विष्णु जी के पास चले गए और वहाँ विष्णु जी को शयन करते देख क्रोधित होकर बोले विष्णुजी ! मुझे देख कर जानबूझ कर आँखे बन्द कर ली !!! और मेरी अवज्ञा कर रहे है !!! भृगऋषि क्रोध के कारण विष्णुजी के वक्ष-स्थल पर अपने दांये पैर से प्रहार कर दिया || विष्णुजी की आँख खुल गयी और बोले हे वत्स ! आपके पैर कोमल है और मेरी छाती वज्र के समान कठोर है कहीं आपके पैर में चोट तो नही लगी मैं क्षमा प्रार्थी हूँ वत्स !!!
इतना सुनते ही भृगुमहर्षि जी का क्रोध शांत हो गया क्षमा याचना कर स्तुति करने लगे || पर लक्ष्मीजी ने अपने पति के अपमान के कारण भृगुऋषि को श्राप दे दिया लक्ष्मी जी बोली हे ब्राह्मण !!! तूने मेरे पति का निरादर किया है अतः मैं तुम्हे श्राप देती हूँ कि तुम्हे व तुम्हारे सजातियो के घर में मेरा अर्थात लक्ष्मी का वास नही होगा वे दरिद्र बने भटकते रहेगे ||
तब महर्षि भृगु जी बोले हे लक्ष्मीजी ! मैंने क्रोधावश जो अपराध किया उसकी क्षमा विष्णुजी से मांग ली पर आपने संयम न रख कर ब्राह्मणों को जो श्राप दिया है वह आपके पद व सम्मान के योग्य नही है || श्राप तो ठीक है पर मैं अपने सजातीय ब्राह्मणों की प्रतिष्ठार्थ आजीविकार्थ ऐसे ज्योतिष का निर्माण करूँगा जिसके आधार पर वे प्राणी मात्र का भूत-भविष्य-वर्तमान का ज्ञान करा दक्षिणा रूपेण धनोपार्जन करेगे || और आपको विवश होकर हमलोगो के पास रहना पड़ेगा || ऐसा कह कर भृगुऋषि अपने आश्रम लौट आये और एक ज्योतिष ग्रन्थ की रचना की जिसका नाम “भृगु-संहिता” पड़ा |? भृगुऋषि ने सर्वप्रथम इस ग्रन्थ का ज्ञान अपने पुत्र और शिष्य शुक्र को दिया जिससे समस्त ब्राह्मण समाज में और विश्वभर में यह ग्रन्थ विख्यात हो गया ||
पूज्य गुरु शिवयोगीजी कहते है कि इस समय भृगु संहिता कही भी उपलब्ध नही है अपितु भृगु संहिता के नाम से कुछ ग्रन्थ यत्र तत्र अपूर्ण प्राप्त है || गुरूजी के अकथ परिश्रम से कुछ सामग्री प्राप्त की गयी है जो आप सबको दी जायेगी ||