भारत चेतना मंच : आज कल के समय में व्हीट एलर्जी लोगो के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत बनी हुई है। ये बीमारी अधिकतर बच्चों में हो जाती है बड़े भी इसका शिकार बन रहे हैं, और इस कारणवश बच्चे और गेंहूँ से बने पदार्थों का सेवन नहीं कर पाते।
आइये थोड़ा विस्तार से इसके बारे में जानते है।
1.इस बीमारी से बच्चे आजीवन गेंहूँ का सेवन नही कर सकते।
2. इस बीमारी का अभी तक एलोपैथी में कोई इलाज संभव नही है।
3. गेंहूँ के सेवन से बच्चों में पेट दर्द, सूजन, उल्टी दस्त आदि बहुत से रोग होने लगते है।
4. जब कभी भी गलती से बच्चा गेंहूँ से बने किसी भी पदार्थ का सेवन कर ले उसी क्षण से वो एलर्जी का शिकार हो जाता है।
5. इस बीमारी का पता अक्सर बच्चों में दो या तीन साल तक ही लग पाता है।
6. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का शारीरिक विकास नहीं हो पाता है।
बच्चे ने जितना भी गेंहू का सेवन किया हो जब तक वो पूर्ण रूप से पेट से साफ न हो जाये तब तक बच्चा पीड़ित रहता है।
मेरा ये सन्देश लिखने से अभिप्राय यही है कि पिछले कुछ समय से मैं ऐसे ही कुछ बच्चों और उनके माँ बाप से मिला, और हमने थोड़ा इस पर परीक्षण किया तो एक बात सामने आई की इस एलर्जी का इलाज होमियोपैथी में हैं।
आपने बिलकुल ठीक समझा है।
भारत में पहली बार व्हीट एलर्जी को लेकर दिल्ली NCR में एक छोटी सी पहल की गई है, जिसमे व्हीट एलर्जी से ग्रसित सभी मरीज़ बच्चे या जवान कोई भी हिस्सा ले सकता है। यह कार्यक्रम 8 मई 2016 को कम्युनिटी सेंटर, सेक्टर-16, फरीदाबाद में आयोजित किया जाएगा, जिसमे बंगलौर की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सुवर्णा प्रभाकर(ऍम डी) चिकित्सा करेंगीं।
इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आपको एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म को भर कर एक सहयोग राशि के साथ हमे मेल करना है। जिसमे मरीज को दो महीने की दवा भी साथ में दी जायेगी।