कुमार गिरीश साहू : १. हल्दी ३०० मिग्रा. + काले तिल ३०० मिग्रा. + बाकुची चूर्ण ३०० मिग्रा. मिला कर एक मात्रा बनाएं व ऐसी तीन मात्राएं दिन में गर्म पानी से लीजिए।Gks
२. श्वित्रारि वटी को पानी में घिस कर प्रभावित अंग पर लगाइये। कभी-कभी अधिक संवेदनशील लोगों को इस वटी से फुंसियां सी हो जाती हैं तो ऐसा होने पर अगली औषधि प्रयोग करें।Gks
३. श्वित्रारि घी को प्रभावित अंग पर दिन में कई बार लगाएं।Gks
४. विषतिंदुक वटी एक गोली दिन में तीन बार गर्म पानी से लीजिये।Gks
इस औषधि व्यवस्था को चालीस दिन तक जारी रखिए व प्रभाव के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर आगे जारी रखें.!
निषेध – रिफाईनड तेल का प्रयोग बिल्कुल बंद है क्योंकि रिफाईनड तेल में ल्यूटरेडिसटर अमोनिया कैमिकल भी डाला जाता है,इस कैमिकल की कुछ बूंदे शरीर पर अगर गलती से पड भी जाये तो फफोले पड जाते हैं। इस कैमिकल से तेल को फिल्टर किया जाता है। यह कैमिकल कैंसर बनाता है और यही कैमिकल चर्मरोग का मुख्य कारण है.! वैसे तो
रिफाईनड तेल में १५ – १६ कैमिकल मिलाये जाते हैं। जैसे की तेजाब, कास्टिक, pop प्लास्टर औफ पेरिस, ब्लू टरोसिल,(ब्लू टरोसिल – यह टाईलेट क्लीनर में इस्तेमाल होता है) डिक्लोराइड आदि खतरनाक कैमिकल होते हैं।इससे यह तेल अत्यंत घातक और जहरीला हो जाता है। रिफाइंड तेल के कारण ही आज हार्ड अटैक, किडनी, लिवर का खराब होना, नैत्र ज्योति कम होना, नपुंसकता, बांझपन, प्रदर, हड्डियों को खोखला पन आदि १००० हजार रोगों को उत्पन्न कर देता है। और यह तेल जहरीला तो हो गया है और भी ज्यादा जहरीला बन जाता है, जब इस में पांम आंयल मिक्स किया जाता है। पांम आंयल २२ रू लिटर आता है। यह हर कम्पनी को मिलाना अनिवार्य है। पुर्व सरकार का विदेश से करार किया है। ताकि विदेशी पांम की खपत अधिक हो सके।
इस लिए.. स्वदेशी अपनाओ.. स्वास्थ्य और परिवार एवं देश बचाओ।
कच्ची घाणी का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए। कच्ची घाणी का मतलब —— जो लकडी से बनी हुई होती है,लकडी की ही औखली होती है और लकड़ी का ही मुसल होता है और बैल के द्वारा लकडी को घुमाया जाता है, आजकल बैल की जगह मोटर लगादी गई है। इससे शुद्धता और गुणवत्ता में फर्क नहीं पडा है।