पंडित हेमराज ब्रह्मचारी जी : वीर्य ही शरीर की सप्त धातुओं का राजा माना जाता है और ये सप्त धातुयें भोजन से प्राप्त होती हैं। इसमे सातवी धातु ही पुरुष में वीर्य बनती है। 100 बूंद खून से एक बूंद वीर्य बनता है। एक महीने में लगभग 1 लीटर खून बनता है जिससे 25 ग्राम वीर्य बनता है और गर्भाधान के लिए 60 से 70 करोड़ जीवित शुक्राणुओं का होना जरूरी होता है।
इसलिए संभोग हफ्ते में एक बार ही करना चाहिए क्योंकि एक बार के संभोग के दौरान 10 ग्राम वीर्य निकल जाता है। वीर्य में जीवित शुक्राणुओं की कमी से महिलाओं को गर्भवती भी बनाया नहीं जा सकता। वीर्य परीक्षण में वीर्य गर्भाधान के लिए 7.8 पी.एच से 8.2 पी. एच ही सही माना गया है। वीर्य में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं एक्स और वाई। एक्स शुक्राणुओं से पुत्री पैदा होती है और वाई शुक्राणुओं से पुत्र पैदा होता है। एक शुक्राणु की लम्बाई लगभग 1/500 इंच होती है।
कभी-कभी वीर्य पतला होने के कारण गर्भ नहीं ठहरा पाता ऐसा तब होता है जब कोई ज्यादा मैथुन करके वीर्य को नष्ट कर देता है या अन्य दूसरी किसी बीमारी से ग्रस्त होकर जैसे:- प्रमेह, सुजाक, मूत्रघात, मूत्रकृच्छ और स्वप्नदोष आदि।
चिकित्सा :
1. ब्राह्मी : ब्राह्मी, शंखपुष्पी, खरैटी, ब्रह्मदण्डी और कालीमिर्च को पीसकर खाने से वीर्य शुद्ध होता है।
2. बबूल : बबूल की कच्ची फली को सुखाकर मिश्री में मिलाकर खाने से वीर्य की कमी व रोग दूर होते हैं। 10 ग्राम बबूल की कोंपलों को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर पानी के साथ लेने से वीर्य-रोगों में लाभ होता है। हरी कोंपले न हों तो 30 ग्राम सूखी कोंपलों का सेवन कर सकते हैं। बबूल की फलियों को छाया में सुखा लें और बराबर की मात्रा मे मिश्री मिलाकर पीसकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से जल के साथ सेवन से करने से वीर्य गाढ़ा होगा और सभी विकार दूर हो जाएंगे। बबूल की गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है। बबूल का पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) लेकर पीस लें, और आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से कुछ ही समय में लाभ मिलता है। बबूल की कच्ची फलियों के रस में 1 मीटर लंबे और 1 मीटर चौडे़ कपड़े को भिगोकर सुखा लेते हैं। एक बार सूख जाने पर उसे पुन: भिगोकर सुखाते है। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को 14 बार करते हैं। इसके बाद उस कपड़े को 14 भागों में बांट लेते है, और प्रतिदिन एक टुकड़े को 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर पीने से धातु की पुष्टि हो जाती है।
3. शतावर :
शतावर रस या आंवला रस अथवा गोखरू काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से वीर्य शुद्ध होता है। शतावर, सफेद मूसली, असगन्ध, कौंच के बीज, गोखरू और आंवला ये सभी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें तीन-तीन ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) में वृद्धि होती है।
4. गूलर :
गूलर का दूध बताशे में रख कर खाने से वीर्य शुद्ध होता है। पके गूलर का चूर्ण शहद या सेंधा नमक के साथ खाने से भी वीर्य शुद्ध होता है।
5. धनिया : धनिया, पोस्त के बीज के साथ मिश्री मिलाकर खाना लाभदायक होता है।
6. छोटी दुधी : छोटी दुधी का चूर्ण मिश्री मिलाकर दूध के साथ खायें इससे वीर्य शुद्ध होता जाता है।
7. तालमखाना : तालमखाना मे मिश्री मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध यानी साफ हो जाता है।
8. चोबचीनी : चोबचीनी, सोठ, मोचरस, दोनों मूसली, काली मिर्च, वायविडंग और सौंफ सबको बराबर भाग में लेकर चूर्ण बनायें। बाद में 10 ग्राम की मात्रा में रोज खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पी लें इससे वीर्य साफ होता है।
9. सांठी : सांठी की जड़ और काली मिर्च को पीसकर घी के साथ मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध होता है।
10. जायफल :
जायफल, जावित्री, माजूफल मस्तगी, नागकेसर, अकरकरा, मोचरस, वनशलोचन, अजवायन, छोटी इलायची दाना 10-10 ग्राम कूट कर छान लें। कीकर की गोंद में चने बराबर गोलियां बना छाया में सूखा लें। 1-1 गोली सुबह-शाम दूध या पानी से लें। जायफल 1 ग्राम रूमीमस्तगी, लौंग, छोटी इलायची दाना 2-2 ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें, संभोग (सहवास) से 2 घंटे पहले एक गोली गर्म दूध से लें। 11. राल : राल को बारीक पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी से वीर्य के रोग में सेवन करें।
