प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले मॉनसून में पानी की एक-एक बूंद बचाने का आह्वान किया है। ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 19 वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और गंगा की सफाई सहित कई अहम मुद्दों पर अपने विचार लोगों के साथ साझा किए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को मिट्टी की जरुरत पड़ती है, खेत में मिट्टी फसल के उगाने के काम आती है। क्यों न हम इस बार गाँव के तालाबों से मिट्टी उठा- उठा कर खेतों में ले जाएं, इससे खेत की ज़मीन भी ठीक होगी और उसकी जल-संचय की ताकत भी बढ़ जाएगी।
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पानी रोकने के उपायों के बारे में उन्होंने कहा कि कभी सीमेंट या खाद के खाली बोरे में पत्थर और मिट्टी भरके जहाँ से पानी जाने के रास्ते हैं, वहां लगाकर उस पानी को रोका जा सकता है क्या ? पाँच दिन पानी रुकेगा, सात दिन पानी रुकेगा, तो पानी ज़मीन में जाएगा। ज़मीन में पानी का स्तर ऊपर आएगा। हमारे कुओं में पानी आएगा। जितना पानी हो सकता है, रोकना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने किसानों से जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए ऐसी फसलों का चयन करने की अपील की जिनमें पानी की ज़रूरत कम हो। इस संबंध में उन्होंने महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के हिवरे बाज़ार गांव का उदाहरण दिया।
हिवरे बाज़ार ग्राम पंचायत के लोगाों ने पानी को गाँव के एक बहुत बड़े संवेदनशील मद्दे के रूप में देखा। जल संचय करने की इच्छा करने वाले तो कई गाँव मिल जाते हैं, लेकिन यहां के लोगों ने आपस में बातचीत करके पूरे फसल चक्र को ही बदल दिया।
गांव वालों ने ऐसी फसल, जो सबसे ज्यादा पानी उपयोग करती थी, चाहे गन्ना हो, केला हो, को छोड़ने का निर्णय कर लिया। सुनने में बात बहुत सरल लगती है, लेकिन इतनी सरल नहीं है। सबने मिल करके कितना बड़ा संकल्प किया होगा ? कोई कारख़ाने वाला पानी का उपयोग करता हो, तो उससे कहेंगे कि तुम कारख़ाना बंद करो, क्योंकि पानी ज्यादा लेते हो, तो क्या परिणाम आएगा, आप जानते हैं। लेकिन हिवरे बाज़ार के किसानों को लगा कि भाई, गन्ना बहुत पानी लेता है, तो गन्ना छोड़ो, उन्होंने छोड़ दिया और ऐसी फसलों पर चले गए, जो पानी कम लेती हैं।
प्रधानमंत्री ने एनसीसी, एनएसएस जैसे युवा संगठनों से देशभर में सूखे और जल संरक्षण को एक अभियान के तौर पर चलाने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने गंगा नदी की स्वच्छता पर ज़ोर देते हुए कहा कि गंगा न केवल मोक्षदायिनी है बल्कि जीवनदायिनी भी है। प्रधानमंत्री ने गंगा की स्वच्छता के लिए राज्यों के सहयोग के साथ-साथ जनभागीदारी को भी अहम बताया और कहा पिछले दो सालों में गंगा की स्वच्छता का काम बहुत तेजी से हुआ है।
नरेन्द्र मोदी ने देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की वकालत करते हुए कहा अब हमें साक्षरता प्रसार की जगह शिक्षा की गुणवत्ता को प्राथमिकता देनी होगी।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक करोड़ लोगों द्वारा रसोई गैस सब्सिडी छोड़े जाने पर जनता-जनार्दन का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह सफलता असामान्य है जो कि साबित करती है कि अगर जनता पर भरोसा रखकर काम करें, तो कितनी बड़ी सिद्धि मिल सकती है।
प्रधानमंत्री ने सकारात्मक माहौल के निर्माण पर ज़ोर देते हुए कहा कि जितना हम अच्छाई पर बल देंगे, उतनी ही बुराइयों के लिए जगह कम रहेगी। प्रधानमंत्री ने साथ ही सकारात्मक खबरों को लेकर चलाई जा रही वेबसाइट ‘Transforming India’ का भी जिक्र किया।
Yes, we can conserve lots of water through simple techniques .
We need to divert roof water into unused bore wells, wells or consume by storing them in over head tanks .
This monspon season, let’s do whatever we can for harvesting water .
The people residing in metros, suburbs, big, small cities can participate in Water Harvesting by donating PVC pipes and fittings to nearby villagers, farmers or poor people .
Farmers have capabilities to transform the country but they lack monetary support .
Let’s also plant 2 to 3 trees per family also on both sides of nearby roads .We must keep our surroundings Green and Clean for well being of all .