सेना बोलती नहीं पराक्रम दिखाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भोपाल में जब यह बात कही तो भले ही उन्होंने भारतीय सेना के सफल सर्जिकल ऑपरेशन का सीधे-सीधे जिक्र नहीं किया लेकिन प्रधानमंत्री का इशारा साफ था। उन्होंने सेना की सराहना की और भारत के वीर जवानों की पीठ थपथपाई।
प्रधानमंत्री ने शौर्य सम्मान सभा में पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिजनों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सेना प्रभावित लोगों के बचाव में सबसे आगे रहती है। साल 2014 में श्रीनगर की बाढ़ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सेनाकर्मियों ने वहां बिना किसी भेदभाव के अपना दायित्व निभाया। पीएम मोदी ने कहा कि अनुशासन, व्यवहार और अन्य मामलों में भारतीय सेना का विश्व में प्रथम स्थान है।
प्रधानमंत्री ने पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए ‘शहीदों अमर रहो’ का नारा दुहराया और उनकी जमकर सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने वन रैंक, वन पेंशन का वादा पूरा किया और चार किश्तों में इसे पूरी तरह वितरित कर दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार सातवें पेंशन आयोग का भी पूरा लाभ सैनिकों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार तेजी से सैनिकों की समस्याएं सुलझा रही है। रिटायर फौजियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए। स्किल डेवेलपमेंट सर्टिफिकेट देने की शुरुआत की गई है।
पीएम ने आतंकवाद पर कहा कि इसने भयंकर रूप ले लिया है। सेना के अभियानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सेना ने यमन में हजारों लोगों को बचाया। पाकिस्तान के लोगों को भी बचाकर ले आई। उन्होंने कहा कि सेना ने कभी किसी देश को हड़पने के लिए युद्ध नहीं किया। कभी जमीन के लिए झगड़ा नहीं किया। हमारी सेना मानवता के मूल्यों से कभी पीछे नहीं हटी।
शौर्य स्मारक का निर्मित क्षेत्रफल लगभग 8,000 वर्ग मीटर है। इसमें एक शौर्य-वीथिका है, जिसमें भारतीय सैनिक-शौर्य परंपरा और इतिहास को प्रदर्शित किया गया है। ये शौर्य स्मारक सेना के बाकी स्मारकों से बिल्कुल अलग है।
पाकिस्तान बंटवारे से लेकर चीन, बांग्लादेश की लड़ाई और करगिल की यादों को इस शौर्य स्मारक में समेटा गया है। शौर्य स्मारक में कई गैलरियां हैं, जहां वीर सैनिकों की तस्वीरें, युद्ध के दृश्यों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
आजादी के बाद की लड़ाइयों में शहीद हुए सैनिकों की याद में साठ फीट के स्तंभ पर अमर ज्योति जलेगी। स्मारक में पृथ्वी से उभरता हुआ 62 फीट ऊंचा शौर्य स्तम्भ एक सैनिक के जीवन को दर्शाता है। यह स्तम्भ अंदरूनी शक्ति और साहस का प्रतीक है। स्मारक में एक व्याख्या केंद्र भी है, जिसके माध्यम से आगंतुकों को स्मारक के स्वरूप को समझने में मदद मिलेगी।