गोविन्द शरण प्रसाद : दर्द घुटने टेक देगा आयुर्वेद घरेलू होनेओपैथी के आगे बिना दुष्प्रभाव के एक बार इस्तेमाल तो करें नियमित यह लेख बड़ा जरूर है लेकिन आपकी स्वास्थ्य व समृद्धि की रक्षा जरूर करेगा, साइटिका, गठिया का दर्द, कमर का दर्द ,जोड़ों का दर्द और कंधे की जकड़न स्नायू शूल मांशपेशियों का दर्द को सिर्फ़ 1 मिनट में ख़त्म करने का अद्भुत उपाय
शरीर में दर्द होना एक आम समस्या है। लेकिन इसके लिए यह तो जरूरी नहीं है कि आप दर्द निवारक दवाईयों का सेवन करें। भारत में अक्सर देखा गया है कि यदि शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो रहा होता है तो वे तुरंत दर्द नाशक गोलियां खा लेते हैं। जिसके दुष्प्रभाव उन्हें आगे चलकर झेलने पड़ते हैं। पेन किलर के साइड इफेक्टस होते हैं। इनकी जगह आप अपने घर में दर्द निवारक तेल बनाकर उसकी मालिश कर सकते हो जिससे दर्द पल भर में दूर हो जाएगा और आपको इसका फायदा भी मिलेगा।आइये जानते हैं दर्द निवारक तेल बनाने का तरीका।
दर्द नाशक तेल बनाने का तरीका :
- पहला तरीका : कांच कि शीशी में एक छोटा कपूरए पुदीने का रस एक छोटा चम्मचए एक चम्मच अजवायन को डालकर अच्छे से मिलाएं और इसमें एक चम्मच नीलगिरी का तेल डालकर इसे अच्छे से हिलाएं। अब इस तेल को दर्द वाली जगह पर लगाएं।
- दूसरा तरीका : तारपीन का तेल 60 ग्राम, कपूर 25 ग्राम। इन दोनों को मिलाकर किसी कांच की शीशी में भरकर इसे धूप में रख दें। और समय.समय पर इसे हिलाएं भी। जिससे कि इसमें मौजूद कपूर अच्छे से घुल जाए। अब आपका दर्द निवारक तेल तैयार है।
- तीसरा तरीका : पचास ग्राम सरसों के तेल को किसी बर्तन में डाल दें। और उसमें दो गांठ छिला और पिसा हुआ लहसुन का पेस्ट और एक चम्मच सेंधा नमक को डाल कर इसे गैस या चूले पर तब तक पकाते रहें जब तक इसमें मौजूद लहसुन काला न पड़ जाए। फिर बाद में इसे ठंडा करके किसी छोटी बोतल या कांच की शीशी में भर कर रख लें।
इन तीनों तेलों को आप अलग-अलग बनाकर बोतलों या कांच की शीशीयों में भरकर रख लें। ये तेल दर्द निवारक तेल गठिया के दर्द कमर के दर्द जोड़ों के दर्द और शरीर के अन्य किसी हिस्से में होने वाले दर्द में राहत देते हैं।
ज्योति बहन जबलपुर के अनुभव व ज्ञान से हजारो भाई बहन लाभान्वित हुए है इस तेल से एक लीटर सरसो तेल को उबालकर इसे चूल्हे से उतारकर इसमे 150 ग्राम तम्बाकू के पत्ते डाल दे व ठंडा होने पर छानकर रखे ये सभी प्रकार के दर्द (वात पित कफ के दूषित होने से) लकवा बवासीर के मस्से में अद्भुत लाभ देती है यह तेल नवजात शिशु के लिए भी पूर्णतः सुरक्षित है सर्दी खाँसी जुकाम पसली चलना में हल्की मालिश
