राजेश सूद : हिन्दू संस्कृति में अनेको ऐसी प्रथाए हैं जिसे आज के विज्ञानिक भी उचित मानने लगे हैं, आज बहुत से विदेशी वैज्ञानिक भारतीय संस्कृति में शोध कर रहे हैं । आज ॐ शब्द के वैज्ञानिक महत्त्व पुरे विश्व समझ रहा हे परंतु हमारे देश में बहुत से लोग आज तक इसके महत्त्व को नहीं समझ पायें। आज में आपको ॐ जे महत्त्व को बताने जा रहा हूँ।हिंदू में ॐ शब्द के उच्चारण को बहुत शुभ माना जाता है.प्रायः सभी मंत्र ॐ से शुरू होते है. ॐ शब्द का मन, चित्त,बुद्धि और हमारे आस पास के वातावरण पर सकारात्मकप्रभाव पड़ता है. ॐ ही एक ऐसा शब्द है जिसे अगर पेट सेबोला जाए तो दिमाग की नसों में कम्पन होता है. इसकेअलावा ऐसा कोई भी शब्द नही है जो ऐसा प्रभाव डाल सके.
ॐ शब्द तीन अक्षरो से मिल कर बना है जो है "अ", "उ" और"म". जब हम पहला अक्षर "अ" का उच्चारण करते है तोहमारी वोकल कॉर्ड या स्वरतन्त्री खुलती है और उसकी वजहसे हमारे होठ भी खुलते है. दूसरा अक्षर "उ" बोलते समय मुंहपुरा खुल जाता है और अंत में "म" बोलते समय होठ वापसमिल जाते है. अगर आप गौर से देखेंगे तो ये जीवन का सारहै पहले जन्म होता है, फिर सारी भागदौड़ और अंत मेंआत्मा का परमात्मा से मिलन.
ॐ के तीन अक्षर आद्यात्म के हिसाब से भी ईश्वर और श्रुष्टिके प्रतीकात्मक है. ये मनुष्य की तीन अवस्था (जाग्रत, स्वपन,और सुषुप्ति), ब्रहांड के तीन देव (ब्रहा, विष्णु और महेश)तीनो लोको (भू, भुवः और स्वः) को दर्शाता है. ॐ अपने आपमें सम्पूर्ण मंत्र है.