रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल सौदे पर कांग्रेस के आरोपों पर किया पलटवार, डील से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बाहर होने को लेकर कांग्रेस की यूपीए सरकार को ठहराया जिम्मेदार, कहा, पिछली सरकार ने ऑफसेट के लिए प्राइवेट या सरकारी किसी भी कंपनी के साथ जा सकने का बनाया था नियम।
राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर कांग्रेस द्दारा लगाये गये आरोपो को सरकार ने एक बार फिर सिरे से खारिज किया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कांग्रेस यूपीए के समय में ‘न हो सके सौदे’ से एनडीए के ‘सौदे’ की तुलना कर रही है जो किसी भी तरह से ठीक नही है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच 2015 में राफेल सौदे को करने के लिये सैधान्तिक तौर पर बात हुई थी और सितम्बर 2016 में जाकर करीब डेढ साल तक चली बातचीत के बाद ये सौदा तय हुआ। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के स्तर पर सौदे के डिटेल्स डिस्कस करने का कांग्रेस का आरोप निराधार है।
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि विमान खरीद के साथ होने बाले ऑफसेट सौदे के नियम कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय में ही बने थे जिसके तहत विमान बेचने बाली कंपनी भारत की निजी या सरकारी कंपनी को इसके लिये चुन सकती है। वर्तमान सरकार ने भी सिर्फ उस नियम का पालन किया है।
निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वो इतने सालों तक जद्दोजहद के बाद भी आखिर राफेल सौदा क्यो नही कर पाई ये कांग्रेस की राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दो पर बेरूखी को दर्शाता है। रक्षामंत्री ने कहा कि यूपीए के समय में सिर्फ 18 तैयार विमान तुंरत खरीदने का सौदा हो रहा था जबकि एनडीए सरकार ने 36 तैयार विमानो को खरीदने का सौदा किया है। उन्होने कहा कि भारत और फ्रांस की सरकार के बीच में हो रहे इस अन्तर्सरकारी सौदे के संबंध में विमान की मूल कीमत समेत सभी जरूरी तथ्य संसद के समक्ष रख दिये गये है।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्दारा मंगलवार को दिये गये इस स्पष्टीकरण से पहले भी सरकार कई मोर्चो पर इस बात को साफ कर चुकी है राफेल सौदा में कोई गड़बड़ी नही है। इस मसले पर संसद में भी सरकार के द्दारा सभी तथ्य रखे जा चुके है लेकिन फिर भी इस मसले पर राजनीति है कि थमने का नाम नही ले रही है।