कुमार गिरीश साहू , जयपुर : प्यारे मित्रों जो इलाज मैं बता रहा हुँ यह दवाईआ आपको आयुर्वेद की दवाईयाँ बेचने वालों के पास मिलेगी । किसी नजदीक स्थान से पता करलें और लाभ उठाएं ।
मैं तो चाहता हुँ कि आप स्वस्ध हो और मुझे अनमोल दुआए मिलें । मेरी हरपल कोशिश है कि लोग आयुर्वेद से जुड़े ,आयुर्वेद अपनाएं ।
यह जो दवाए है ,बहुत ही लाभकारी है ,एक बार प्रयोग करने से पहले ,पूरेे लाभ के इच्छुक एक बार मुझसे या अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें ।
(1) पैरों में जलन :-
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प्रवाल पिष्टी – ½ ग्रा.
गिलोय सत्व -½ ग्रा.
गुलकंद एक चम्मच में मिलाकर सुबह- शाम सेवन करें ।
भोजन के बाद चन्दनासव + उशीरासव 4-4 चम्मच पानी में मिलाकर दो – बार लें ।
परहेज :- तेल ,मिर्च गर्म वस्तुओं का प्रयोग छोडे।
क्या खाएं :- अनार ,केला ,सन्तरे व बेर का प्रयोग करें ।
(2) पेशाब की रूकावट :-
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चंद्रप्रभा वटी 1 ग्राम असली शिलाजीत युक्त
गोक्षुरादि गुग्गल 1 ग्राम ।
यव खार ½ ग्राम
स्फटिका भस्म ½ ग्राम
यह एक मात्रा है ।
ऐसी दो मात्राएं दिन में दो बार पानी से दें ।
भोजन के बाद पुनर्नवारिष्ट + गोक्षुरादि काढ़ा खाने के बाद 4-4 चम्मच पानी में मिलाकर लें ।
कब्ज न होने दें ।
इसके लिए पंचसकार चूरन या त्रिफला लें सकते है ।
परहेज :- गुड़ और गुड़ से बनी हुई चीजें । तेल,लहसुन व गर्म चीजें न लें ।
(3) पेट फूलना :-
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हिंग्वाष्टिक चूरन 3 ग्राम
सज्जी खार ½ ग्राम
खाने से पहले गुनगुने पानी से ।
साथ में चित्रकादि वटी + गंधक वटी 2 गोली लें ।
द्राक्षासव खाने के बाद 4-4 चम्मच लें ।
रात को पंचसकार चूर्ण 3 ग्राम पानी से लें ।
परहेज :- मैदे की और बेकरी की चीजें न लें ।
पपीता ,सेब ले सकते है ।
(4) खाज- खुजली और फोड़ा फुंसी :-
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बहुत तंग परेशान हो जाता है आदमी खुजली से ।
यह कोई जगह देखकर नही होती । कही पर कभी भी होने लगें । औरत हो या मर्द इसके आगे बेबस है । ज्यादा परेशानी और शर्म तो तब आने लगती है जब जन्नागों पर होने लगे । पब्किक पलेस पर तो …
इलाज :-
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महामजिष्ठादि चूर्ण 3 ग्राम ,
गंधक रसायन ½ ग्राम ,
अरोग्यावर्धनी वटी ½ ग्राम ,
सूतशेखर रस ¼ ग्राम ,
प्रवाल पिष्टी ¼ ग्राम ।
यह एक मात्रा है ।
दिन में दो बार खाने के बाद जल से लें ।
भोजन के बाद सारिवाद्यासव + मजिष्ठारिष्ट 4-4 चम्मच लें।
परहेज :-
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खटाई ,नमकीन ,तेज मिर्च मसाले ,तेल ,गुड़ ।
अपने कपड़े गरम पानी से धोएं ।
पहनने वाले कपड़े सूर्य की धूप में ही सुखाएं ।
बाकी लोगों को अपने से दूर रखें ।
(5) प्लीहा वृधि :-
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लगातार ज्वर रहने से प्लीहा वृधि हो गई हो तो आप चितिंत न हो :-
इलाज :-
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महासुदर्शन घन 1 ग्राम ,
प्रवाल भस्म ¼ ग्राम ,
गिलोय सत्व ½ ग्राम ,
यव खार ½ ग्राम ,
सितोपलादि चूर्ण 2 ग्राम
यह एक मात्रा है ।
ऐसी 2 मात्राएं दिन में दो बार
अदरक रस 2 चम्मच + शहद 1 चम्मच के साथ चटवाएं ।
भोजन के बाद पिप्पल्यासव 10-10 ml +
अमृतारिष्ट 20-20 ml खाने के बाद बराबर जल मिलाकर दें ।
सुबह- शाम दूध में मिश्री डाल कर पीवें ।
परहेज :- गरिष्ठ भोजन ,तेल से बनी हुई वस्तुएं बिलकुल न लें ।