शाहाबाद (म): – आज दिनांक 26-07-2015 को संत निरंकारी भवन में सेवादल रैली का आयोजन किया गया | इस सेवादल रैली में लगभग 240 सेवादल सदस्यों नें भाग लिया जिसमें से 114 महापुरुष, 90 बहने और 36 बाल सेवादल के सदस्य उपस्थित थे| सबसे पहले सेवादल के सदस्यों नें पिटी परेड में भाग लिया उसके पश्चात मीटिंग की कार्यवाही शुरू की गयी तदुपरांत सभी नें मिल कर सत्संग का आनंद उठाया| इस रैली का आयोजन श्री सुरिंदर पाल सिंह जी, स्थानीय संयोजक, और श्री गुरदयाल सिंह जी संधु, क्षेत्रीय संचालक, संत निरंकारी मंडल, की मौजूदगी में हुआ |
मीटिंग की कार्यवाही स्थानीय संयोजक श्री सुरिंदर पाल सिंह जी के सन्देश से शुरू हुई जिसमें उन्होंने संत निरंकारी मिशन के सन्देश को जन जन तक पहुँचने की बात कही| उसके बाद श्री गुरदयाल सिंह जी संधु नें जहाँ इस अवसर पर आए हुए सेवादल का उत्साह बढ़ाया वहीँ उन्होंने यह भी बताया के 9 अगस्त 2015 दिन रविवार को इसी भवन पर रक्त दान शिविर का आयोजन किया जाएगा| उन्होंने आए हुए सभी सेवादल के सदस्यों को इस अवसर पर बढ़ चढ़ कर भाग लेने का आह्वाहन किया| स्थानीय संचालक श्री सांवला राम जी बत्रा नें आने वाले रक्त दान शिविर के आयोजन के लिए सेवादल में अनेक प्रकार की सेवाओं का वितरण किया जिस से यह रक्त दान शिविर सुचारू रूप से संपन्न हो सके |
मीटिंग के बाद सत्संग का आयोजन हुआ जिसमें श्री सुरिंदर पाल सिंह जी नें अपने जीवन को सतगुरु को समर्पित करने की बात कही| उन्होंने आगे बताया के जैसे हम सभी धन दौलत में से दस्वन्त निकलते हैं वैसे ही हमे अपने समय में से भी दस्वन्त निकलना चाहिए और सतगुरु को समर्पित होना चाहिए| उन्होंने आगे कहा के जो भी ऐसा करते हैं उनके जीवन में परिवर्तन आ जाता है और जीवन सहज हो जाता है | जैसे अगर मनुष्य अपने मन को अपने वश में नहीं कर पाया तो उसके जीवन में सहजता आने वाली नहीं, कहा भी गया है “मोड़ के मन नु दुनिया वल्लों चित गुरु दी चरणी ला” इसलिए जो भी अपने मन को दुनिया से मोड़ कर सतगुरु के चरणो में लगा देता है उसके जीवन में सहजता आना अनिवार्य है | उन्होंने अपने सन्देश में सेवादल के सदस्यों को भी अनुशासन की महत्ता के बारे में बताया और यह भी कहा कि सेवादल के सदस्य यह भ्रम न पाले के हम संगत से अलग है बल्कि यह समझे के सेवादल संगत का ही भाग है और उसी में से निकल कर आए है इसलिए संगत और आम जनता की सेवा करना और परोपकार की भावना से जीना ही सेवादल का कर्तव्य है और रक्त दान सबसे बड़ा परोपकार है| उन्होंने आगे संगत के सदस्यों से भी सेवादल का सहयोग करने की बात कही और उनको भी रक्त दान के लिए बढ़ चढ़ कर भाग लेने का आह्वाहन किया| उन्होंने आगे बताया के सतगुरु जब जीवन में आते है तो इंसान का जीवन बदल जाता है और जब इंसान सतगुरु के वचनों को जीवन में अपना लेता है तो वह जहाँ भी जाता है उसे इज्जत और प्यार मिलता है| और दुनिया के सभी लोग उस इन्सान पर ऐतबार करते है | इसलिए इंसान को चाहिए के जो भी सतगुरु के मुखारविंद से वचन आए उसको अपने जीवन में अपनाये और लागू करे| यह रक्त दान भी बाबाजी का आदेश है और हम सभी नें इस आदेश की पालना करनी है| उन्होंने कहा कि जीवन तो निरंकार भगवान देता है लेकिन जीवन जीने की कला सतगुरु सिखाता है| इसलिए जैसे जैसे सतगुरु का सन्देश आता चला जाए अपने आप को उस पर न्योछावर कर दें| उन्होंने यह भी कहा के जो भी सन्देश यहाँ संत महापुरुषों नें दिया है उसे सिर्फ सुनने की जरूरत नहीं है बल्कि अपने जीवन में अपनाने की भी जरूरत है ताकि ये बोल जीवन में एकरूपता ला सके और हमारे कर्मो में ढल जाए | उन्होंने आगे बताया के जब किसी पिता का कोई पुत्र अपना नाम रोशन करता है और जब उस पिता को उसके पुत्र के अच्छे कर्मो की वजह से उसके पुत्र के नाम से पुकारा जाता है तब उस पिता को बहुत ख़ुशी होती है ऐसे ही सतगुरु भी जब ऐसे ही अपने भक्तो के अचे कर्मो की वजह से जाना जाए तो सतगुरु भी बहुत प्रसन्न होते है| और अंत में उन्होंने रक्त दान शिविर के सफल आयोजन की अरदास की |