गर्भाशय का अल्ट्रा साउंड
दो मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर और उसपर जौ या गेहूँ डालकर पति पत्नी अपने अपने पात्र पर मूत्रत्याग 7 से 10 दिन बाद परिणाम बताएं सम्पर्क महीने में एक बार 6 से 12 माह तक नियमित 10 मिंट आटा चक्की चलाना
नियमित सील बट्टा का उपयोग
रसोईघर व जीवन से रिफाइन्ड सफेद नमक,रिफाइन्ड तेल व चीनी को सौतन की भाती घर से बाहर
काला नमक व सेंधा नमक गुड़ खांड भूरा मिश्री व कच्ची घाणी का तेल सरसों तिल नारियल अलसी का उपयोग
नियमित एक चम्मच एक चम्मच ग्रेन्यूल्स अश्वगंधा शतावरी का मिश्रण एक गिलास दूध में उबालकर सुबह शाम दोनो लोग 3 माह
नियमित चुना गेहूँ के दाने के बराबर दूध छोड़कर किसी भी तरल पेय में शाम से पहले दोनो लोग (पति पत्नी) नियमित 3 माह पथरी हो तो न ले
पति को एक लौंग सुबह एक लौंग शाम को चबाना है
पति को नियमित 50 सीढ़िया चढ़ना उतरना है या 2 km साइकिल चलाना है
मौसम के ही अर्थात जब सस्ता हो जाये फल व सब्जी नियमित व भरपूर सेवन
नियमित दाल छिलके वाली का सेवन
भोजन से पहले सलाद पहले खाये नियमित व भरपूर
देशी गाय के दूध दही मख्खन घी का नियमित व भरपूर सेवन
अन्य औषधि के उपयोग
गर्भ धारण
1. मोरछली : मोरछली की छाल का चूर्ण खाने से गर्भ ठहरता है।
2. केसर : केसर और नागकेसर को 4-4 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इसकी तीन पुड़िया मासिक-धर्म समाप्त होने के तुरंत बाद खाने से गर्भ स्थापित होता है।
3. हंसपदी : हंसपदी को बारीक पीसकर पीने से स्त्री का गर्भ स्थापित होता है।
4. शंखावली : शंखाहुली या इसके पंचांग के सेवन करने से गर्भ की स्थापना अवश्य होती है।
5. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी और जायफल बारीक पीसकर सेवन करने से सन्तान की अवश्य ही प्राप्ति होती है।
6. समुद्रफेन : समुद्रफेन को दही के साथ खाने से निश्चय ही गर्भ धारण होता है।
7. समुद्रफल : समुद्रफल और अजवायन के सेवन से गर्भधारण अवश्य ही होता है।
8. खिरैटी : मासिक-धर्म में सफेद खिरेटी, मुलहठी तथा मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से गर्भ अवश्य ठहरता है।
9. सोंठ : सोंठ, मिर्च, पीपल और नागकेशर का चूर्ण घी के साथ माहवारी समाप्ति के बाद स्त्री को सेवन कराने से गर्भ ठहर जाता है।
10. सरसो : सफेद सरसो, बच, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, गदहपुरैना, दूधी, कूठ, मुलहठी, कुटकी, खंभारी के फल, फालसा, अनन्तमूल, कालीसर, हल्दी, भंगरा, देवदारू, सूर्यमुखी, मंजीठ, त्रिफला, प्रियंगु के फूल, अड़ूसा के फूल तथा गेरू सभी को 2 किलो गाय के घी में मिलाकर गर्म करें। इसे 20 से 40 ग्राम की मात्रा में पुरुष तथा ऋतुस्नाता स्त्री भगवान का स्मरण कर इस घी का सेवन करें तो इससे गर्भसम्बंधी सभी गुप्तांग रोग नष्ट होते हैं तथा बांझ स्त्री भी पुत्र उत्पन्न करने के योग्य हो जाती है।
11. कटेली : सफेद कटेली की जड़ रविवार को पुष्य नक्षत्र में लाए छाया में सुखाकर जड़ का बक्कल (छिलका) उतारकर कूटकर छान लें। इसे 10 ग्राम की मात्रा में गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से सुबह माहवारी शुरू होने के दिन से 3 दिनों तक लगातार प्रयोग करना चाहिए।
12. तुलसी : तुलसी के बीज 5 ग्राम पानी के साथ मासिक-धर्म शुरू होने के पहले दिन से 3 दिनों तक नियमित सेवन कराना चाहिए। इस प्रयोग से गर्भ ठहरता है।
13. निर्गुण्डी : निर्गुण्डी की 10 ग्राम मात्रा को लगभग 100 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह उसे उबालें, जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे उतारकर छान लें। इसके बाद इसमें 10 ग्राम की मात्रा में पिसा हुआ गोखरू मिलाकर मासिक-धर्म खत्म होने के बाद पहले दिन से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।
14. नागकेसर : पिसी हुई नागकेसर को लगभग 5 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय बछड़े वाली गाय या काली बकरी के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध के साथ माहवारी (मासिक-धर्म) खत्म होने के बाद सुबह के समय लगभग एक सप्ताह तक सेवन कराएं। इससे गर्भधारण के उपरान्त पुत्र का जन्म होगा।
15. कृष्णकांता : कृष्णकांता की जड़ 15 ग्राम को बारीक पीस लें। इसे 5 ग्राम सुबह के समय काली बकरी के कच्चे दूध से माहवारी खत्म होने के बाद 3 दिनों तक लगातार सेवन करना चाहिए। इससे स्त्री गर्भधारण के योग्य बन जाती है।
16. पुत्रजीवक (जियापोता) : पुत्रजीवक (जियापोता) के एक पत्ते को बारीक पीसकर गाय के कच्चे दूध में मिला दें। इसे सुबह 10 ग्राम की मात्रा में मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद लगभग एक सप्ताह तक नियमित रूप से सेवन करने से गर्भधारण होता है।
