स्वदेशीमय पंचकुला : प्रत्येक सबेरे-सबेरे हम जानवरों के हड्डियाँ का चूरा, कैंसर युक्त खतरनाक रसायन प्रतिदिन अपने दांतों पर मलकर अपने दांतों की मजूबत पर्त को खोखला करते जा रहे हैं
बीस वर्ष बाद ही रूट कैनाल की जरूरत पड़ रही है। आज कई लोगों का फोन भी आया, आजकल बच्चों के बचपन में ही दाँत सड़ने शुरू हो जाते है, लाखों रुपये लगाकर भी लोग संतृष्ट नहीं है।
याद कीजिये अपने पूर्वजों को जो मरते दम तक चने और गन्ने चूसते थे, क्योंकि उनके दांत बेहद मजबूत थे …? क्योंकि दांत हमारे शरीर का सबसे मजबूत हिस्सा है जो ना तो मिटटी में गलता है, ना आग में जलता है और ना पानी में घुलता है पर वही दांत पेप्सी कोक में गल जाता है …..??
यदि सारे दाँत मजबूत हैं तो पाचन – शक्ति भी अच्छी होगी, यदि पाचन शक्ति अच्छी होगी तो आप स्वस्थ्य रहेंगे ।
आजकल के टूथपेस्ट से फ्लोरिस नामक बिमारी ज्यादा होती है।
सभी टूथपेस्ट के बनाने के बनाने का तरीका एक सा है। झाग के लिए इसमें सोडियम लॉरेल सल्फेट, ट्राईक्लोसन, फ्लॉराइड आदि जहर मिलाये जाते है।
आपको सारी जिन्दगी Tooth Brush व Tooth Paste से लाभ नहीं मिलेगा, परन्तु मंजन में मौजूद औषधियां गले की बीमारी व आमाशय की बीमारीमें बहुत ही लाभप्रद हैं ।
अब निर्णय आपको लेना है आपको जानवरों की हड्डियाँ का चूरा व कैसर युक्त रसायन का टूथ-पेस्ट चाहिए या देशी आयुर्वेदिक मंजन और दातुन।
बदर्या मधुरः स्वरः। उदुम्बरे च वाकसिद्धि:।
अपामार्गे स्मृतिमेधा। निम्बेश्व तिक्तके श्रेष्ठ:।
बेर के दातुन से स्वर मधुर होता है । गूलर के दातुन से वाणी अच्छी रहती है , अपामार्ग के दातुन से स्मरण शक्ति और बुद्धि बढती है नीम के दातुन दन्त रोग में श्रेष्ठ हैऔर बबूल से दांत मजबूत होते है
गौमय भस्म दंत मंजन
जब आप दाहिने हाथ की अंगूठे के पास वाली उंगली से मंजन करते है तो वहाँ एक मर्म बिंदु है जिससे आँतो की भी मालिश होती है और कब्ज जैसी समस्या पैदा नही होती