वेरिकोस का दर्द :- पैरों की नसों का बढ़ना या मोटा होना आम बीमारी है ।जिसे वैरिकोज वेन कहा जाता है ।यदि इसका समय पर इलाज नहीं हुआ तो मरीज को विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जैसे : दर्द , पैरों में सूजन , पैरों की चमड़ी का रंग काला पड़ना , रह – रह का खुजली होना ।अंत में न सूखने वाला घाव या छाला भी हो सकता है ।इस बीमारी में गेंदे की फूलो की पंखुड़ियों से बना तैल बड़ा लाभदायक है ।गेंदे के फूलों से निकाली हुई पंखुड़ियां 200 ग्राम इसे खरल में चटनी या लुगदी जैसा बना ले ।अब 250 तील के तेल में इसे डालकर मंद आंच पर पकाए ।जब पत्ती की लुगदी कड़क होकर बिखर जाए और तेल शेष रह जाए तब इसे ठंडा करके शीशी में भरकर रख लें।वेरिकोज वैन की तकलीफ में इस तेल से पैरों पर मसाज करने से अदभुत लाभ मिलता है
साइटिका, रिंगन बाय, जोड़ों के दर्द, घुटनो के दर्द, कंधे की जकड़न, कमर दर्द के लिए एक अद्भुत तेल
साइटिका, रिंगन बाय, गृध्रसी, जोड़ों के दर्द, घुटनो के दर्द, कंधे की जकड़न एक टांग मे दर्द (साइटिका, रिंगन बाय, गृध्रसी), गर्दन का दर्द (सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस), कमर दर्द आदि के लिए ये तेल अद्भुत रिजल्ट देता हैं। दर्द भगाएँ चुटकी में एक बार जरूर अपनाएँ। ये चिकित्सा आयुर्वेद विशेषज्ञ “श्री श्याम सुंदर” जी ने अपनी पुस्तक रसायनसार मे लिखी हैं। मैं इस तेल को पिछले 2 सालों से बना रहा हूँ और प्रयोग कर रहा हूँ। कोई भी तेल जैसे महानारायण तेल, आयोडेक्स, मूव, वोलीनी आदि इसके समान प्रभावशाली नहीं है। एक बार आप इसे जरूर बनाए।
आवश्यक सामग्री :
कायफल = 250 ग्राम,
तेल (सरसों या तिल का) = 500 ग्राम,
दालचीनी = 25 ग्राम
कपूर = 5 टिकिया
कायफल- “यह एक पेड़ की छाल है” जो देखने मे गहरे लाल रंग की खुरदरी लगभग 2 इंच के टुकड़ों मे मिलती है। ये सभी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों पर कायफल के नाम से मिलती है। इसे लाकर कूट कर बारीक पीस लेना चाहिए। जितना महीन/ बारीक पीसोगे उतना ही अधिक गुणकारी होगा।
तेल बनाने की विधि :
एक लोहे/ पीतल की कड़ाही मे तेल गरम करें। जब तेल गरम हो जाए तब थोड़ा थोड़ा करके कायफल का चूर्ण डालते जाएँ। आग धीमी रखें। फिर इसमें दालचीनी का पाउडर डालें। जब सारा चूर्ण खत्म हो जाए तब कड़ाही के नीचे से आग बंद कर दे। एक कपड़े मे से तेल छान ले। तेल ठंडा हो जाए तब कपड़े को निचोड़ लें। यह तेल हल्का गरम कर फिर उसमें 5 कपूर की टिकिया मिला दे या तेल में अच्छे से कपूर मिक्स हो जाये इसलिए इसका पाउडर बना कर डाले तो ठीक होगा। इस तेल को एक बोतल मे रख ले। कुछ दिन मे तेल मे से लाल रंग नीचे बैठ जाएगा। उसके बाद उसे दूसरी शीशी मे डाल ले।
प्रयोग विधि :
