मद्रास हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में मध्यस्थता संबंधी अपने विवादित आदेश को आज वापस ले लिया है।
गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में अनूठा फैसला सुनाया था। जज ने दोषी को जमानत दे दी थी ताकि वह पीड़िता के साथ समझौते की प्रक्रिया में शामिल हो सके।
अपने फैसले का उद्देश्य बदलते हुए उच्च न्यायालय ने दुष्कर्मी की अंतरिम ज़मानत भी रद्द कर दी है, और दोषी को 13 जुलाई तक आत्मसमर्पण करने का आदेश जारी किया है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता और अपराधकर्ता के बीच मध्यस्थता के किसी प्रयास पूरी तरह से अनुचित और अवैध करार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामले में दोनों के बीच शादी कराने को लेकर मध्यस्थता के उच्च न्यायालय के आदेश को पूरी तरह से खारिज कर दिया।