गृहमंत्री ने पाकिस्तान को उसकी ही धरती पर खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि महज़ आतंकवाद को कोसने से बात नहीं बनेगी। आतंकवाद का समर्थन करने वाले संगठनों और देशों के खिलाफ हो कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।
इस्लामाबाद में सार्क देशों के गृहमंत्रियों की बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया।
उन्होंने पाकिस्तान का नाम तो नहीं लिया लेकिन साफ़ और कड़े शब्दों में कहा कि सिर्फ आतंकवादियों ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति, संस्था और राष्ट्र के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए जो आतंकवाद का समर्थन करे। जो भी देश आतंकियों को पनाह देते हैं उन्हें अलग-थलग किया जाना जाए। उन्होंने कहा कि एक देश का आतंकवादी किसी दूसरे देश के लिए शहीद नहीं हो सकता। उन्होंने अपील की कि आतंकवादी को शहीद न बनाया जाए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सार्क क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद है। सार्क देशों में आतंकवादी हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने भारत में पठानकोट, बांग्लादेश में ढाका और अफ़ग़ानिस्तान में काबुल हमलों का हवाला दिया और कहा कि सिर्फ इनकी निंदा करना ही पर्याप्त नहीं है।
राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को पनाह देने की पाकिस्तान की नीतियों पर प्रहार करते हुए कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद को न तो गौरवान्वित करना चाहिए न ही संरक्षण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आतंकवाद पर सचमुच काबू पाना है तो हमें ये समझ लेना चाहिए कि अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी का भेद करना भ्रामक है।
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सार्क सम्मलेन में कहा कि उनका देश आतंकवाद, भ्रष्टाचार और संगठित अपराधों के खिलाफ संघर्ष के लिए सार्क देशों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है।
अब 22-23 सितम्बर को नई दिल्ली में सार्क के एंटी टेररिज्म मेकैनिजम के विशेषज्ञों की अहम् बैठक होगी। इस बैठक का सुझाव भारत ने ही दिया था। गृहमंत्री ने भारत का यह सुझाव मानने के लिए सार्क देशों को धन्यवाद भी दिया। सार्क देशों की बैठक के बाद बुधवार की शाम को राजनाथ सिंह स्वदेश लौट आए थे।