ऑस्ट्रेलिया के एक दैनिक -द ऑस्ट्रेलियन- में स्कॉर्पियन पनडुब्बी की क्षमता के बारे में लीक हुए 22,400 गोपनीय दस्तावेज़ों की ख़बर से देश में हलचल है। हालाँकि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इसमें किसी भारतीय के शामिल होने की बात को सिरे से नकार दिया है।
नौसेना ने भी भारत से किसी भी तरह के डाटा के लीक होने की बात को नकारते हुए मामले की उच्चस्तरीय जाँच के आदेश दे दिए हैं। नौसेना का कहना है कि ऐसा लगता है कि यह डाटा भारत के बाहर से लीक हुआ है। एक बयान में नौसेना ने कहा है कि विशेषज्ञ उपलब्ध जानकारियों का विश्लेषण करेंगे।
द ऑस्ट्रेलियन- का दावा है कि लीक हुए DCNS डाटा में कई संवेदनशील जानकारियाँ हैं जिनमें पनडुब्बी द्वारा डाटा लेने वाली फ्रीक्वेन्सी, इससे पैदा होने वाले शोर का स्तर, और टॉरपीडो लॉन्च करने से संबंधित जानकारियाँ भी शामिल हैं। अगर ये जानकारियाँ चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंदियों के हाथ लग जाती है तो भारत को इस पनडुब्बी की वजह से मिली बढ़त में नुकसान हो सकता है। स्कॉर्पियन को भारत में ही बनाया जाता है और इसका डिज़ाइन फ्रांस की कंपनी DCNS के द्वारा तैयार किया जाता है।
स्कॉर्पियन क्लास की पनडुब्बी की पहली खेप -कलवारी- को अप्रैल 2015 में लॉन्च किया गया था और पिछले साल अक्टूबर में ही इसे पानी में उतारा गया था।
स्कॉर्पियन पनडुब्बी 67 मीटर लंबी, 6.2 मीटर चौड़ी और 1,550 टन भार वाली है जिसकी ज़बरदस्त मारक क्षमता है। ये किसी भी अत्याधुनिक पनडुब्बी की तरह एक साथ कई तरह से मार कर सकती है। जैसे कि ज़मीन पर मार, पानी के अंदर पनडुब्बी पर मार, खुफिया सूचनाओं को इकट्ठा करना, विशेष बल के ऑपरेशन जैसे काम को ये एक साथ अंजाम दे सकती है।
पहले स्कॉर्पियन के शामिल होने के बाद बाकी की पनडुब्बियों को नौ महीने के अंतराल पर शामिल किया जाएगा। इस तरह से सभी 6 स्कॉर्पियन पनडुब्बियों के 2020 कर शामिल हो जाने की संभावना है।