12. दालचीनी :
दालचीनी 20 ग्राम पीसकर इसमें खांड़ 20 ग्राम मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा मे सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें। दालचीनी और काले तिल 5-5 ग्राम पीस लें उसके बाद शहद में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बना लें और छाया में सुखा दें। संभोग से 2 घंटे पहले एक गोली गर्म दूध से लें। 3 ग्राम दालचीनी का चूर्ण रात में सोते समय गरम दूध के साथ खाने से वीर्य की वृद्धि होती है। दालचीनी को बहुत ही बारीक पीस लेते हैं। इसे 4-4 ग्राम सुबह व शाम को सोते समय दूध से फांके। इससे दूध पच जाता है और वीर्य की वृद्धि होती है।
13. वंशलोचन : वीर्य दोष दूर करने के लिए वनंशलोचन 30 ग्राम और छोटी इलायची 3 ग्राम पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम घी व खांड़ में मिलाकर लें।
14. इमली :
300 ग्राम इमली के बीज को 500 मिलीलीटर पानी में 3 दिन तक भिगोयें। फिर इसका छिलका उतार कर छायां में सुखाकर अच्छी तरह पीसकर 10-10 ग्राम की मात्रा मे सुबह-शाम कम गर्म दूध से लें। इमली के बीजों के छोटे-छोटे टुकड़े कर रातभर पानी मे भिगा कर खाने से वीर्य पुष्ट होता है।
15. लाजवन्ती : लाजवन्ती को संभोग के समय मुंह में रखने से वीर्य स्तंभन हो जाता है।
16. कीकर :
कीकर की गोंद 100 ग्राम भून लें इसे कूट कर असगंध पिसी 50 ग्राम मिलाकर रख दें। 5-5 ग्राम सुबह-शाम कम गर्म दूध से लें। कीकर के पत्ते छाया में सूखे 50 ग्राम कूट छानकर इसमें 100 ग्राम खांड़ मिलाकर 10-10 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें।
17. राई : राई, लौंग 5-5 ग्राम दालचीनी 10 ग्राम पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें।
18. सिम्बल : सिम्बल की जड़ 100 ग्राम कूटछान कर इसमें खांड़ 100 ग्राम मिलाकर 10-10 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध के साथ प्रयोग करने से वीर्य दोष दूर होते हैं।
19. असगंध नागोरी :
असगंध नागोरी, विधारा, सतावरी 50-50 ग्राम कूट छानकर रखें और 150 ग्राम खांड मिलाकर रखें। 10-10 ग्राम दूध से सुबह-शाम लें। नागौरी असगंध, गोखरू, शतावर तथा मिश्री मिलाकर खायें।
20. वंशलोचन : 60 ग्राम वंशलोचन को पीसकर रखें। इसमें 40 ग्राम खांड़ मिलाकर रख लें। 5-5 ग्राम को सुबह-शाम दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
21. फिटकरी : 30 ग्राम भुनी फिटकरी को 60 ग्राम खांड़ में मिलाकर रखें। 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें।
22. कमलगट्ठा : कमल गट्ठा या बीज पीसकर शहद में मिलाकर नाभि पर लेप करने से वीर्य स्तम्भन हो जायेगा।
23. सफेद कनेर : सफेद कनेर की जड़ 2 अंगुल की कमर में बांधने से वीर्य स्तम्भन हो जाता है।
24. सौंठ : सौंठ, बूटी हजारदाना, नकछिकनी 50-50 ग्राम कूट छान कर 5-5 ग्राम सुबह-शाम कम गर्म दूध से लें। सौंठ, सतावर, गोरखमुण्डी 10-10 ग्राम पीसकर शहद मिला कर चने कें बराबर गोलियां बनाकर छायां में सुखा लें। सुबह और शाम भोजन के बाद 1-1 गोली दूध या पानी के साथ लें। वीर्य दोष में लाभ मिलेगा।
25. असगंध :
असगंध, विधारा 25-25 ग्राम कूट छान कर इसमें 50 ग्राम खांड को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा मे सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से बल वीर्य बढ़ता है। असगंध 300 ग्राम कूट छान कर 20 ग्राम को दूध 250 मिलीलीटर में गिराकर उबालें गाढ़ा होने पर खांड़ मिला कर पी लें।
26. बहमन : बहमल लाल 50 ग्राम पीसकर 5 ग्राम को सुबह कम गर्म दूध के साथ सेवन करने से संभोग शक्ति बढ़ती है।
27. मुनक्का : 250 मिलीलीटर दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड़ मिला कर सुबह पीये।
28. कालीमिर्च : कालीमिर्च के साथ गोंदी के पत्ते मिलाकर घोटकर शर्बत की तरह 21 दिन तक पीने से वीर्य पुष्ट होता है।
29. गंगेरन : गंगेरन की जड़ की छाल के चूर्ण में उसी मात्रा में मिश्री मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा दूध के साथ 7 दिनों तक खायें वीर्य पुष्ट होता है।
30. बदुफली : बदुफली के पौधे को थोडे पानी के साथ पीसकर कपड़े में छानकर रस को निकाल लें। 100 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम शक्कर और आधे से एक ग्राम पीपल का चूर्ण मिलाकर 7 दिनों तक सुबह-शाम पीने से वीर्य बढ़ता है।
By Pandit Hemraj Brahmachariji