मदन गुप्ता सपाटू , ज्योतिर्विद् : आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु के समापन तथा शरद के आरंभ का सूचक है। यह क्षत्रियों का भी बड़ा पर्व है। ब्राहमण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं। इस दिन तारा उदय होने का समय विजयकाल कहलाता है। यह मुहूर्त सब कामों को सिद्ध करता है।सायंकाल अपराजिता पूजन, भगवान राम, शिव,शक्ति ,गणेश , सूर्यादि देवताओं का पूजन करके आयुध , अस्त्र शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए।
19 तारीख को दशमी सायं 17 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। वैसे अपराहंकाल ] विजया यात्रा का मुहूर्त माना गया है।दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन] विजय प्रयाण ]शमी पूजन तथा नवरात्रि समापन का दिन है दशहरा।19 अक्तूबर को सूर्यास्त सायंकाल 17-44 पर होगा। इससे पूर्व ही रावण दहन तथा सरस्वती विसर्जन किया जाना चाहिए ।
विजय मुहूर्-13.58 से 14.43
अपराह्न पूजा सम- 13.13 से 15.28
दशमी तिथि आरंभ- 15.28 ]18 अक्तूबर
दशमी तिथि समाप्-17.57 ]19 अक्तूबर
कैसे करें पूजा?
यों तो पूरा दि ही शुभ है परंतु विजय मुहूर्त दोपहर 13-58 से 14-43 तक विशेष शुभ माना गया है।
प्रातः काल ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन ]कुमकुम आदि से अष्टदल बनाएं और पूर्ण शोडषोपचार सहित अपराजिता देवी के साथ साथ जया तथा विजया देवियों की भी पूजा करें ।अक्षत अर्पित करते हुए
ओम् अपराजितायै नमः. ओम् क्रियाशक्तौ नमः तथा ओम् उमायै नमः
मंत्रों की एक एक माला करें ।
प्रथम नवरात्रि पर बीजी गई जोै अर्थात खेतरी को तोड़कर पूजा के थाल में रखें और पूजा के बाद घर व दूकान के मंदिर तथा धन स्थान के अलावा पाठ्य पुस्तकों, एकाउंट्स बुक्स आदि में भी में रखें। इस दिन कलम पूजन भी किया जाता है।
दशहरे पर फलों में सेब, अनार तथा ईख – गन्ने घर में अवश्य लाने चाहिए। गन्ना प्राकृतिक मधुरता ,उंचापन तथा हरियाली दर्शाता है जो हर परिवार की आज आवश्यकता है। इसलिए पूजा सामग्री में ईख जरुर रखें ।
दशहरा वर्ष का सबसे शुभ मुहूर्त
इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य आरंभ कर सकते हैं । गृह प्रवेश] वाहन या भवन क्रय] नये व्यवसाय का शुभारंभ] मंगनी] विवाह ]एग्रीमेंट आदि ।इस दिन खासकर खरीददारी करना शुभ माना जाता है जिसमें सोना,चांदी और वाहन की खरीदी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है (साल का सबसे शुभ मुहूर्त – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (आधा मुहूर्त))। यह अवधि किसी भी चीज़ की शुरूआत करने के लिए उत्तम है। हालाँकि कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं।
दशहरा का मतलब होता है दसवीं तिथी। पूरे साल में तीन सबसे शुभ घड़ियां होती हैं, एक है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरी है कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा और तीसरा है दशहरा। इस दिन कोई भी नया काम शुरू किया जाता है और उसमें अवश्य ही विजय मिलती है। दशहरे के दिन नकारात्मक शक्तियां खत्म होकर आसामान में नई ऊर्जा भर जाती है।
दशहरे पर पूरे दिनभर ही मुहूर्त होते हैं इसलिए सारे बड़े काम आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं। यह एक ऐसा मुहूर्त वाला दिन है जिस दिन बिना मुहूर्त देखे आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं।
अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है,हालाँकि इस दिन अन्य पूजाओं का भी प्रावधान है जो नीचे दी जा रही हैं:
1. इस समय कोई भी पूजा या कार्य करने से अच्छा परिणाम प्राप्त होता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने दुष्ट रावण को हराने के लिए युद्ध का प्रारंभ इसी मुहुर्त में किया था। इसी समय शमी नामक पेड़ ने अर्जुन के गाण्डीव नामक धनुष का रूप लिया था।
2. क्षत्रिय, योद्धा एवं सैनिक इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं; यह पूजा आयुध/शस्त्र पूजा के रूप में भी जानी जाती है। वे इस दिन शमी पूजन भी करते हैं। पुरातन काल में राजशाही के लिए क्षत्रियों के लिए यह पूजा मुख्य मानी जाती थी।
3. ब्राह्मण इस दिन माँ सरस्वती