अधिक गुणकारी बनाने के लिए इस साफ तेल मे 25 ग्राम दालचीनी का मोटा चूर्ण डाल दे। जो कायफल का चूर्ण तेल छानने के बाद बच जाए उसी को हल्का गरम करके उसी से सेके। उसे फेकने की जरूरत नहीं। हर रोज उसी से सेके।
जहां पर भी दर्द हो इसे हल्का गरम करके धीरे धीरे मालिश करें। मालिश करते समय हाथ का दबाव कम रखें। उसके बाद सेक जरूर करे।
बिना सेक के लाभ कम होता है। मालिस करने से पहले पानी पी ले। मालिश और सेक के 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए।
दर्दनिवारक तेल बनाने की एक और विधि जो मेरी 70 वर्षीय मासी जी हर चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने के बाद थक हार कर नानी माँ के ज्ञानानुसार इस घरेलू तेल का उपयोग कर रही हैं 30 वर्षो से इस तेल का उपयोग कर रही हैं और दर्दनिवारक दवायों से कोषों दूर हैंसाथ ही अपना और हृदयरोग से ग्रसित मौसा जी का देखभाल कर लेती हैं जबकि एलोपैथी चिकित्सा ने 20 साल पहले घुटना बदलने की सलाह दे चुके हैं
समय के साथ दर्द बर्दाश्त करने की शक्ति रखे अन्यथा स्वास्थ्य व समृद्धि दोनो का नाश हो जाएगा जब दिल सामाज पारिवारिक भौतिक दर्द बर्दाश्त कर सकते हैं तो इसका दर्द क्यों नहीं दर्द निवारक आयुर्वेद होमेओपेथी पंचगव्य या घरेलू ही उपयोग में लायें
दर्दनिवारक तेल :-
दर्दनिवारक तेल बनाने की विधि
500ml तिल का तेल या सरसो तेल
100gram लहसुन की कली
50 ग्राम सौठ
25 ग्राम कच्चा कपूर
15 ग्राम पीपरमेंट
अजवायन 2 चम्मच
मेथी 2 चम्मच
लौंग 15 20
दालचीनी 25 ग्राम
सफेद प्याज 1
गौमुत्र 100 ml या गौ अर्क 20ml
बड़ी इलायची 2 pcs
जवन्तरि 10 ग्राम
नागरमोथा 25 ग्राम
निर्गुन्डी 25ग्राम
हठजोड 25ग्राम
तम्बाकू पत्ते 50 ग्राम
गेंदे के फूल की पंखुड़ी 100 ग्राम
सबसे पहले धीमी आंच पर तेल में सभी का पाउडर बनाकर या पेस्ट बनाकर डालकर गर्म करें गर्म होते होते झाग व बुलबुले बनने बन्द हो जाएंगे तो आग को तेज करे जब सभी सुनहरे या काले रंग को हो तो आग बन्द कर दे इस बीच मे चलाते रहे । अब कपूर व पीपरमेंट डालकर खूब घोल दे अब छान कर कांच की शीशी में रखे व दर्द होने पर इस्तेमाल करें।
बाजार से शुद्ध व उत्तम कोटि का तेल ।
इस्तेमाल व शेयर करे साथ ही उपयोग के बाद अनुभव शेयर करें स्वस्थ व समृद्ध भारत निमार्ण हेतु
कुछ सेवन योग्य अन्य उपाये साथ में अवश्य करें
अजमोद , बायविडंग , सेंधा नमक , देवदारू , चीता , पीपरामूल ,सौठ,सौफ पीपर और काली मिर्च – प्रत्येक 1 – 1 तोला , हरड़ 5 तोला और विधारा 10 तोला लेकर कूट – पीस कर बारीक कपड़छन चूर्ण तैयार करके इसमें पुराना गुड मिला कर सुरक्षित रख लें । इस चूर्ण को आधा से एक चम्मच ( 5 ग्राम तक की मात्रा में) दिन में 3 बार सुबह दोपहर शाम तीन बार सेवन करने से गृध्रसी , आमवात , गठिया , कमर का दर्द , पीठ का दर्द, तूनी , प्रति तुनि विश्वायी , गुदा व जांघ की पीड़ा आदि कष्ट सब दूर हो जाते हैं