17. अपामार्ग : अपामार्ग की जड़ और लक्ष्मण बूटी 40 ग्राम की मात्रा में बारीक पीस-छानकर रख लें। इसे गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध के साथ सुबह के समय मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।
18. माजूफल (मियादी फल) : माजूफल (मियादी फल) 60 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट छान लें। इसे 10-10 ग्राम सुबह-शाम मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद 3 दिनों तक गाय के दूध से सेवन करना चाहिए। इससे गर्भ स्थापित होता है।
19. आम : आम के पेड़ का बांदा पानी के साथ बारीक पीसकर मासिक-धर्म खत्म होने के 2 दिन बाद सुबह के समय गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए। इससे गर्भ ठहरता है।
20. ढाक : ढाक (पलाश) का एक पत्ता गाय के कच्चे दूध में पीसकर मासिक-धर्म के शुरू होने के दिनों में सुबह के समय लगातार तीन दिनों तक सेवन कराना चाहिए। इसके सेवन से स्त्रियां गर्भधारण के योग्य हो जाती हैं।
21. हाथी दांत : हाथी दांत को लेकर बारीक पीसकर रख लें। इसमें से लगभग 3 ग्राम सुबह के समय मासिक-धर्म के शुरू होने के दिनों में गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से देना चाहिए। इसके सेवन से गर्भ स्थापित होता है।
22. ओंघाहुली : ओंघाहुली और ब्रह्मबूटी 15-15 ग्राम कूट-छानकर 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से मासिक-धर्म खत्म होने के बाद सेवन करने से गर्भधारण होता है।
23. गजकेसर : गजकेसर की जड़, पीपल की दाढ़ी और शिवलिंगी के बीज 6-6 ग्राम की मात्रा में कूट-छानकर इसमें 18 ग्राम की मात्रा में खांड मिला दें। इसकी 5 ग्राम मात्रा को सुबह के समय बछडे़ वाली गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से मासिक-धर्म खत्म होने के बाद लगभग एक सप्ताह तक करना चाहिए। इसके सेवन से स्त्रियां गर्भधारण के योग्य बन जाती हैं।
24. कायफल : कायफल 25 ग्राम की मात्रा में कूटपीसकर रख लें। इसमें 25 ग्राम की मात्रा में खांड मिला दें। इसे लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ मासिक-धर्म खत्म होने के बाद लगभग 5 दिनों तक देना चाहिए। इससे स्त्रियों का गर्भ ठहरता है।
25. अजवायन : अजवायन 10 ग्राम पानी से मासिक-धर्म खत्म होने के बाद तीन-चार दिनों तक सेवन करने से गर्भ की स्थापना में लाभ मिलता है।
26. पीपल का बांदा : पीपल का बांदा (बांझी) को लेकर कूट-छान लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय बछड़े वाली गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से मासिक-धर्म के बीच में 3 दिनों तक लगातार सेवन करने से गर्भधारण होता है।
27. काकोली : काकोली का बीज 20 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 5 ग्राम लेकर सुबह एक रंग की गाय (जिस गाय के बछड़े मरते न हो) या काली बकरी के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध के साथ मासिक-धर्म के बीच में देने गर्भ स्थापित होता है।
28. जायफल : जायफल और मिश्री 50-50 ग्राम की मात्रा में पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इसे छह ग्राम की मात्रा में माहवारी के बाद सेवन करना चाहिए। आहार में चावल और दूध का सेवन करें। इससे गर्भधारण हो जाएगा।
29. मेहंदी : मासिक-धर्म के बाद हर चौथे दिन के बाद नियमित 5 बार लगातार अपने हाथ-पैरों पर लगाने से गर्भवती होने की आशा बढ़ जाती है।
30. देवदारू : तैलिया देवदारू को घिसकर स्त्री को पिलाना चाहिए इससे पेट की वायु कम होकर गर्भ को बढ़ने के लिए जगह मिलती है।
निरोगी मन्त्र का कटरता से पालन चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये
निरोगी रहने हेतु महामन्त्र
मन्त्र 1 :-
• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें
• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें
• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)
• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)
• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)
• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें
• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें
मन्त्र 2 :-
• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)
• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)
• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये
• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें
• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये
• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
आयुर्वेद में आरोग्य जीवन हेतु 7000 सूत्र हैं आप सब सिर्फ इन सूत्रों का पालन कर 7 से 10 दिन में हुए बदलाव को महसूस कर अपने अनुभव को अपने जानकारों तक पहुचाये
स्वस्थ व समृद्ध भारत निर्माण हेतु