श्वेता चक्रवर्ती : घुटने और जोड़ो के दर्द का मुख्य कारण हड्डियों का घिसना, कैल्शियम की कमी, पेट और मन का साफ़ न रहना है। नित्य व्यायाम न करना है।
रात को पेट में बनी गैस समस्त शरीर में घूमती है, वह उन स्थानों में एकत्रित होती जहां गैप होता है। घुटनों के जोड़ों में वह गैस जमा हो जाती है जो पीड़ा देती है।
सुबह उठते ही खाली पेट एक ग्लास गुनगुने पानी में दो चुटकी सेंधा नमक डालकर उस पानी से दो कली देसी लहसन की बारीक काटकर दवा की तरह गटक लें। पूरे दो ग्लास गुनगुना पानी पी लें। जल बैठ कर पियें। सेंधानमक जल आँते साफ़ करेगा, लहसन आम वात नष्ट करता है, चूना कैल्शियम की पूर्ति करेगा और हड्डी मजबूत करेगा। औषधियों से युक्त हवन/यज्ञ से उतपन्न धूम्र रक्त अशुद्धि दूर करके मन और पेट को साफ करता है।
सोफे या चेयर में बैठे बैठे हाथ पैर का व्यायाम करें। दीवार पकड़कर उठक बैठक करें। जैसे छोटे बच्चे घुटनों के बल चलते हैं वैसे बिस्तर पर चलें। फ़िर टॉयलेट जाएं।
दिन में किसी भी वक़्त भोजन से दो घण्टे पूर्व तीन सरसों के दाने बराबर चूना(जो पान वाला होता है) उसे पानी मे घोलकर या दाल के पानी मे घोलकर पी लें। या पान के पत्ते में बिना कत्था और सुपाड़ी के पान के पत्ते में सौंफ इत्यादि से खा लें। दुनियाँ में जितनी भी कैल्शियम की दवा है उनमें कैल्शियम का स्रोत चूना ही है। चूने के सेवन से 32 अन्य बीमारियां भी दूर होंगी।
सुबह यज्ञ चिकित्सा विज्ञान में पेज नम्बर 120-121 में वर्णित विधि से हवन कर लें। यज्ञ की औषधीय धूम्र में प्राणाकर्षण प्राणायाम करें।
रात को सोते वक़्त पुस्तक में वर्णित तेल बनाकर उस तेल से मालिश घुटनों की करें।
बाज़ार में मिलने वाला पतंजलि या अन्य आयुर्वेदिक कम्पनी का पीड़ा अंतक तेल उपयोग में ले सकते हैं।
कुछ न हो तो सरसों का तेल गुनगुना करके पैरों के घुटने, तलवे और नाभि में हल्के हाथ मालिश करके सोएं।
तीन महीने से छः महीने में उपरोक्त विधि से घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।
कोई भी दवा, उपचार बिना व्यायाम के असर नहीं करेगा। घुटनों में जमी गैस तो व्यायाम और मालिश से ही हल्की होकर निकलेगी।
गरिष्ठ भोजन तो वस्तुतः खाना ही नहीं चाहिए, लेकिन यदि खाना ही हो तो दोपहर 12 बजे से पहले खाएँ। शाम का भोजन हर हालत में हल्का सुपाच्य और तरल होना चाहिए। भोजन करने के चार घण्टे बाद सोएं। सोने से पूर्व गुनगुना पानी पिएं।