ग्वारपाठा / घृतकुमारी का गूदा 1 किलो लेकर आधा लिटर एरण्ड के तेल में पकावें । जब यह लाल हो जाये , तब 2 किलो खाण्ड या मिश्री की चाशनी बनाकर यह मिलायें । इसके अतिरिक्त मेथी के बीजों का चूर्ण , अश्वगन्धा चूर्ण और सोंठ ( प्रत्येक 250 – 250 ग्राम ) भी चाशनी में मिलाये और सभी को घोटकर थाली में जमायें इसको 10 – 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार ( प्रात : – सायं ) सेवन कर से गृध्रसी रोग दूर हो जाता है
दो गेंहूं के दाने के बराबर चुना दूध छोड़कर किसी भी तरल पेय में पथरी की समस्या हो तो न ले
या
2 चम्मच मेथी रात को एक गिलास पानी मे भिगो दें सुबह इस पानी को पिये व मेथी को चबाकर खाये
या
हरड़ को गौमुत्र में भिगोकर रातभर के लिए सुबह इसे साँवली छाँव में सुखाकर अरण्ड के तेल में भूनकर पाउडर बनाले इस पाउडर का एक चम्मच या भुने हरड़ का एक पीस भोजन के बाद ले गुनगुने जल के साथ
या
सुबह प्रतिदिन एक चम्मच अरण्ड का तेल गौमुत्र के साथ सेवन करें
या
प्रतिदिन एक कप गौमुत्र पिये सर्वरोगनाशक हेतु
या
बराबर मात्रा में मेथी हल्दी सौठ अजवायन ये चार बराबर मात्रा में अर्जुन छाल दालचिनी हठजोड (हल्दी मेथी सौठ अजवायन किसी एक का चौथाई चौथाई )का चूर्ण बनाकर रखे सुबह दोपहर शाम भोजन के बाद एक छोटा चम्मच गर्म जल या गर्म दूध के साथ सेवन करे
जब दर्द बिस्तर पर लेटा कर छोड़ दे आर्थत घुटने बदलने की नौबत आये तब इस दिव्य औषधि का उपयोग करें
हरसिंगार (पारिजात) के पत्तो की चटनी 2 चम्मच बनाये और एक गिलास पानी मे उबाले जब पानी आधा रह जाये तो इसे रातभर छोड़ दे सुबह इस पानी को पी ले 3 माह लगातार
डॉक्टर वेद प्रकाश जी के अनुभव से निर्मित PAIN GO और PAIN OUT तेल के नियमित सेवन से 8709871868 पर सम्पर्क कर रात्रि 9 बजे के बाद विशेष चिकत्सीय सलाह ले सकते हैं
कमर के निचले हिस्से (कूल्हे) से एड़ीतक जो स्नायु (nerve) जाती है उसको शायटिका स्नायु (sciatica nerve) कहते हैं l उसी के दर्द को शायटिका कहा जाता है l शायटिका का दर्द एक ऐसा दर्द है जो किसी भी इन्सान को बहुत अधिक बेचैन कर देता है l
जब दर्द खास कर दायीं टांग में हो, दर्द कूल्हे से घुटने या एड़ी तक जाय, चलते चलते टांग सुन्न हो जाए, दर्द वाली टांग का घुटना मोड़ कर लेटने से आराम आये – (कोलोसिन्थ 200 या 1M, दिन मे 2 बार)
दर्द के साथ सुन्न हो जाना, टांग को पेट के साथ सिकोड़ कर लेटने से और कुर्सी पर बैठने से आराम , चलने फिरने से दर्द बढ़े – (नैफेलीयम 200 या 1M, दिन में 2 बार)
अधिक मेहनत करने या ठण्ड लगने के कारण रोग, चलने फिरने से आराम – (कैमोमिला 30 या 200, दिन में 3 बार)
