सुरेंद्र राणा : आज हमारे पंजाब प्रांत में जिस प्रकार से स्कूलों द्वारा क्रिसमस का आयोजन बहुत ही जोरों शोरों से किया जा रहा है वह लोग इन दिनों के इतिहास को भूल चुके हैं यह वही दिन है जब गुरु पुत्रों ने कितनी विपरीत परिस्थितियों में रहकर मुगलों से संघर्ष किया था पर दुख की बात यह है हमारे पंजाब के अधिकतर स्कूल गुरु पुत्रों की शहीदी को ना याद करके आज हंसी और उल्लास मना रहे हैं क्रिसमस का आयोजन कर रहे हैं
जरा याद करो इन दर्दनाक दिनों को कैसा मंजूर होगा जब माता गुजरी ठंडी बुर्ज में गुरु पुत्रों के साथ ठंड में बैठी थी 22 दिसम्बर 1704 को हुया विश्व के इतिहास का अकल्पनिय चमकोर धर्मयुद्ध 40 सिक्ख योद्धा लडे लाख मुगल बहसी दरिंदो से ।
23 दिसम्बर 1704 बाबा अजीत सिंह शहीदी दिवस चमकोर साहिब , उम्र 17 बर्ष
24 दिसम्बर 1704 बाबा जुझार सिंह शहीदी दिवस चमकोर साहिब , उम्र 15 वर्ष
26 दिसम्बर 1704 बाबा जोरावर सिंह उम्र 9 बर्ष , बाबा फतेह सिंह उम्र 5 बर्ष शहीदी दिवस , शरहंद , पंजाब ।
26 दिसम्बर मध्यरात्रि माता गुजरी गुरु माँ पंचतत्व में विलिन
इन पांच दिनों में दशमेस पिता नें अपना सारा वंश देश-धर्म पर बलिदान कर दिया और उस वंशदानी , कलगीधर की भुमीं पर हम उन दिव्य आत्मा के बलिदान को भुलाकर विदेशी सेंटा-घंटा में खोऐ हैं थु है हमारे पर । भाई अशोक हिंदुस्थानी बहुत दुखद हृदय से कहते हैं दिसम्बर माह के मात्र 6 दिनों में गुरु गोविंदसिंह जी का पूरा परिवार शहीद हो गया था और हम सब उन्हें बुला बैठे और आज सिर्फ क्रिसमस याद् है
कोटी -२ नमन गुरु प्यारयां नुं ते चार शाहिबजादेयां न्नुं ।
बारम्बार प्रणाम ।
जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल ।
वाहे गुरु जी दा खालसा , वाहे गुरु जी दी फतेह
(माफ़ करना अगर मेरे द्वारा इतहास कुछ गलत बताया गया हो में इतहास का छात्र नहीं हूँ कृपया मेरी भावना को समझें और अगर गलत हैं तो कृपया कमेंट करें )