Historical judgement by Supreme Court on Saturday comprising Chief Justice Ranjan Gogoi , Justices SA Bobde, DY Chandrachud, Ashok Bhushan and S Abdul Nazeer, said possession of the disputed 2.77-acre land rights would be handed over to the deity Ram Lalla.
The Supreme Court also said the mosque should be constructed at a “prominent site” and a trust should be formed within three months for the construction of the temple at the site many Hindus believed Lord Ram was born.
अयोध्या मामले में सुर्पीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, केंद्र सरकार को 3 महीने के अंदर एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश, प्रांगण का अंदरूनी और बाहरी हिस्सा ट्रस्ट को, मस्जिद के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है. जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है. यानी कोर्ट ने अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है. राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है.
पीएम मोदी ने फैसला का स्वागत करते हुए कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई वजहों से महत्वपूर्ण है। यह बताता है कि किसी विवाद को सुलझाने में कानूनी प्रक्रिया का पालन कितना अहम है। हर पक्ष को अपनी-अपनी दलील रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया। न्याय के मंदिर ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान कर दिया। यह फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा। हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है। भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है।
केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने, अयोध्या मामले में आये उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है। अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि, श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वसम्मति से आये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का मैं स्वागत करता हूँ। मैं सभी समुदायों और धर्म के लोगों से अपील करता हूँ कि हम इस निर्णय को सहजता से स्वीकारते हुए शांति और सौहार्द से परिपूर्ण ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के अपने संकल्प के प्रति कटिबद्ध रहें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया यह ऐतिहासिक निर्णय अपने आप में एक मील का पत्थर साबित होगा है। यह निर्णय भारत की एकता, अखंडता और महान संस्कृति को और बल प्रदान करेगा। दशकों से चले आ रहे श्री राम जन्मभूमि के इस कानूनी विवाद को आज इस निर्णय से अंतिम रूप मिला है। मैं भारत की न्याय प्रणाली व सभी न्यायमूर्तियों का अभिनन्दन करता हूँ। श्री राम जन्मभूमि कानूनी विवाद के लिए प्रयासरत; सभी संस्थाएं, पूरे देश का संत समाज और अनगिनत अज्ञात लोगों जिन्होंने इतने वर्षों तक इसके प्रयास किया मैं उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।
मुस्लिम पक्षकारों में से एक इकबाल अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि बरसों पुराना ये विवाद आज खत्म हो गया है। हिन्दू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। इस फैसले के साथ, सर्वोच्च न्यायालय ने विविधता में एकता का संदेश दिया है। हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने इसे चुनौती देने का मन बनाया है। कांग्रेस कार्यसमिति ने आज एक प्रस्ताव पारित करते हुए अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या पर दिए हुए फैसले का स्वागत किया है। इसकी जानकारी कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने दी।
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सभी न्यूज चैनल और केबल टीवी ऑपरेटर्स के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि अयोध्या से जुड़े किसी भी तरह की चर्चा, बहस और रिपोर्टिंग के दौरान प्रोग्राम कोड का सख्ती से पालन किया जाए। इसके अलावा मंत्रालय ने चैनलों से किसी भी धर्म या समुदाय को लेकर विवादित चीजों का प्रमोट न करें। चैनलों को आधे-अधूरे सच दिखाने से बचने के लिए भी कहा गया है।आखिर 40 दिन बाद वो समय आ ही गया जिसका पूरे देश को इंतजार था. देश की सबसे बड़ी अदालत करीब 150 साल पुराने अयोध्या भूमि विवाद पर शनिवार सुबह फैसला सुनाएगी। चालीस दिन तक चली मैराथन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। भारत के प्रधान न्यायधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की पीठ ने 40 दिनों तक इस मामले की नियमित सुनवाई की. अब शनिवार सुबह फैसला सुनाया जाएगा।
फैसले के मद्देनज़र समाज के अलग-अलग वर्गों से पूरे देश में सद्भाव और शान्ति की अपील की जा रही है। हिंदू तथा मुस्लिम अपने-अपने पूजा स्थलों में शांति की प्रार्थना कर रहे हैं. तमाम पक्षों ने कोर्ट के फैसले को स्वीकार करने और शांति की अपील की है। फैसले की तारीख और समय का एलान होने के साथ ही यूपी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। यूपी के डीजीपी ने साफ कर दिया है कि अफवाह फैलाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।
फ़ैसले के मद्देनज़र सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
इससे फैसले के मद्देनज़र दिल्ली में शुक्रवार दिन में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख के साथ सुरक्षा स्थिति पर बातचीत की। इस बीच अयोध्या में भारी सुरक्षाबल तैनात किया गया है। पूरे अयोध्या शहर को किले में तब्दील कर दिया गया है। पैरामिलिट्री फोर्स, पीएससी, आरएएफ के साथ सिविल फोर्स लगाई जा रही है। मजिस्ट्रेट की ड्यूटी भी लगाई गई है।
अयोध्या को तीन जोन, 4 सेक्टर, 22 सब सेक्टर में विभाजित कर सभी में सेक्टर मजिस्ट्रेट, जोनल मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं। गौरतलब है कि 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने भूमि विवाद पर फैसला दिया था. कोर्ट ने 2:1 के बहुमत से विवादित 2.77 एकड़ ज़मीन को राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंपने का आदेश दिया गया था।
तीनों पक्षों को एक तिहाई एक तिहाई ज़मीन सौंपी गई थी जबकि विवादित इमारत के केंद्रीय गुंबद के नीचे का हिस्सा राम लला विराजमान को सौंपने का आदेश दिया गया था। इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। पहले कोर्ट ने तीनों पक्षों को मध्यस्थता के ज़रिए विवाद को सुलझाने का मौका भी दिया लेकिन तीनों पक्षों के एक राय न हो पाने के बाद संविधान पीठ ने 6 अगस्त से मामले की नियमित सुनवाई करने का आदेश दिया.
देशवासियों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की पीएम की अपील
मंदिर और मस्जिद दोनों पक्षों की तरफ से कई वकीलों ने दलीलें रखीं और इसमें कई धार्मिक किताबों, विदेशी यात्रियों के संस्मरणों को साक्ष्य के तौर पर रखा गया.
फैसले से पहले पीएम मोदी ने की देश के लोगों से अपील की है और कहा है कि कोर्ट के निर्णय के बाद भी हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है. पीएम ने कहा कि है सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे.
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