अधिक मेहनत करने या ठण्ड लगने के कारण रोग, चलने फिरने से आराम – (कैमोमिला 30 या 200, दिन में 3 बार)
जब दर्द असहनीय हो – (मैडोरिनम 200 या 1M 2-3 खुराक)
जब दर्द नीचे से ऊपर को जाए – (कालमिया लैट 200, दिन में 3 बार)
जब ठंडी पट्टी से आराम आये – (लीडम 200 या 1M , दिन में 2 बार)
मेरुदंड(spinal cord) में 26 कशेेरूकाएँ हैं, हर दो कशेरुकाओं के बीच कार्टिलेज का पैड होता है जिससे यह आपस में रगड़ नहीं खाती। पैड में कोई विकार होने या इसका लचीलापन खत्म होने पर कशेरुका अपने स्थान से हट जाती है जिसे कशेरुका का खिसकना(slip disc) कहते हैं। ऐसा होने से इस स्थान की स्नायु(nerve) कशेरुकाओं के बीच दब जाने से दर्द करने लगती है।
प्रमुख दवा – (आर्निका 200 या 1M, आवश्यकतानुसार)
मेरुदंड के क्षय विकार आदि में – (साइलिशिया 6x या 30, दिन में 4 बार)
हड्डियों के बढ़ जाने या क्षय विकार आदि के कारण रोग – (हेक्ला लावा 6x या 1M, दिन में 4 बार)
जब रोग जोड़ों तक में घुस जाए – (ऑरम मेट 30 या 200, दिन में 3 बार)
ठण्ड लगने , झटका या कमर में मोच आ जाने या अन्य किसी कारण से कमर दर्द हो सकता है l
ठंडी हवा लगने के कारण अचानक दर्द – (एकोनाइट 30, हर 2 घंटे बाद)
जब दर्द चलने – फिरने से घटे , ठंड व लेटे रहने से बढ़े – (रस टॉक्स 200, दिन में 3 बार, कैलकेरिया फ्लोर 6X या 12X, दिन में 4 बार)
यदि सेकने से आराम हो – (मैग फ़ॉस 6X या 30 , दिन में 4 बार)
जब दर्द ठंड व चलने फिरने से बढ़े – (ब्रायोनिया 30 या 200, दिन में 3 बार)
कमर के निचले हिस्से में (रीढ़ की हड्डी के निचले भाग) झटका आने का दर्द – (एस्कुलस 6 या 30, दिन में 3 बार)
कमर दर्द जैसे की कुछ चुभ रहा हो , कमजोरी व पसीना , सुबह 3-4 बजे दर्द बढ़े – (काली कार्ब 30 या 200, दिन में 3 बार)
ज्यादा काम करने या चोट लगने के कारण दर्द – (आर्निका 30 या 200, दिन में 3 बार)
मोटे थुलथुले लोगों में नहाते समय कमर दर्द – (कैलकेरिया कार्ब 200, सप्ताह में एक बार)
चिडचिडे. ठंडी प्रकृति वाले रोगियों में l लेटे-लेटे कमर दर्द जिसकी वजह से रोगी करवट भी बैठ कर ही बदल सके – (नक्स वोमिका 30 या 200, दिन में 3 बार)
सोने व आराम करने से अच्छा लगे , कमर के निचले हिस्से में दर्द (खासकर औरतों में ) – (पल्साटिला 30, दिन में 3 बार)
कमर दर्द में डकारे आने से आराम आये – (सीपिया 30, दिन में 3 बार)
जोड़ के दर्द दो तरह के होते हैं l छोटे जोड़ों के दर्दो को गठिया कहते हैं, इन जोड़ों का दर्द जब काफी पुराना हो जाता है तब जोड़ विकृत यानि टेढ़े – मेढ़े हो जाते हैं तब इसे पुराना संधि प्रदाह (arthritis deformans) कटे हैं l बड़े जोड़ों तथा पुट्ठे के दर्दो को वात रोग (rheumatism) कहते हैं l वात रोग (gout) में जोड़ों की गांठें सूज जाती है, बुखार हो जाता है, बेहद दर्द और बेचैनी होती है l कारण : ओस या सर्दी लगना, देर तक भीगना, अधिक मांस, खटाई या ठंडी वस्तुएं खाना, शराब का अधिक सेवन करना व विलासिता, आदि l
