Aal-serum 7x या (Eel-Serum 7x)
किडनी रोगों में होमियोपैथी औषधियां बहुत अच्छी तरह काम करती हैं, मरीज के लक्षणों और समस्याओं के अनुसार वैसे तो विभिन्न प्रकार की औषधियां उपलब्ध हैं लेकिन Aalserum 7x का नाम सबसे ऊपर रखा जाता है क्योंकि यह किडनी को मरने से बचाती है उस समय भी जब ऐसा प्रतीत होता है की किडनी काम करना पूरी तरह बंद कर चुकी है इस दवा और अन्य दवाओं के पारस्परिक संयोजन से किडनी को बचाया जा सकता है।
Aalserum 7x का निर्माण ईल मछली के ब्लडसीरम से होता है।
यह दवा पेशाब में बढ़ा हुआ एल्ब्यूमिन, मूत्र अवरोध , किडनी फेलियर आदि कठिन समस्याओं में भी फायदा करती है. लक्षणों के अनुसार अन्य होमेओपैथिक दवाओं जैसे Medorrhinum , Cantharis , Apis , Thuja , Lycopodium , Urea आदि का संयोजन करना ठीक रहता है।
जब यूरिक एसिड अधिक बढ़ गया हो किसी तरह से नियंत्रण में नहीं आये तो Medorrhinum की high potency का प्रयोग करने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं , इसी प्रकार जलन के साथ कम मात्रा में मूत्र आता हो तो cantharis देना चाहिये।
किडनी की सूजन और दर्द का एक केस याद आता है जिसमे मरीज को अचानक से बहुत तेज किडनी का दर्द उठता था। उनके एलोपैथी डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लिखा हुआ था और इस इंजेक्शन से दर्द में आराम भी मिलता लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि दर्द उस इंजेक्शन से भी ठीक न हुआ। Nephrologist ने एडमिट होने की सलाह दी , लेकिन मरीज के पास तुरंत इतनी व्यवस्था नहीं थी की अस्पताल का खर्च वहन कर सके , उन्होंने मुझे बताया तो गवर्नमेंट हॉस्पिटल जाने की सलाह दी लेकिन वो बोले की अभी दर्द में आराम हो जाए ऐसा कुछ प्रबंध करे बाद में देखा जायेगा… उनको cantharis 1M की तीन खुराक एक एक घंटे के अंतर से और mag phos 6x की तीस गोलियां दो कप पानी में घोलकर एक एक घूंट थोड़ी थोड़ी देर में पीते रहने को कहा. एक घंटे बाद ही उनको खुलकर तेज धार के साथ पेशाब हुआ और उसके बाद भी कई बार पेशाब आया हर बार पेशाब के साथ ही उनका दर्द कम होता चला गया. सुबह तक दर्द का नामोनिशान नहीं था। अगले दिन बोले अब नहीं जाना उन डॉक्टर के पास आगे का भी ट्रीटमेंट आप ही करो .. बाद में उनको medorrhinum CM की single dose , berberis vulgaris MT , Lycopodium MT और mag phos लिखी , वो दिन था और आज का दिन उनको किडनी का दर्द दुबारा नहीं हुआ . हालांकि nephrologist के सपर्क में रहने के लिए उनसे कह रखा है क्योंकि मेरा मानना है किडनी के मामले बहुत जटिल होते हैं और सही ऑब्जरवेशन , जांच आदि एलोपैथी में ही संभव है।
आयुर्वेद में किडनी रोगों पर बहुत ही विस्तृत और सफल चिकित्सा उपलब्ध है , नामी किडनी रोग विशेषज्ञों को आयुर्वेदिक दवाये या हर्बल दवाये लिखते देखा जा सकता है. जबकि वो दवाए शास्त्रीय आधार पर नहीं बनी होती हैं. आयुर्वेदिक दवाये एक तो वो होती हैं जो किसी ग्रन्थ में दिये विवरण के अनुसार बनायीं जाती हैं जैसे सर्वतोभद्र वटी यह आखिरी स्टेज के रोगियों पर भी काम करती है दूसरी दवाए वो होती है जो लोगों ने अपने प्रयोग अनुसंधान और अनुभव के आधार पर विकसित करके पेटेंट करा ली ये दूसरी टाइप की दवाए एलोपैथी के डॉक्टर प्रयोग में लाते हैं।
यदि समय रहते किडनी की बीमारियों का अनुमान , डायग्नोसिस हो जाये तो होमियोपैथी और आयुर्वेद व् प्राकृतिक चिकित्सा की सहायता से किडनी को आगे खराब होने से बचाया जा सकता है. कुछ हद तक रिकवरी भी संभव है, कुछ लोग किडनी को फिर से पहले जैसी हालत में लाने जवान बना देने का दावा करते हैं , वैज्ञानिक आधार पर इनमे कोई सच्चाई नहीं है।