“हिन्दू” शब्द तो हमको विदेशियों ने दिया जिसका सम्बन्ध सिंधु नदी के साथ है . हम वास्तव में “सनातन धर्मी” हैं. अर्थात, वह धर्म जिसका विकास मानव के विकास के साथ ही हुवा. यही बात हमारे त्योहारों में भी दिखाई देती है. भारतवर्ष में हर ऋतु के अनुसार उसी प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं. कुछ त्योहारों के साथ कुछ घटनाओं का भी सम्बन्ध है लेकिन ऋतु, परिस्थिति और प्रकृति से सभी त्यौहार सम्बंधित अवश्य हैं. उदहारण के तौर पर सर्द भरी अमावश्या की अँधेरी रात में दीप जला कर उजाला करना (दीपावली), बषन्त ऋतु की मदभरी रंगीन परिस्थिति में प्रकृति के अनुसार रंगों का मस्त त्यौहार “होली” आदि आदि. ठीक उसी प्रकार गर्मियों में पतझड़ के बाद सावन के मौसम में आने वाली हरियाली का स्वागत करने और अच्छी फसल के द्वारा समृद्धि प्राप्त करने के लिए “हरेला” का त्यौहार मनाया जाता है.
जी हाँ, आज ही है उत्तराखंड का प्रसिद्ध त्यौहार “हर्याव” यानि “हरेला”. सभी को हरेला की बहुत बहुत बधाई. आप हर छेत्र में सफल हों और आपको समृद्धि प्राप्त हो.