मुख्य दवा l जब पेशाब में यूरिक एसिड व युरेट्स काफी मात्रा में आये – (अर्टिका युरेन्स Q, 10 बूंद दिन में 3 बार)
छोटे जोडों में दर्द व सुजन, दर्द कटने या चुभने जैसा; रात में या चलने फिरने से बढ़े – (कोल्चिकम 6 या 30, दिन में 3 बार)
जब दर्द एक जोड़ से दुसरे जोड़ में चलता-फिरता रहे – (पल्साटिला 30, दिन में 4 बार)
रोग खासकर पैर के अंगूठे में सूजन के साथ l ठण्ड या बर्फ की पट्टी से रोग घटे l दर्द नीचे से ऊपर की ओर जाये – (लीडम पाल 6 या 30, दिन में 4 बार)
जब रोग अचानक ठंड के कारण शुरू हो – (एकोनाइट 6 या 30, दिन में 4 बार)
जब गठिया रोग चर्म रोगों के साथ शुरू हो – (सल्फर 30, दिन में 3 बार)
जब रोग ठण्ड से बढ़े l सेकने व चलने फिरने से आराम आये – (रस टक्स 30 या 200, दिन में 3 बार)
मौसम बदलने के साथ रोग की पुनरावृत्ति – (कल्केरिया कार्ब 30 या 200, दिन में 3 बार)
हाथ पैर के छोटे छोटे जोड़ों में दर्द व सूजन – (स्टेफिसेगिरिया 30 या 200, दिन में 3 बार)
शराबियों में जोड़ों का दर्द – (नक्स वोमिका 30 या 200, दिन में 3 बार)
जब दर्द स्थान बदलता रहे l हिलने डुलने से रोग बढ़े – (स्टैलेरिया मीडिया Q, दिन में 3 बार)
अंगुलियों के जोडों का दर्द – (लाइकोपोडियम 30, दिन में 3 बार)
इस रोग में किसी एक स्नायु(nerve) में सूजन आ जाती है या कई स्नायु एक ही समय में सूज जाती है। स्नायु में दर्द होता है, सुन्न हो जाती है। चोट लगना, सर्दी लगना या टाइफाइड डिफ्थीरिया आदि घातक रोगों के परिणाम स्वरुप यह रोग हो सकता है। जहरीली दवाओं और ज्यादा अल्कोहल लेने आदि कारणों से भी रोग हो सकता है।
ठंडी हवा लगने की वजह से रोग – (एकोनाइट 30, दिन में 3 बार)
स्नायु में टपकन की तरह दर्द, बहुत तेज बुखार, दर्द अचानक आता है व अचानक चला जाता है – (बेलाडोना 30, दिन में तीन बार)
जब स्नायु चोट लगने की वजह से कुचला जाए। उदाहरणस्वरूप उंगलियों के पीस जाने से, नाखूनों पर चोट लगने से। इस रोग की मुख्य दवा है – (हाइपेरिकम 6 या 30, दिन में तीन बार)
स्नायु में दर्द जो धीरे-धीरे शुरू हो व धीरे-धीरे खत्म हो। दर्द किसी भी अंग में हो यह लक्षण पाए जाने पर यही औषधि देनी चाहिए – (स्टैनम मेट 30, दिन में 3 बार)
स्नायु में दर्द जैसे बिजली का करंट दौड़ गया हो। स्नायु दर्द के दौरे पड़ने लगे – (प्लम्बम मेट 30, दिन में 3 बार)
स्नायुओं(nerves) के दर्द को ही स्नायु शूल कहते हैं। यह कोई अलग बीमारी नहीं है बल्कि दूसरी बीमारी का लक्षण मात्र है। इसमें शरीर के किसी भी हिस्से में तेज दर्द हो सकता है जो असहनीय होता है।
