यहां जारी बयान में पंजाब कांगे्रस ने कहा कि केजरीवाल के लिए सच के प्रति कोई इज्जत नहीं है और वह सिर्फ सुॢखयां हासिल करने हेतु झूठों, आरोपों व सनसनी का सहारा लेते हैं। जिनके ताजा आरोप में कोई आधार नहीं है, बल्कि उनकी कल्पना है।
केजरीवाल के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुखङ्क्षजदर ङ्क्षसह रंधावा, राणा गुरजीत ङ्क्षसह व केवल ढिल्लों ने उन्हें मामले बारे बात करने से पहले उसका इतिहास देखने की सलाह दी है। वह पहले अपने तथ्य सही करें, जिनके बयान से पता चलता है कि केजरीवाल तथ्यों की बजाय अज्ञानता के आधार पर बोल रहे हैं।
पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने केजरीवाल द्वारा कैप्टन अमरेन्द्र ङ्क्षसह के खिलाफ मोहाली की एक अदालत में केस बंद होने की संभावना जताते हुए एक अखबार में दिए बयान पर यह प्रतिक्रिया जाहिर की है।
उन्होंने हैरानी जताई कि किन साधनों से मिली जानकारी के आधार पर केजरीवाल ने कहा है कि केस बंद हो रहा है। या फिर अकाली-भाजपा सरकार ने उन्हें एडवांस में जानकारी दे दी है।जबकि हर कोई इस सच्चाई को जानता है कि कैप्टन अमरेन्द्र ने 2002 में भ्रष्टाचार के मामले में प्रकाश ङ्क्षसह बादल व उसके बेटे सुखबीर बादल को जेल भेजा था और कोई नहीं कह सकता है कि उनके मध्य कोई मिलीभगत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि कैप्टन अमरेन्द्र ने बादल को जेल भेजा था और वह एक बार फिर से ऐसा करने में झिझकेंगे नहीं।
उन्होंने कहा कि केस बारे कहना बहुत जल्दी होगी, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है। जबकि केजरीवाल को पता होना चाहिए कि यह केस कैप्टन अमरेन्द्र को 13वीं विधानसभा से निकाले जाने के बाद द्वेष की राजनीति के तहत दर्ज किया गया था। जिस निकालने संबंधी आदेश को सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय संविधानिक बैंच ने सर्वसम्मति से रद्द कर दिया था और अकाली सरकार की सख्त ङ्क्षनदा की थी।
जबकि केस संबंधी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यह केस पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने हरीश राय ढांडा के नेतृत्व वाली पंजाब विधानसभा की कमेटी की एक रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किया गया था, जो उस वक्त एक अकाली विधायक थे। जिनकी सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट के संविधानिक बैंच द्वारा रद्द किए जाने समेत सख्त ङ्क्षनदा की गई थी।
उन्होंने खुलासा किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा कमेटी की रिपोर्ट को रद्द कर दिया था, जिस आधार पर पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने केस दर्ज किया था, तो कैसे यह केस कानूनी जांच में खड़ा रह सकेगा। उन्होंने कहा कि विजीलैंस ब्यूरो मामले में सबूत पेश करने के लिए सख्त मेहनत कर रहा है और अदालत से अधिक से अधिक समय मांग रहा है।
कांगे्रसी विधायकों ने कहा कि अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर विजीलैंस ब्यूरो को दोबारा से केस की जांच करने को कहा था, जिन निर्देशों ने कैप्टन अमरेन्द्र की 13वीं विधानसभा में सदस्यता बहाल कर दी थी और चुने प्रतिनिधि को निकालने हेतु बहुमत का दुरुपयोग करने को लेकर राज्य सरकार को खरी खोटी सुनाई थीं।