कांची कामकोटि पीठ के #शंकराचार्य पूज्य स्वामी #जयेन्द्र_सरस्वती जी ब्रम्हलीन हुए, उन्हें कोटि कोटि नमन। लेकिन मीडिया श्रीदेवी में ही लगी है, शर्म से डूब मरने वाली बात है। हिंदुओं के सर्वोच्च धर्मगुरु ब्रम्हलीन हुए और कोई चर्चा नही मीडिया में? पोप के मरने पर भी भारत मे 3 दिन का राजकीय शोक हुआ था, कांग्रेस सरकार में।
वर्षभर में कांची पीठ के पास 4 से 5 हजार करोड़ (जबकि ईसाई मिशनरी 18 से 20 हजार करोड़ की फंडिंग करती है) का दान आता था, जिसे पूज्य शंकराचार्य जी उन गरीबों की शिक्षा और चिकित्सा के लिए लगा देते थे जहां सरकार जानते हुए भी सुविधाएं नही देती। क्योंकि सुविधा के अभाव में ही धर्मान्तरण होते हैं। पूज्य शंकराचार्य जी ने धर्मान्तरण रोका और हजारों-लाखों हिन्दू से ईसाई बने मूर्खों की घर वापसी करवाई।
इसी वजह से उनके साथ घोर अत्याचार हुए। उन्हें झूठे हत्या के प्रकरण में फंसाया, 7-8 वर्षों तक बिना सबूत के जेल में रखकर प्रताड़ित किया गया। उनकी गिरफ्तारी भी दीवाली के दिन उस मौके पर हुई जब कांची पीठ की हजारों वर्षों से होने वाली वार्षिक पारंपरिक पूजा होने वाली थी।
जूते पहने पुलिस वाले मंदिर प्रांगण में घुसे और अपमानित करते हुए शंकराचार्य जी को गिरफ्तार किया। उन्हें अश्लील फिल्में दिखाई गई, मारा गया ताकि वो झूठा आरोप मान लें।
इसके इलावा भारत को तोड़ने वाली शक्तियों ने अभी कुछ दिन पहले एक बवाल किया। इस उदाहरण से स्पष्ट हो जाएगा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत कितना संगठित रह गया है। तमिल नाडु का एक राज्यकीय गान है “तमिल एंथम- थाई वलथु”, अभी दो तीन दिन पहले एक केंद्रीय मंत्री IIT चेन्नई (जो भारत का दूसरा #JNU है, यहां दशहरा में रावण की जगह राम जी का पुतला दहन किया गया था और रावनलीला मनाई गई) गए। परंपरानुसार किसी भी कार्यक्रम के प्रारंभ में तमिल एंथम गाते हैं और अंत मे भारत का राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन।
इस कार्यक्रम में शुरू में तमिल एंथम जी जगह गणेश वंदना की गई। तो बवाल मच गया। AIADMK के लोगों ने तोड़फोड़, बवाल शुरू कर दिया। तमिल एंथम में “द्रविड़ राज्य” का गुणगान है। यह उस ‘आर्य-द्रविड़’ अवधारणा को बल देता है जिससे हिन्दू दो भागों में बंटता है। (याद है लोकसभा में कांग्रेस के #गेंडा_स्वामी मल्लिका अर्जुन खड़के का बयान? हम मूल निवासी है…तुम विदेशी हो…सड़को पे रक्तपात मचा देंगे।)
यही विवाद एक माह पहले भी हुया जब एक कॉलेज कार्यक्रम में कांची कामकोटि के पूज्य शंकराचार्य जी , अधिक आयु होने के कारण तमिल एंथम में खड़े नही हुए। इतनी गाली गलौज निकाली गई उनके लिए ट्विटर, फेसबुक पर। इसमे तमिल फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी शामिल थे जैसे #विजय_जोसफ (जिसकी फ़िल्म में gst का मजाक उड़ाया गया था)। ये वही लोग हैं जो जन-गण-मन मे खड़े होने के न्यायालय के निर्णय को बुरा भला कह रहे थे।
कितनी शक्तिशाली लॉबी है, भारत विखंडन के लिए। धीरे धीरे दीमक की तरह हमारे देश और धर्म को खा रही है। न राष्ट्र के रूप में न धर्म के रूप में हम संगठित बचे हैं, इस खतरे को समझिए। ऐसी ही दलाल मीडिया है, जो वेश्या की तरह बिकी हुई है। जो एक तरफा खबरें दिखाती है। अब इन्हें चाहिए कि अपने पाप धोने के लिए ब्रम्हलीन स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी के जीवन पर दो चार दिन दिखाएं और सरकार एक सप्ताह का राजकीय शोक घोषित कर हिन्दुओ की भावनाओं को सम्मान दे।