तिल’ शब्द का व्यवहार संस्कृत में प्राचीन है, यहाँ तक कि जब अन्य किसी बीज से तेल नहीं निकाला गया था, तव तिल से निकाला गया। इसी कारण उसका नाम ही ‘तैल’ (=तिल से निकला हुआ) पड़ गया। अथर्ववेद तक में तिल और धान द्वारा तर्पण का उल्लेख है। भ पितरों के तर्पण में तिल का व्यवहार होता है।
आयुर्वेद में इसको बुद्धि और नसों के लिये गुणकारी बताया गया है। । एक आउंस (२८ ग्राम) तिल में १६० कैलोरी होती हैं, इसीलिये यह शरीर को उर्जा प्रदान करता है।[और आश्चर्य की बात यह है कि बहुत अधिक खाने पर मोटापा कम करने में सक्षम है । इसमें निहित कुल कैलोरी का ¾ भाग वसा से मिलता है, शेष कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन से मिलता है। इसका ग्लाईसेमिक लोड शून्य होता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट बहुत कम होता है। इस कारण से मधुमेह के रोगी भी ले सकते हैं। तिल में वसा तीन प्रकार की होती है: एकल असंतृप्त वसीय अम्ल और बहु असंतृप्त वसीय अम्ल। यह लाभदायक वसा होती है, जो शरीर में कोलेस्टेरोल को कम करता है और हृदय रोगों की आशंका भी कम करता है। इसके अलावा दूसरा प्रकार है ओमेगा – ३ वसीय अम्ल। ये भी स्वास्थवर्धक होता है। इसमें संतृप्त वसीय अम्ल बहुत कम और कोलेस्टेरोल नहीं होता है। फाईबर या आहारीय रेशा, यह पाचन में सहायक होता है और हृदय रोगों से बचने में भी सहायक रहता है, तथा पेट को अधिक देर तक भर कर रखता है। इस कारण कब्ज के रोगियों के लिये लाभदायक रहता है। तिल में सोडियम नहीं होने से उच्च रक्तचाप रोगियों के लिये भी लाभदायक रहता है। इनके अलावा पोटैशियम, विटामिन ई, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस भी होते हैं।[3]
वैद्यक में तिल भारी, स्निग्ध, वात कफ पित नाशक , बलवर्धक, केशों को हितकारी, स्तनों में दूध उत्पन्न करनेवाला, मलरोधक और वातनाशक माना जाता है।
तिल के समक्ष पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम पदार्थ अन्य कोई भी नही है! तिल का तेल अमृत कहलाता है
तिल का तेल में पाये जाने वाले अनेक धटक हैं कुछ संक्षिप घटकों के बारे में जानकारी..
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घटक निर्दिष्ट…. स्वास्थ्य कार्य
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 580 किलो कैलोरी 2420 kJ
कार्बोहाइड्रेट 20 g
– शर्करा 5 g
– आहारीय रेशा 12 g
वसा 51 g
– संतृप्त 4 g
– एकल असंतृप्त 32 g
– बहुअसंतृप्त 12 g
प्रोटीन 22 g
थायमीन (विट. B1) 0.24 mg 18%
राइबोफ्लेविन (विट. B2) 0.8 mg 53%
नायसिन (विट. B3) 4 mg 27%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5) 0.3 mg 6%
विटामिन B6 0.13 mg 10%
फोलेट (Vit. B9) 29 μg 7%
विटामिन C 0.0 mg 0%
विटामिन E 26.22 mg 175%
कैल्शियम 248 mg 25%
लोहतत्व 4 mg 32%
मैगनीशियम 275 mg 74%
फॉस्फोरस 474 mg 68%
पोटेशियम 728 mg 15%
जस्ता 3 mg 30%
(प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी
सिफारिशों के सापेक्ष हैं.)
स्रोत: USDA Nutrient database
प्रोटीन… कोलेस्ट्राल को कम करना, मोटापा कम करना, उम्र बढ़ने से रोकना, कैंसर रोधी
प्रोटीन हाइडोंलाइजेट… षोषक, मोटापा कम करना, उच्च रक्त चाप से बचाव
लेक्टिन …. प्रतिरक्षा क्रिया
टिंप्सिन इन्हीबिटर…. कैंसर रोधी
आहार फाइबर वसा को कम करना, पेट कैंसर रोधी
ऑलिगो-सैकराइड …. आंतों में पाए जाने वाले बिफीडो बैक्टीरिया के लिए लाभदायक
लिनोलिक एसिड … आवश्यक फैटी एसिड, कोलेस्ट्राल को कम करना
लिनोलेनिक एसिड…. कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक, एलर्जी रोधक
लेसिथिन वसा को कम करना, स्मृति में सहायक
स्टेरोल वसा को कम करना
टोकोफेरोल कोरोनरी… हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक, एंटीऑक्सीडेंट गुण
विटामिन के … थक्का रोधी, ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, कैंसर रोधी
विटामिन बी … बेरीबेरी रोग रोधी
फाईटेट … कैंसर रोधी
सैपोनिन … वसा को कम करना, एंटीऑक्सीडेंट गुण
आइसोफ्लावॉन … ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, कैंसर रोधी
तिल में उपस्थित घटकों की संक्षेप जानकारी दी गई है..
तिल का रस यानी कि तेल निकालने की भारतियों की एक अलग ही संस्कृति रही है। लकडी की औखली नुमा कुआ में लकड़ी का मुसल को बैल द्वारा घुमाया जाता है जिसे घाणी कहा जाता है।
लेकिन अब बदलते समय के साथ साथ अब मशीनों से कार्य होने लगा है लेकिन मशीन से तेल निकलता है, रस नही.?
मशीनरी से तिल के पोस्टिंक तत्व (घटक) नष्ट हो जाते हैं और वह मात्र चिकना चिकना तरल पदार्थ ही रहता है।
लकडी की घाणी से निकाला हुआ तेल स्नेह स्कंध कहलाता है अर्थात स्नेह पोषण देने वाला। वह तेल नहीं अपितु रस ही है।