मैं बंगाल बोल रहा हूँ, बंगाल विजय गाथा
हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा
बंगाल कहते हैं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को लगता था कि वामपंथ एवं तृणमूल कॉन्ग्रेस का एक #अभेद्य_किला, भारत के लोकतंत्र का एक बड़ा राज्य, सरकार बनाने की कवायद में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाला राज्य। बीजेपी के लिए जहां एक प्रकार का सुखा रहा हो जबकि जनसंघ के पुरोधा श्याम प्रसाद मुखर्जी का जन्म स्थान रहा।
लेकिन जिस राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को #अटल जी ने कहा था “हम एक हाथ में भारत का संविधान दूसरे हाथ में समता का निशान लेकर दौड़ेंगे, हम छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन एवं संघर्ष से प्रेरणा लेंगे , सामाजिक समता का बिगुल बजाने वाले महात्मा फुले हमारे पथ प्रदर्शक होंगे, भारत के पश्चिमी किनारे को मंडित करने वाले महासागर के किनारे यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं अंधेरा छटेगा सूरज निकलेगा कमल खिलेगा।
ऐसे विश्वास को जागृत करने के बाद आखिर कैसे भारतीय जनता पार्टी को नेतृत्व देने वाले लोग एवं पार्टी कार्यकर्ता मान लेते बंगाल में राष्ट्रवाद की पताका फहराना असाध्य है।फिर वही हुआ जिसकी गूंज आज पूरे भारत के कार्यकर्ताओं के कानो को आनंद प्रदान कर रही है। इस कंटक पथ को अकंटक करने का कार्य संगठन ने अपने एक ऐसे योद्धा को दिया जिसने अपने जीवन में नामुमकिन शब्द को तिरंजली दे दी हो।
पूर्व में वर्षों के अनुभवी प्रचारक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक रहे एवं वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री शिवप्रकाश जी को इस अभेद्य किले को भेदने की जिम्मेदारी दी गई। वर्षों का सांगठनिक अनुभव जिस व्यक्ति के पास रहा हो उन्होंने बूथ स्तर से अथक एवं अनवरत कार्य कर कार्यकर्ताओं का निर्माण करना शुरू किया एवं उनके विश्वास को जागृत कर उन्हें विजई होने का साहस भरा हजारों कार्यकर्ता उनके मार्गदर्शन पर कार्य करने लगे फिर क्या था बंगाल आज आपके सामने है