दाएं चेहरे का स्नायु शूल – (सैंगुनेरिया 30, दिन में 3 बार)
जब गर्म सेक से आराम हो – (मैग्नीशिया फॉस 6x या 30, दिन में चार बार)
बाएं चेहरे का स्नायु शूल – (स्पाइजिलिया 30, दिन में 3-4 बार)
ठंडी हवा से चेहरे का स्नायु शूल – (एकोनाइट 30, हर 2 घंटे बाद)
हाथों में व छाती में दर्द, चलने फिरने से घटे – (रस टॉक्स 30 या 200, दिन में 3 बार)
चोट लगने के कारण स्नायु शूल – (आर्निका 30 या 200, दिन में 3 बार)
गर्दन का शोथ(cervical Spondilitis)। ऐसा लगे कि किसी ने हड्डियां चाकू से खुरच दी है। मेरुदंड की कमजोरी, काम करने से रोग बढ़े। गर्माहट से आराम आए – (एसिड फॉस 30, दिन में 3 बार)
रीढ़ की हड्डियों में तेज दर्द, ऐसा लगे जैसे हड्डियां टूट गई हो। चक्कर आए जो आंखें खोलने से बढ़े – (थैरीडियोन 30, दिन में 3 बार)
कमर के बीच के हिस्से (lumbar and sacral) में दर्द हो जो दाएं कंधे तक जाए – (क्लोरोमाइसिटिन 30, दिन में 3 बार)
कमर के निचले हिस्से का शोध व मेरुदंड की कशेरुकाओं की गड़बड़ी व कमजोरी(deformities and softening)। खासकर मोटे थुलथुले रोगियों के लिए। रोगी को ठंड ज्यादा लगे व हाथ पैर ठंडे रहे – (कैल्केरिया कार्ब 200 या 1M, सप्ताह में एक बार)
कमर के सबसे निचले हिस्से(coccyx) में जलन(intercurrent remedy) के साथ दर्द – (सल्फर 200 या 1M, 15 दिन में 1 बार)
रक्ताल्पता के रोगी जो लंबाई में तो खूब बढ़ जाते हैं मगर शरीर कमजोर ही रहता है नमक व ठंडे पेय की तीव्र रूचि व अंधेरे से डर लगता है। जलन के साथ तेज कमर दर्द जो सिर तक जाता है – (फॉस्फोरस 30 या 200, दिन में 2 बार)
कमर व कंधों के बीच में दर्द। कमर के बीच के हिस्से(lumbar and sacral) में दर्द। शारीरिक व मानसिक कमजोरी। चक्कर आएं। खासकर अविवाहित रोगियों के लिए – (कोनियम 200 या 1M, 15 दिन में 1 बार)
कमर के निचले हिस्से में दर्द व कमजोरी। मेरूदंड में जलन जो चूतड़ों तक जाए व चलने से बढ़े – (काली कार्ब 30 या 200, हर 6 घंटे बाद)
ठंड लगने, वजन उठाने या भीग जाने के कारण कमर दर्द, गर्माहट व चलने-फिरने से आराम – (रस टॉक्स 200 या 1M, दिन में 2 बार)
कमर के बीच के हिस्से (lumbo-sacral) में दर्द जो हिलने-डुलने से बढ़े। कमर के निचले हिस्से(small of back) में कड़ापन व सुई चुभने सा दर्द – (ब्रायोनिया 30, दिन में 3 बार)
जब मेरुदंड की शोथ के कारण कमर दर्द दिन के समय ज्यादा हो व समुद्र के किनारे बढ़े – (मैडोरहिनम 200 या 1M, सप्ताह में एक बार)
आयूर्वेद के खान पान के यम नियम का पालन अवश्य करें व अपने जीवन मे भाई राजीव दीक्षित जी को अवश्य सुने
वन्देमातरम, आपका अनुज
गोविन्द शरण प्रसाद